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राजनीति

राजनीति (6670)

दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रिय संगठन महामंत्री आर.एस.एस.  का कोई प्रमुख प्रचारक होता है. इस पद पर अभी रामलाल थे, जिन्हें आर.एस.एस. नें वापिस बुला लिया है. और उनके स्थान पर व्ही. सतीश को भेजा जाएगा. हालाँकि अभी तक आर. एस. एस. की तरफ से इस बात को स्पष्ट नहीं किया गया है. मगर संगठन नें खुद में एक बड़े बदलाव का संकेत ज़रूर दिया है.

व्ही.सतीश

व्ही.सतीश

खबर है कि, रामलाल को अब आर. एस. एस. का अखिल भारतीय सह-संपर्क प्रमुख बनाया गया है. अखिल भारतीय संपर्क की कमान इस समय अनिरुद्ध देशपाण्डेय के हाथ में है. उसी तरह गोपाल आर्य को आर.एस.एस. नें पर्यावरण गतिविधियों का राष्ट्रीय समन्वयक के पद पर भेजा है.

रामलाल पिछले करीब दस वर्षों से भारतीय जनता पार्टी के संगठन महामंत्री के पद पर थे. कई वर्षों के बाद उनकी आर.एस.एस. के मूल संगठन में वापसी हुई है. आर.एस.एस. अपनें अन्य संगठनों के साथ आंशिक रूप से मिले होनें के लिए, संगठन से विभिन्न पदों पर आर.एस.एस. कार्यकर्ताओं को नियुक्त करता है.  

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'अमीरों से ली और गरीबों को दो' ये है सरकार का विकास मॉडल : नितिन गडकरी

क्या हुआ जब अमित शाह नें ओवैसी को दे डाली 'चुप' रहनें की हिदायत

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दिल्ली : केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री की सोच के मुताबिक नए भारत के आधारभूत ढांचे का विकास किया जा रहा है जिसमें पिछले पांच वर्षो में 17 लाख करोड़ रूपये की परियोजनाओं का काम अवार्ड हुआ है, साथ ही 8.41 लाख करोड़ रूपए की संशोधित लागत वाली भारतमाला परियोजना के तहत 65 हजार किलोमीटर सड़क निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। 

वर्ष 2019-20 के लिये सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि अगर लोग अच्छी सड़क चाहते हैं तो वह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि 'रोड टैक्स प्रणाली जारी रहेगी क्योंकि सरकार के पास पर्याप्त कोष नहीं है। 

मंत्री ने कहा, ''जो दे सकते हैं, उनसे लो और जो गरीब हैं, उन्हें दो। हमारी सरकार विकास के इसी मॉडल पर काम कर रही है ताकि प्रधानमंत्री के नये भारत के विकास के सपने को साकार किया जा सके। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस एवं कुछ अन्य सदस्यों के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार किसी राज्य के साथ कोई भेदभाव नहीं करती।

मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में करीब 40 हजार किलोमीटर सड़क का निर्माण हुआ और वैश्विक स्तर के हाइवे नेटवर्क तैयार करने पर 4 लाख 31 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए। यह संप्रग सरकार के दूसरे कार्यकाल के पांच वर्षों की तुलना में ज्यादा है।

गडकरी ने कहा सिर्फ उनके मंत्रालय ने पिछले पांच सालों में जीडीपी में पौने तीन प्रतिशत का योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार में सड़क, पोत परिवहन और जल संसाधन के क्षेत्रों में 17 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं का काम अवार्ड किया गया, लेकिन एक भी रुपये का भ्रष्टाचार नहीं हुआ।

उन्होंने कहा, ''मैं सदन को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए जो प्राथमिकता तय की थी उसके बहुत अच्छे नतीजे आए हैं। मंत्री ने कहा कि पांच साल में 17 लाख करोड़ रुपये के काम अवार्ड हुए। इनमें से 11 लाख करोड़ रुपये के काम सड़क क्षेत्र में, छह लाख करोड़ रुपये के काम पोत परिवहन और एक लाख करोड़ रुपये जल संसाधन क्षेत्र में हुए।

गडकरी ने कहा, ''इतने काम हो रहे हैं और एक भी रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ। मंत्री के जवाब के बाद आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने गडकरी के कार्यों की सराहना करते हुए अपने सभी कटौती प्रस्तावों को वापस ले लिया। इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से अनुदान की मांगों को मंजूरी दे दी।
 
