ईश्वर दुबे
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Bhilai
रायपुर. अजीत जोगी 2013 की तरह इस बार भी कहीं से भी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, उन्होंने मुख्यमंत्री रमन के खिलाफ राजनांदगांव से लड़ने का ऐलान किया था। वहीं, भाजपा 20 से ज्यादा व कांग्रेस 2 और विधायकों के टिकट काटने जा रही है। जानिए इन 3 बड़े राजनीतिक दांव के बारे में...
अजीत जोगी के चुनाव न लड़ने का फैसला शुक्रवार को गठबंधन बैठक में हुआ। मायावती बार-बार छत्तीसगढ़ नहीं आ सकतीं इसलिए जोगी स्टार प्रचारक के रूप में काम करेंगे। बैठक के बाद बसपा ने दूसरे चरण के 12 उम्मीदवारों की दूसरी सूची भी जारी कर दी। इसमें ऋचा अकलतरा से लड़ने की जानकारी है। वहीं, अमित जोगी मनेंद्रगढ़ से लड़ सकते हैं। रेणु कोटा से कांग्रेस के टिकट का इंतजार करने के मूड में हैं।
उइके की तरह समझौता तो नहीं हो गया? बहू, बेटा अलग-अलग पार्टियों से लड़ रहे हैं, जोगी कांग्रेस औचित्यहीन हो गई। -भूपेश बघेल, पीसीसी चीफ
डाॅ. रमन सिंह के खिलाफ लड़ना बच्चों खेल नहीं। जोगी ने यही सोचकर फैसला किया होगा - श्रीचंद सुंदरानी, भाजपा प्रवक्ता
कांग्रेस के पहले चरण के नामों की घोषणा के बाद भाजपा ने रणनीति बदल दी है। मुख्यमंत्री रमन सिंह, सौदान सिंह, सरोज पांडे के साथ पवन साय की बैठक कर पैनल में आए नामों को एक बार फिर रिफाइन किया। उसके बाद शाम को रमन ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मिले और प्रत्याशियों के नाम पर रायशुमारी की। इस दौरान राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री सौदान सिंह और पांडेय भी मौजूद थीं। संकेत हैं कि भाजपा 20 से अधिक मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है। अब शनिवार को चुनाव समिति बैठक में प्रत्याशियों के नामों को रख सिर्फ औपचारिकता पूरी होगी। बस्तर की सभी 12 सीटों पर पैनल में अब सिंगल नाम हैं। मंत्री महेश गागड़ा और केदार कश्यप को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। शुक्रवार की बैठक में 60 से ज्यादा नामों पर चर्चा हुई। विधायकों के नाम के साथ भी 2 से 3 नामों का पैनल है। इस बार 20-22 नए उम्मीदवारों में युवा-महिलाएं होंगी। शनिवार को आने वाली पहली सूची में करीब 50 नामों का ऐलान हो सकता है।
राजनांदगांव के लिए कांग्रेस ने रणनीति में बदली है। यहां 4 सिटिंग एमएलए में से 2 को ही मौका मिलेगा। पार्टी डोंगरगांव सीट से दलेश्वर साहू और खैरागढ़ से सीटिंग एमएलए गिरिवर जंघेल को रिपीट कर सकती है। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए एनएसयूआई राष्ट्रीय महासचिव निखिल द्विवेदी को टिकट मिल सकता है। भोलाराम साहू के विरोध के कारण खुज्जी से कांग्रेस समर्थित जिला पंचायत सदस्य छन्नी साहू लड़ सकती हैं। यदि खुज्जी से महिला प्रत्याशी उतरीं तो मोहला-मानपुर सीट पर सेवानिवृत्त अफसर इंदर सिंह मंडावी काे टिकट मिलना तय माना जा रहा है। लेकिन मोहला-मानपुर में महिला उम्मीदवार को टिकट नहीं मिला तो यहां से निशु शाह को पार्टी मैदान में उतार सकती है। डोंगरगढ़ सीट से पार्टी भुनेश्वर बघेल और धनेशा पटिला में से किसी एक को टिकट दे सकती है। हालांकि, पटिला इस सीट से पहले तीन बार चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में भुनेश्वर की संभावना प्रबल है।
