ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली. करतारपुर कॉरिडोर को लेकर पाकिस्तान सरकार जल्द ही भारत के सामने एक प्रस्ताव भेजने की तैयारी में है। इसमें कॉरिडोर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। न्यूज एजेंसी ने पाक मीडिया के हवाले से बताया कि बगैर परमिट के किसी भी श्रद्धालु को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। पासपोर्ट भी जरूरी होगा और एक दिन में 500 श्रद्धालुओं को ही प्रवेश दिया जाएगा। भारत को तीन दिन पहले यात्रियों की जानकारी देना भी जरूरी होगा।
दोनों ही देश दे चुके हैं करतारपुर कॉरिडोर बनाने की सहमति
पाक की शर्त के मुताबिक, सभी श्रद्धालु 15 के ग्रुप में प्रवेश करेंगे। यह कॉरिडोर सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक ही खुला रहेगा। जितने श्रद्धालु दर्शन करते जाएंगे, उसी क्रम में दोनों तरफ उनके नाम और यात्रा के अनुसार डाटाबेस तैयार किया जाएगा। इस दौरान श्रद्धालुओं के बीच कोई विवाद होता है तो उसे कूटनीतिक तरीके से सुलझाया जाएगा।
भारत और पाकिस्तान करतारपुर कॉरिडोर बनाने को मंजूरी दे चुके हैं। 26 नवंबर को भारत ने गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक स्थान से इंटरनेशनल बॉर्डर तक बनने वाले इस कॉरिडोर का शिलान्यास किया था। इसके दो दिन बाद पाक ने बॉर्डर से करतारपुर साहिब तक जाने वाले कॉरिडोर के दूसरे हिस्से की नींव रखी। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने कॉरिडोर का शिलान्यास किया था।
भारत ने कॉरिडोर बनाने का पहले भी दिया था प्रस्ताव
भारत सरकार पहले भी कई बार पाक सरकार को इस कॉरिडोर को बनाने का प्रस्ताव दे चुकी है। लेकिन हाल ही में इमरान सरकार ने इस कॉरिडोर को बनाने पर सहमति जताई। यह गलियारा भारत के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक स्थान से इंटरनेशनल बॉर्डर तक बनाया जाएगा।
भारत में इस कॉरिडोर का करीब दो किलोमीटर का हिस्सा और पाकिस्तान में करीब तीन किलोमीटर का हिस्सा होगा। इसके निर्माण में करीब 16 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। चार महीने में इसे बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
गुरुनानक देवजी ने बिताए थे 18 साल
गुरुनानक देवजी ने करतारपुर साहब में अपने जीवन के 18 साल बिताए थे। यह भारत की सीमा से कुछ किलोमीटर अंदर पाकिस्तान की सीमा पर है। इस कॉरिडोर के बन जाने से लाखों सिख तीर्थयात्रियों को पवित्र स्थान पर जाने में मदद मिलेगी। फिलहाल, अभी यहां पर भारत की सीमा पर खड़े होकर दूरबीन की मदद से गुरुद्वारा के दर्शन की सुविधा है।
13 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्रियों ने शपथ ली, 18 विधायक पहली बार मंत्री बने
मंत्रिमंडल में सिर्फ एक महिला और एक मुस्लिम विधायक को जगह, पायलट खेमे से 7 मंत्री
34 साल के चांदना सबसे युवा और 75 साल के धारीवाल सबसे उम्रदराज मंत्री
मप्र, छत्तीसगढ़ में नए मंत्रियों को मंगलवार को दिलाई जा सकती है शपथ
जयपुर. राजस्थान में सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण हुआ। राज्यपाल कल्याण सिंह ने राजभवन में 13 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्रियों को शपथ दिलाई। तीन दिन चले मंथन के बाद दिल्ली में राजस्थान का मंत्रिमंडल तय हुआ था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ चर्चा के बाद 23 मंत्री तय किए थे। गहलोत के खेमे से 13 विधायकों को मंत्री बनाया गया है। वहीं, पायलट के करीबी माने जाने वाले सात विधायक मंत्री बने हैं। दो मंत्रियों का दोनों खेमों से बराबर संपर्क है। हरीश चौधरी ऐसे विधायक हैं जो राहुल की सिफारिश पर मंत्री बनाए गए हैं।
मंत्रिमंडल पर नजर डालें तो 18 विधायक पहली बार मंत्री बने, जबकि पहली बार चुनकर आए 25 से अधिक विधायकों में से किसी को भी मंत्री नहीं बनाया गया। 11 महिला विधायकों में से एकमात्र सिकराय विधायक ममता भूपेश मंत्री बनीं। मुस्लिमों में भी सिर्फ पोकरण विधायक सालेह मोहम्मद को मौका दिया गया। गठबंधन के दल आरएलडी से विधायक सुभाष गर्ग भी मंत्री बनाए गए।