मंत्री ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की कुछ समस्या है। ''कई सांसदों ने कुछ मुद्दे उठाए हैं, लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि 80 फीसदी भूमि का अधिग्रहण होने तक हम सड़क निर्माण का काम शुरू नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि साल 2014 से पहले से रुकी हुई 400 से अधिक परियोजनाओं से संबंधित 95 फीसदी समस्याएं खत्म की जा चुकी हैं। इससे बैंकों का तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक एनपीए (गैर निष्पादित संपत्तियां) होने से बचाया गया। 

सड़क परिवहन मंत्री ने कहा कि हम 22 ग्रीन एक्सप्रेसवे बना रहे हैं। इनमें से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे एक है। इससे दोनों महानगरों की दूरी 120 किलोमीटर कम हो जाएगी। सड़क परिवहन मंत्री ने लोकसभा में कहा कि इस ग्रीन हाइवे के 60 प्रतिशत ठेके आवंटित किए जा चुके हैं, इसलिए ढाई से तीन साल के बाद 12 घंटों में दिल्ली से मुंबई जाना संभव हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि दिल्ली-मुंबई मार्ग देशभर में तैयार किए जा रहे ग्रीन एक्सप्रेस हाइवे नेटवर्क का ही एक हिस्सा है। यह गुड़गांव से शुरू होकर सवाई माधोपुर, अलवर, रतलाम, झाबुआ, वड़ोदरा होते हुए मुंबई जाएगा। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट पर सिर्फ जमीन अधिग्रहण में 16 हजार करोड़ रुपये की बचत की है।

राजमार्गो पर पथकर के संबंध में सदस्यों के सवाल पर मंत्री ने कहा, '' पथकर जिंदगी भर बंद नहीं हो सकता। कम या ज्यादा हो सकता है। उन्होंने कहा कि चार महीने में सभी टॉल को फास्टट्रैक किया जायेगा। जो भी श्रेष्ठ प्रौद्योगिकी का उपयोग करना होगा, वह करेंगे.. किसी को रूकने की जरूरत नहीं होगी।
 
सड़क सुरक्षा एवं दुर्घटनाओं के बारे में सदस्यों की चिंताओं पर गडकरी ने कहा कि सड़क दुर्घटना में हर साल देश में डेढ लाख लोग मारे जाते हैं। इनमें से आधे लोगों की मौत के लिये रोड, इसका डीपीआर और रोड इंजीनियरिंग जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि देशभर में 786 ब्लॉक स्पॉट की पहचान की गई है और इस संबंध में 15 हजार करोड़ रूपये की परियोजना तैयार की गई है। इसे विश्वबैंक और एशियाई विकास बैंक को दिया गया है। 

गडकरी ने कहा कि पिछले पांच साल में देश में सड़क हादसों में केवल 3.5 से 4 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने सड़क दुर्घटनाओं में 15 प्रतिशत तक कमी लाने में सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए हम संरक्षा सुरक्षा विधेयक सदन में लाना चाहते हैं जिसे 18 राज्यों के परिवहन मंत्रियों ने तैयार किया है। यह स्थाई समिति और संयुक्त प्रवर समिति दोनों में गया। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों से लोगों की जान बचाने के लिए विधेयक को संसद की मंजूरी जरूरी है।

 

 

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दिल्ली : संसद के बजट सत्र के दौरान आज राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन.आई.ए.) बिल को लोकसभा में पेश किया गया. इस बिल पर जब भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह बोल रहे थे तब ए.आई.एम.आई.एम. चीफ असदुद्दीन ओवैसी बार-बार बीच में कुछ न कुछ टिप्पणी कर रहे थे.

इस सबके बीच केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह अचानक उठे और उन्होंने ओवैसी को सत्यपाल सिंह का भाषण ध्यान से सुनने के लिए कहा. इसी दौरान ओवैसी बीच में अमित शाह को भी टोकने लगे. अमित शाह ने इसके तुंरत बाद कहा,  'आपको सुनने की आदत डालनी होगी.' गृह मंत्री ने कहा 'जब कोई और बोलता है तो आप चुप रहकर सुनते हैं लेकिन जब सत्यपाल सिंह जी बोल रहे हैं तो आप लगातार बीच में बोल रहे हैं. आपको सुनने की आदत डालनी होगी.'

इसके बाद ओवैसी ने तंज कसते हुए  कहा कि मुझे डर लगता है. इसका जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, 'अगर आपके अंदर डर बैठा है तो हम क्या कर सकते है'. अमित शाह ने सभी विपक्षी के नेताओं को कहा कि 'जब आपका मौका आए तब बोलिए, किसी को डिस्टर्ब मत करिए.'