इधर गंठबंधन के मामले में कांग्रेस को एक और झटका लगा है। करीब महीने भर के इंतजार के बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने छत्तीसगढ़ में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है। गोंडवाना और सपा मिलकर चुनाव लड़ेंगे। इन दोनों पार्टियों को छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने भी समर्थन देने का ऐलान किया है। इस समझौते के मुताबिक 70 सीटों पर गोंगपा चुनाव लड़ेगी, जबकि सपा 20 पर चुनाव लड़ेगी।
भोपाल. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के फीडबैक, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सर्वे और संगठन की रिपोर्ट को सामने रखकर भाजपा ने प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया तेज कर दी है। अभी तक ग्वालियर संभाग से शुरू कर 160 सीटों पर चर्चा हो गई है। जल्द ही 2-3 नामों का पैनल बनाया जाएगा। साथ ही तय किया गया है कि 2013 के विधानसभा चुनावों में 20 से लेकर 50 हजार वोटों से हारे भाजपा प्रत्याशियों के नामों पर अभी कोई विचार नहीं होगा। 10 हजार से अधिक वोटों से हारे प्रत्याशी यदि जातिगत समीकरणों और सर्वे के आधार पर अभी भी वोटरों के बीच वजूद रखते हैं तो उन पर एक बार चर्चा की जाएगी।
एंटी इंकम्बेंसी झेल रहे 3-4 या इससे अधिक बार चुनाव जीतने वालों के भी टिकट बदले जा सकते हैं। गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर अखिल भारतीय सह क्षेत्र प्रचारक प्रमुख अरुण जैन और क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते की मौजूदगी में शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह और संगठन महामंत्री सुहास भगत की सीटवार चर्चा हुई, जिसमें 160 सीटों पर संभावित प्रत्याशियों को लेकर चर्चा हो गई है। संघ की ओर से दिए गए फीडबैक के अाधार पर भी नामों को सूची में शामिल किया जाएगा। भाजपा की कोशिश है कि 20 तारीख से पहले सभी सीटों पर पैनल बना लिया जाए। मुख्यमंत्री शिवराज और प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह शुक्रवार को दिल्ली जाएंगे। वहां वे वरिष्ठ नेताओं से भी टिकटों पर चर्चा करेंगे।
आरएसएस ने मांगीं भोपाल की तीन सीटें : बैठक में बैरसिया, उत्तर और हुजूर सीट पर सहमति तकरीबन बन गई है। संघ की ओर से साफ कर दिया गया है कि उत्तर सीट पर इस बार हिंदुत्व का चेहरा होगा। पिछले विधानसभा चुनाव में भी बैरसिया में विष्णु खत्री और हुजूर में रामेश्वर शर्मा को संघ समर्थित मानते हुए टिकट मिला था। मध्य सीट से मौजूदा विधायक सुरेंद्रनाथ सिंह को लेकर संघ ने मुख्यमंत्री को अलग तरह का फीडबैक दिया है, जो पिछले नगर निगम चुनावों से जुड़ा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्य सीट का चेहरा अंतिम दौर में तय होगा।
इन हारे मंत्रियों के नामों पर भी विचार: जतारा सीट से 233 वोटों से हारे हरिशंकर खटीक को भाजपा दोबारा लड़ाने पर विचार कर रही है। करण सिंह वर्मा भी 744 वोटों से हारे थे। इछावर से इनके नाम पर फिलहाल सहमति बनी है। सिरोंज में लक्ष्मीकांत शर्मा को लेकर पार्टी असमंजस में है। राजनगर सीट पर 8607 वोटों से हारे डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया के नाम पर चर्चा हुई, लेकिन संघ सहमत नहीं है। अजय विश्नोई जबलपुर पश्चिम सीट से दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन पूर्व मंत्री हरेंद्र जीत सिंह बब्बू के मामले में सिर्फ संगठन सहमत है।
20 हजार से ज्यादा वोटों से हारने वालों पर नहीं हुआ विचार
इनके नाम पर नहीं होगा विचार : (20 हजार से अधिक वोटों से हारे) राव देशराज सिंह, नरेश दिवाकर, मोहन शर्मा, रतन सिंह सिलारपुर, देवेंद्र जैन, सुदामा सिंह सिंग्राम, सुरेश राजे, विश्वामित्र पाठक, राव राजकुमार सिंह यादव, रमेश भटेरे, भगत सिंह नेताम।