सत्यपाल सिंह

सत्यपाल सिंह 

वहीँ मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर और भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि आतंकवाद इसलिए फल-फूल रहा है, क्योंकि हम उसे राजनीतिक चश्मे से देखते हैं, जबकि हमें उससे मिलकर लड़ना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई ने आतंकवाद को खूब झेला है, क्योंकि वहां भी इसे राजनीतिक आईने में देखा गया.

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नई दिल्ली : पंजाब के मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद अहम मंत्रालय छीने जाने के बाद से खफा कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने अमरिंदर सिंह की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है. सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को संबोधित अपने इस्तीफे को रविवार को ट्विटर पर साझा किया.

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ConstitutionOfIndia

भारत का संविधान 

आइये आज जानते हैं कि किन परिस्थितियों में एक विधायक या सांसद अपने पद से इस्तीफा दे सकता है, और उसे किन स्थितियों में स्वीकार किया जा सकता है.

संविधान के आर्टिकल 190 में विधायकों या सांसदों के इस्तीफे पर दिशानिर्देश दिए गए हैं. इसी आर्टिकल में स्पीकर या किसी दूसरे प्रिजाइडिंग ऑफिसर को ये अधिकार दिया गया है, आइये जानतें हैं कि विधायकों और सांसदों के इस्तीफों के लिए हमारे संविधान में क्या कहा गया है-

  • स्पीकर चाहें तो इस्तीफा अस्वीकार कर सकते हैं. स्पीकर इस्तीफे की बाबत जांच करवा सकते हैं. इस्तीफा देने के पीछे वाजिब कारण होने चाहिए. अगर स्पीकर को लगता है कि इस्तीफा सही वजहों से नहीं दिया जा रहा है. अगर वो स्वैच्छिक या वास्तविक नहीं है तो स्पीकर इस्तीफे का नामंजूर कर सकते हैं.
  • विधायकों या सांसदों के अपने पद छोड़ने के कुछ और तरीके भी हैं. मसलन वो बिना अनुमति के हाउस की कार्यवाही से लगातार 60 दिन तक गैरहाजिर हो सकता है. ऐसी स्थिति में भी हाउस को ही ये फैसला लेना होता है कि ऐसे सदस्य की सदस्यता रद्द की जाए या नहीं.
  • इस बारे में एक व्यवस्था दल-बदल कानून की भी है. इस कानून के मुताबिक एक विधायक या सांसद की सदस्यता रद्द की जा सकती है, अगर वो स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ना चाहता हो या फिर उसने हाउस में वोटिंग की परिस्थिति में पार्टी लीडरशिप के निर्देशों की अवहेलना करता हो.
  • दलबदल कानून 1985 में बना है. इसका मकसद विधायकों या सांसदों का बार-बार पार्टी बदलने से रोकना है. 1985 के पहले ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें विधायकों या सांसदों ने विधानसभा या लोकसभा का सदस्य रहते हुए अपनी पार्टी बदल ली. हरियाणा के एक विधायक गया राम ने 9 घंटे के भीतर 3 बार पार्टी बदली थी.

KarnatakaSpeakerRameshKumar

इसकारण कर्नाटक में जिन विधायकों नें इस्तिफें दियें हैं, उनपर स्पीकर कड़ी कार्यवाही भी कर सकतें हैं.

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पेशी में राहुल अहमदाबाद पहुंचे कहा- डराने की हो रही कोशिश

नई दिल्ली : देश में हुई नोटबंदी के दौरान मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी और रणदीप सुरजेवाला ने ए.डी.सी.बी. पर 745 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी को व्हाइट करने का आरोप लगाया था. इसके खिलाफ बैंक के चेयरमैन अजय पटेल ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था.

अहमदाबाद में समर्थकों के साथ राहुल गाँधी 

अहमदाबाद में समर्थकों के साथ राहुल गाँधी 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लगातार कोर्ट के चक्कर लगा रहे राहुल गांधी शुक्रवार को अहमदाबाद कोर्ट पहुंचे थे. नोटबंदी के वक्त उन्होंने अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक पर करीब 745 करोड़ ब्लैकमनी को व्हाइट मनी में बदलने का आरोप लगाया था. राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था. उसी की पेशी में राहुल अहमदाबाद पहुंचे थे.

अहमदाबाद कोर्ट में पेश होने के बाद राहुल गांधी ने नाम लिए बिना भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला.

राहुल ने आरोप लगाया कि “उन्हें दबाने और डराने की कोशिश हो रही है.” उन्होंने कहा कि “मैं इससे नहीं डरता हूँ.” राहुल ने कहा कि “यह संविधान की लड़ाई है. देश के भविष्य की लड़ार्ई है, भ्रष्टाचार और अत्याचार के खिलाफ लड़ाई है.” उन्होंने कहा कि मैं खड़ा रहूंगा, लड़ता रहूंगा.