हारे, लेकिन नामों पर हुई चर्चा
पवई या पन्ना से बृजेंद्र प्रताप सिंह (2013 में मंत्री थे), जबलपुर पश्चिम या पाटन से अजय विश्नोई (2013 में मंत्री थे), अटेर से अरविंद सिंह भदौरिया, चित्रकूट से सुरेंद्र सिंह गहरवार, सुवासरा से राधेश्याम पाटीदार, ग्वालियर पूर्व से अनूप मिश्रा (2013 में मंत्री थे), लहार से रसाल सिंह, खरगापुर से राहुल सिंह लोधी, चितरंगी से जगन्नाथ सिंह (2013 में मंत्री थे), बमोरी से कन्हैयालाल अग्रवाल (2013 में मंत्री थे) (नोट : ये दावेदार पिछले चुनावों में 5 से 20 हजार तक वोटों से हारे हैं। ऐसे भाजपा में 32 लोग हैं, जिनमें से सिर्फ दस पर बात हुई)
पहली सूची 28 अक्टूबर के बाद
बैठक में यह भी तय हुआ कि 230 सीटों पर की गई रायशुमारी का पहले संगठन स्तर पर अध्ययन किया जाएगा। सर्वे व संघ के फीडबैक से उसका मिलान होता है तो ठीक, अन्यथा इसमें संशोधन किया जाएगा। गुरुवार को रायशुमारी का काम हो गया है। भाजपा 28 अक्टूबर के बाद प्रत्याशी की पहली सूची जारी कर सकती है।
पुणे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को साईं समाधि शताब्दी समारोह में शामिल होने के लिए शिरडी आए। उन्होंने साईं बाबा की आरती में हिस्सा लिया। मोदी ने 475 करोड़ रुपए के विकास कार्यों की नींव रखी। इस मौके पर उन्होंने आवास योजना के लाभार्थियों को घर की चाबियां भी बांटीं। मोदी ने कहा कि बीते चार सालों में आम आदमी को झुग्गी से, किराए के घर से निकालने के लिए हम प्रयास कर चुके हैं। पहले भी ऐसी कोशिशें हुईं। लेकिन तब सरकार का मकसद सिर्फ एक परिवार के नाम का प्रचार और वोट बैंक था। पिछली सरकार ने 4 साल में 25 लाख घर बनाए और हमने एक करोड़ 25 लाख।
साईं बाबा का दर्शन उत्साह देता है
मोदी ने कहा, "मैं जब भी साईं बाबा के दर्शन करता हूं तो करोड़ों श्रद्धालुओं की तरह मुझे भी नया उत्साह मिलता है। शिरडी के कण-कण में साईं की शिक्षा बसी है। भाइयों साईं का मंत्र है- सबका मालिक एक। साई समाज के थे और समाज साईं का था। साईं ने समाज सेवा के कुछ रास्ते दिखाए थे। मुझे खुशी है कि साईं बाबा ट्रस्ट उन्हीं के दिखाए रास्ते पर काम कर रहा है।''
योजनाओं के शिलान्यास के लिए सबसे अच्छी जगह
मोदी ने कहा, "आज इस धरती पर आस्था, अध्यातम और विकास के कई प्रोजेक्ट्स की शुरूआत हुई। गरीबों के लिए योजनाओं के शिलान्यास के लिए इससे अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती। आज कन्या विद्यालय की नींव रखी जा रही है। साईं नॉलेज पार्क से लोगों को साईं की सीख समझने में आसानी होगी। यहां 10 मेगॉवाट के सोलर पावर प्लांट का भी उद्घाटन हुआ है।''
लोगों को घर देना मेरा सौभाग्य
शिरडी में मोदी ने कहा, "नवरात्र से लेकर दीपावली तक लोग गाड़ी गहनों जैसे कई सामान की खरीदी करते हैं। जिसका जैसा सामर्थ्य होता है, वह वैसा ही सामान खरीदकर खुशी देता है। मुझे खुशी है कि मुझे 2.5 लाख लोगों को घर सौंपने का मौका मिला। यह गरीबी पर जीत की तरफ बहुत बड़ा कदम है। हम 2022 तक गरीब बेघर परिवार को उसका अपना घर देने का लक्ष्य लेकर हम काम कर हरहे हैं। आधा रास्ता हम कम समय में पार कर चुके हैं। पहले की सरकार में एक मकान बनाने में 18 महीने लगता था। इस सरकार में 12 महीने से भी कम समय में एक घर पूरा हो जाता है। घर बनाने में सरकारी मदद को 70 हजार से बढ़ाकर 1 लाख 20 हजार रुपए कर दिया गया है। पैसा सीधे बैंक खाते में जा रहा है।''
मोदी से मिलने जा रही कार्यकर्ता को हिरासत में लिया गया
महाराष्ट्र पुलिस ने सुबह महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई को हिरासत में ले लिया। उन्होंने केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर मोदी से मिलने की इच्छा जताई थी। पुलिस को लिखी चिट्ठी में धमकी दी थी कि अगर उन्हें प्रधानमंत्री से नहीं मिलने दिया तो वे उनका काफिला रोक देंगी।तृप्ति देसाई शिंगणापुर के शनि मंदिर समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर महिलाओं को उनका हक दिलाने के लिए आंदोलन कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हम विजयादशमी के मौके पर हम लोग शिरडी जा रहे थे। पुलिस पहले ही मेरे घर के आसपास मौजूद थी। उन्होंने हमें आगे नहीं बढ़ने दिया। विरोध करना हमारा संवैधानिक अधिकार है। यह नरेंद्र मोदी के द्वारा हमारी आवाज दबाने की कोशिश है।
साईं ने 1918 में ली थी समाधि
साईं बाबा की समाधि के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शिरडी में 17 से 19 अक्टूबर तक साई दरबार सजाया गया। 15 अक्टूबर 1918 को बाबा ने शिरडी में समाधि ली थी। इस दरबार में 30 राज्यों और 20 देशों के 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु शामिल होंगे। समारोह से पहले ही यहां के 750 होटल और शिरडी संस्थान के 1500 कमरे बुक हो चुके हैं।
96 साल में ट्रस्ट की आय 11 लाख गुना बढ़ी
शिरडी संस्थान के सीईओ रूबल अग्रवाल ने बताया कि 1922 में साईं बाबा मंदिर को ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर किया गया। उस समय ट्रस्ट की सालाना आय लगभग 3200 रुपए थी। आज ट्रस्ट की आय 371 करोड़ रुपए हो गई है।
रसोई में एक लाख लोगों के भोजन का इंतजाम
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिहाज से हर कोने पर सीसीटीवी कैमरे, डॉग स्क्वॉड, एक हजार से ज्यादा पुलिस फोर्स और संस्थान के ही 500 से ज्यादा सेवक व्यवस्था में शामिल हैं। करीब एक लाख श्रद्धालु के लिए रसोई में भोजन की व्यवस्था की गई। भाेजन परोसने के लिए एक हजार सेवकों ने तीन शिफ्ट में सेवाएं दीं। पूरा मंदिर परिसर 35 लाख खर्च कर फल और फूलों से सजाया जाएगा। इसके लिए साढ़े सात टन फूल मंगवाए गए।
अंकारा. वॉशिंगटन पोस्ट के लापता पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या में सऊदी के पूर्व राजनायिक माहेर अब्दुलअजीज मुतरेब की अहम भूमिका थी। अमेरिकी चैनल सीएनएन ने सूत्रों के हवाले से यह दावा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी में जांच अधिकारी रह चुके मुतरेब को साजिश की पूरी जानकारी थी। वे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के करीबी बताए जाते हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है ये मुमकिन नहीं कि सलमान का करीबी कोई अधिकारी बिना उनकी जानकारी के विदेश के किसी ऑपरेशन में शामिल हो।
बीजेपी के संस्थापक सदस्य रहे पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह का पूरा परिवार बुधवार को कांग्रेस का हाथ थामेगा. राजस्थान के मारवाड़ इलाके में प्रभाव रखने वाला जसवंत का परिवार का बीजेपी से अलग होना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह पूरे परिवार के साथ पार्टी के सदस्य बनेंगे. मानवेंद्र इस समय बीजेपी से शिव सीट के विधायक हैं. मानवेंद्र के साथ उनकी पत्नी चित्रा सिंह, जीवंत सिंह के दूसरे बेटे भूपेन्द्र सिंह और जसवंत सिंह की पत्नी शीतल कवर कांग्रेस की सदस्यता लेंगी. कांग्रेस का दामन थामने से पहले मानवेंद्र सिंह ने पूरे परिवार के साथ पूजा अर्चना की.
इस मौके पर कांग्रेस के महासचिव अशोक गहलोत और राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट भी मौजूद रहेंगे.