इसी मामले की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी शुक्रवार को कोर्ट में पेश हुए. राहुल गांधी ने कोर्ट में जमानत अर्जी दायर की. इसे स्वीकार करते हुए अदालत ने उन्हें 15 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी. मामले की अगली सुनवाई सात सितंबर को होनी है.

 

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छत्तीसगढ़ में मंत्रियों के अलावा इन नेताओं को मिलेगी लालबत्ती

दिल्ली : पिछले 18 सालों में पहली बार ऐसा हुआ जब लोकसभा में आधी रात तक चर्चा हुई. रेलवे की अनुदान मांगों पर चर्चा रात में करीब 12 बजे तक चली. इस चर्चा के दौरान विपक्ष के संसद सदस्य भी मौजूद रहे.

लोकसभा ने गुरुवार को वर्ष 2019-20 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर देर रात तक बैठकर चर्चा पूरी की. निचले सदन में रात्रि 11 बजकर 58 मिनट तक चर्चा हुई और करीब 100 सदस्यों ने इसमें हिस्सा लिया तथा अपने अपने क्षेत्रों से जुड़े विषयों को उठाया .

मध्यरात्रि तक संसद में कामकाज चलने के बाद रेल राज्यमंत्री सुरेश चन्नबसप्पा अंगदी ने कहा कि 'रेलवे एक परिवार की तरह है जो सभी को एक साथ लेकर चलता है और सभी को संतुष्ट करता है. सभी सदस्यों के अच्छे सुझाव मिलते हैं. पीएम मोदी के आने के बाद से रेलवे बदल गया है. वाजपेयी जी ने सड़कों के लिए बहुत कुछ किया, मोदी जी रेलवे के लिए कर रहे हैं.'

विडियो- टी.एम्.सी.सांसद नें फूटबाल खेलते हुए, प्रधानमंत्री से की गुज़ारिश विडियो देखें 

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने देर रात तक सदन की कार्यवाही चलाने की पहल के लिए लोकसभा अध्यक्ष के प्रति आभार प्रकट किया. उन्होंने कहा कि यह करीब 18 वर्षों में पहली बार ऐसी घटना है कि सदन ने देर रात तक इस तरह से बैठकर चर्चा की.

चर्चा के दौरान कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि आम बजट में रेलवे में सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी), निगमीकरण और विनिवेश पर जोर देने की आड़ में इसे निजीकरण के रास्ते पर ले जाया जा रहा है. विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार को बड़े वादे करने की बजाय रेलवे की वित्तीय स्थिति सुधारना चाहिए तथा सुविधा, सुरक्षा एवं सामाजिक जवाबदेही का निर्वहन सुनिश्चित करना चाहिए.

सत्तारूढ़ बीजेपी ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि रेलवे रोजाना नए प्रतिमान और कीर्तिमान गढ़ रहा है तथा पिछले पांच वर्षों में सफाई, सुगमता, सुविधाएं, समय की बचत और सुरक्षा आदि हर क्षेत्र में सुधार हुआ है. अब सरकार का जोर रेलवे में वित्तीय अनुशासन लाने पर है.

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छत्तीसगढ़ में मंत्रियों के अलावा इन नेताओं को मिलेगी लालबत्ती

  • मुंबई के पवाई इलाके के होटल रेनेसां में रुके हैं, सभी विधायक
  • सुप्रीम कार्ट के आदेश के बाद,
  • विमान से बंगलुरु रवाना होंगे
  • 6 बजे सरे बागी विधायक मिलेंगे, विधानसभा अध्यक्ष से

मुंबई : बागी विधायकों से मिलने पर अड़े कर्नाटक सरकार के संकटमोचक डी. के. शिवकुमार को मुंबई पुलिस ने हिरासत में ले लिया. बता दें कि शिवकुमार बागी कांग्रेसी विधायकों से मिलनें की जिद पर अड़े हुए थे, लेकिन उन्हें नहीं मिलने दिया गया, उनके खिलाफ कार्यकर्ताओं नें शिवकुमार वापिस जाओ के नारे भी लगातार लगते रहे, उन्होंने कहा, 'मैं अपने खिलाफ नारेबाजी से नहीं डरता. सुरक्षा के खतरे के कारण अंदर जाने नहीं दिया जा रहा। मैं महाराष्ट्र सरकार का बहुत सम्मान करता हूं. मेरे पास हथियार नहीं हैं।' वह भारी बारिश के बीच होटल के बाहर विधायकों से मिलने का इंतजार कर रहे थे. लेकिन, बागी विधायकों ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया.

वहीं, कर्नाटक राजभवन के बाहर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया. कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि कल सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों की याचिका पर कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी वकील होंगे.

ऐसा भी होता है-

जहां एक तरफ कर्नाटक गठबंधन की सरकार में जे.डी.एस. और कांग्रेस में नए नए नाटक हो रहे हैं वहीँ दूसरी ओर भाजपा भी रोज़ नए नये आरोप प्रत्यारोप लगा रही है. बता दें की मुंबई के एक आलिशान होटल में जहां सभी बागी विधायक रुके हुए हैं, उस होटल के बाहर कर्नाटक के वरिष्ट कांग्रेसी नेता, डी. के. शिवकुमार को विधायकों से मिलने के लिए भारी बारिश में होटल के बाहर ही बहुत देर तक इंतज़ार करना पड़ा, उन्हें होटल के बाहर ही रोक दिया गया था.

जे.डी.एस. के वरिष्ट नेता डी.के. शिवकुमार नें बताया की उन्होनें उस होटल में अपने और जे. डी. एस. के अन्य विधायकों के लिए होटल बुक करवाया था, मगर उन्हें अन्दर जानें नहीं दिया गया. शिवकुमार ने कहा कि पुलिस उन्हें कह रही है कि उनके नाम से कोई कमरा बुक नहीं है लेकिन मंत्री ने जोर दिया कि उन्होंने होटल में अपने नाम से एक कमरा बुक कराया था। वहीँ दूसरी ओर मंगलवार आधी रात में 12 बागी कांग्रेसी विधायकों में से 10 नें पुलिस को पत्र लिखकर मुम्बई पुलिस से सुरक्षा मांगी है. उन्होनें अपने पत्र में जान का खतरा होनें की बात कही है और डी. के. शिवकुमार को होटल में न आने देने की दरख्वास्त की बात लिखी है.

अब सुप्रीम कार्ट के आदेश के बाद सारे विधायकों को शाम 6 बजे विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार से मिलना है

 

बंगलुरु * कर्नाटक एच. डी. कुमारस्वामी की सरकार गिरता देख, सोनिया गांधी नें कमर कास ली है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोनिया गाँधी नें मामले की गंभीरता को देखते हुए, कांग्रेस के दो केन्द्रीय नेताओं को बेंगलुरु भेजा है.

कर्नाटक में जे.डी.एस. और कांग्रेस की गठबंधन पर संकट आ गया, जब वह लगातार विधायकों नें इस्तीफों का दौर शुरू कर दिया. हालाँकि विधानसभा के अध्यक्ष रमेश कुमार नें अब तक विधायकों द्वारा दिए इस्तीफे पर कोई फैसला नहीं लिया है, पर कांग्रेस पार्टी नें अपनी तरफ से मामले को गंभीरता से लेते हुए, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) चेयरपर्सन सोनिया गाँधी नें पार्टी के दो बड़े नेता गुलाम नबी आज़ाद और बी. के. हरिप्रसाद को कर्णाटक तलब किया है.

कांग्रेस की तरफ से ये दोनों नेता कर्णाटक में इस्तीफे का मसला हल करेंगे. के. सी. वेणुगोपाल नें गुलाम नबी आज़ाद के आने के बारे में जानकारी दी कि ‘मैंने ही उन्हें यहाँ बुलाया है, क्योकि यहाँ उनकी बहुत ज़रूरत है. इस मसले को वे सम्हाल सकते है”

मामला दरअसल ये था कि मंगलवार को कर्नाटक के 13 विधायकों नें विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार के समक्ष अचानक ही इस्तीफा भेजा, उन 13 बागी विधायकों में से 10 कांग्रेसी विधायक थे. विधायकों के इस्तीफे के कारण कर्नाटक में कांग्रेस और जे. डी. एस. का गठबंधन तुत्नें के कयास लगाए जा रहे हैं. अगर औसा होता है, तो सीटों के आधार पर वहां भाजपा की सरकार बनना तय माना जा रहा है.

मंगलवार को ही कांग्रेस नें विधायक दल की बैठक बुलाई थी इसमें कांग्रेस के 10 विधायक नहीं पहुंचे थे. एनी सभी विधायक वहां मौजूद थे. अनुपस्थित 10 विधायकों नें ही इस्तीफा देने की पेशकश की थी.

लेकिन अब तक विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार नें यही कहा है कि उनके पास अब तक एक बी विधायक का इस्तीफा नहीं पहुंचा है.

इस मामले में शुरू से ही कांग्रेस की तरफ से बयान दिया जा रहा है कि बागी विधायकों की वजह से कर्नाटक सरकार को कोई नुक्सान नहीं होगा.

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