पिछले महीने छोड़ी थी बीजेपी
पिछले महीने हुई बाड़मेर के पचपदरा की स्वाभिमान रैली में मानवेंद्र सिंह ने 'एक ही भूल कमल का फूल' कहकर बीजेपी छोड़ दी थी. उसके बाद से अटकलें लगाई जा रही थी कि मानवेंद्र सिंह कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं, लेकिन अब मानवेंद्र ने साफ कर दिया है कि वो कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं.
बाड़मेर के कांग्रेसी नेताओं ने भी इसका स्वागत किया है. कांग्रेस के सचिव हरीश चौधरी ने कहा कि उन्होंने मानवेंद्र सिंह का विरोध नहीं किया है. उनके आने से कांग्रेस और मजबूत होगी. राजस्थान में राजपूत बीजेपी के कोर वोट बैंक रहे हैं.
राजपूतों को जोड़ने में लगी कांग्रेस
कांग्रेस इस बार कोशिश कर रही है कि नाराज राजपूतों को तोड़ा जाए और कांग्रेस में लाया जाए. हालांकि, बीजेपी कोशिश कर रही है कि राजपूतों का डर दिखाकर कांग्रेस के परंपरागत वोटर जाटों को अपने पक्ष में लाया जाए, लेकिन कांग्रेस अपने जाट नेताओं को भरोसे में लेकर नाराज राजपूतों को रिझाने की कोशिश कर रही है.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जसवंत सिंह को टिकट नहीं दिया था. इससे उनको निर्दलीय ही चुनाव लड़ना पड़ा था. उस चुनाव में जसवंत सिंह हार गए थे. इसी के बाद से जसवंत सिंह का परिवार बीजेपी से नाराज चल रहा था.
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पहली बार चुनावी मैदान में उतर रही आम आदमी पार्टी (आप) ने आदिवासी समाज के युवक को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर किया है। आप के वरिष्ठ नेता ने बताया कि वे राज्य में मुख्यमंत्री पद के सबसे युवा उम्मीदवार हैं। 'आप' यह दांव चलकर आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के वोटों को अपने पाले में करने की कोशिश में है।
आम आदमी पार्टी छत्तीसगढ़ में सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है। पार्टी ने 84 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। पार्टी ने 37 वर्ष के युवक कोमल हुपेंडी को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश कर अन्य राजनीतिक दलों को चौंका दिया है।
हुपेंडी राज्य के नक्सल प्रभावित कांकेर जिले के मुंगवाल गांव के निवासी हैं।
रायपुर में बुधवार को आप के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने बताया कि हुपेंडी राज्य में मुख्यमंत्री पद के सबसे युवा उम्मीदवार हैं। इतिहास में एमए तक पढ़ाई करने वाले हुपेंडी साल 2005 बैच में सहकारिता विस्तार अधिकारी के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
राय ने बताया कि हुपेंडी ने साल 2016 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और आम आदमी पार्टी के सदस्य बन गए थे।
आप नेता ने बताया कि हुपेंडी ने दो किताब लिखी हैं तथा राज्य में आदिवासियों के लिए हुल्की महोत्सव, कोलांग महोत्सव और पर्रा जलसा की शुरूआत की थी।
राय के मुताबिक हुपेंडी गरीब आदिवासी युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराते हैं और शराब बंदी को लेकर आंदोलन भी कर चुके हैं।
आप के प्रदेश संयोजक संकेत ठाकुर ने कहा कि राज्य में आदिवासी और किसान समेत समाज के सभी वर्ग अब आम आदमी पार्टी पर भरोसा कर रहे हैं। राज्य में भाजपा के पिछले 15 वर्ष के शासनकाल में सरकार ने इस वर्ग को भुला दिया है। वहीं लोगों को कांग्रेस पर भरोसा नहीं है।
ठाकुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ का निर्माण आदिवासियों और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के विकास के लिए हुआ था। लेकिन यह अभी तक नहीं हो पाया है। उनकी पार्टी चाहती है कि राज्य में आदिवासी क्षेत्रों का विकास हो। मुख्यमंत्री पद के लिए आदिवासी युवा को इसीलिए सामने लाया गया है।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा की 90 सीटें है। इनमें से 49 सीटों पर भाजपा का तथा 39 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं एक-एक सीटों पर बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय विधायक हैं। राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए 29 सीटें आरक्षित हैं जो राज्य में सरकार बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आप राज्य की 11 सीटों में 10 सीटों पर चुनाव लड़ी थी तथा सभी सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था।