कैबिनेट मंत्री
बीडी कल्ला (बीकानेर पश्चिम), शांति धारीवाल (कोटा उत्तर), परसादी लाल मीणा (लालसोट), मास्टर भंवरलाल मेघवाल (सुजानगढ़), लालचंद कटारिया (झोटवाड़ा), डॉ. रघु शर्मा (केकड़ी), प्रमोद जैन भाया (अंता), विश्वेंद्र सिंह (डीग-कुम्हेर), हरीश चौधरी (बायतू), रमेश मीणा (सपोटरा), उदयलाल आंजना (निंबाहेड़ा) , प्रताप सिंह खाचरियावास (सिविल लाइंस) और सालेह मोहम्मद (पोकरण) को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया।
राज्यमंत्री और स्वतंत्र प्रभार
गोविंद सिंह डोटासरा (लक्ष्मणगढ़- सीकर), ममता भूपेश (सिकराय), अर्जुन सिंह बामनिया (बांसवाड़ा), भंवर सिंह भाटी (कोलायत), सुखराम विश्नोई (सांचौर), अशोक चांदना (हिंडौली), टीकाराम जूली (अलवर ग्रामीण), भजनलाल जाटव (वैर), राजेन्द्र सिंह यादव (कोटपूतली) गठबंधन दल आरएलडी के सुभाष गर्ग (भरतपुर) को राज्यमंत्री या स्वतंत्र प्रभार वाला मंत्री बनाया गया है।
18 विधायकों को पहली बार बनाया गया मंत्री
रघु शर्मा, लाल चंद, विश्वेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, रमेश मीणा, प्रताप सिंह, उदयलाल आंजना, सालेह मोहम्मद, गोविंद डोटासरा, ममता भूपेश, अर्जुन बामनिया, भंवर सिंह, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदना, टीकाराम जूली, भजनलाल, राजेन्द्र यादव, सुभाष गर्ग।
मंत्रिमंडल में गहलोत खेमा भारी
अशोक गहलोत खेमा सचिन पायलट खेमा
बीडी कल्ला भंवरलाल मेघवाल
शांति धारीवाल रमेश मीणा
परसादी लाल मीणा प्रताप सिंह खाचरियावास
लालचंद कटारिया डॉ. रघु शर्मा
सालेह मोहम्मद प्रमोद जैन भाया
अर्जुन सिंह बामनिया उदयलाल आंजना
भंवर सिंह भाटी भजनलाल जाटव
सुखराम विश्नोई
अशोक चांदना
टीकाराम जूली
सुभाष गर्ग
विश्वेंद्र सिंह
राजेन्द्र सिंह यादव
दोनों खेमों से बराबर संपर्क : ममता भूपेश और गोविंद सिंह डोटासरा
राहुल गांधी की सिफारिश : हरीश चौधरी (कांग्रेस में सचिव हैं)
23 में से 9 मंत्री ग्रेजुएट, एक 10वीं पास
शिक्षा कितने मंत्री
ग्रेजुएट 9
बारहवीं 7
पोस्ट ग्रेजुएट 3
पीएचडी 3
दसवीं 1
इनमें से एक ने एमबीए, एक ने बीएड और तीन ने एलएलबी की है। सबसे युवा मंत्री 34 साल के अशोक चांदना हैं। सबसे बुजुर्ग 75 साल के शांति धारीवाल हैं।
पूरी कैबिनेट करोड़पति, दो की संपत्ति 100 करोड़ से ज्यादा
उदयलाल आंजना 107 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। विश्वेंद्र सिंह 104 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। इनके अलावा मुख्यमंत्री गहलोत और उपमुख्यमंत्री पायलट समेत सभी मंत्री करोड़पति हैं।
जयपुर-भरतपुर से सबसे ज्यादा मंत्री
14 जिलों से कोई मंत्री नहीं। सबसे ज्यादा 3-3 मंत्री जयपुर और भरतपुर से। दौसा-बीकानेर से 2-2, अलवर, चूरू, चित्तौड़, जालौर, बूंदी, अजमेर, कोटा, बाड़मेर, करौली, जैसलमेर, सीकर, बांसवाड़ा और बारां से 1-1 मंत्री बनाए गए हैं।
संवैधानिक पदों पर नवाजे जा सकते हैं वरिष्ठ नेता
विधायक सीपी जोशी, दीपेंद्र सिंह शेखावत, परसराम मोरदिया, भंवर लाल शर्मा, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, राजेंद्र पारीक, विजेंद्र ओला, राज कुमार शर्मा को मंत्री नहीं बनाया। इन्हें विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्यसचेतक, उप मुख्यसचेतक पद दिया जा सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव पर नजर
कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर सियासी समीकरण बैठाने की कोशिश की है। 25 में से 18 संसदीय क्षेत्रों से मंत्री बनाए गए हैं। जिन सात संसदीय क्षेत्रों से मंत्री नहीं बनाए गए हैं, उनमें शामिल पाली, सिरोही और झालावाड़ जिलों से एक भी कांग्रेस विधायक नहीं जीता है।
13 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्रियों ने शपथ ली, 18 विधायक पहली बार मंत्री बने
मंत्रिमंडल में सिर्फ एक महिला और एक मुस्लिम विधायक को जगह, पायलट खेमे से 7 मंत्री
34 साल के चांदना सबसे युवा और 75 साल के धारीवाल सबसे उम्रदराज मंत्री
मप्र, छत्तीसगढ़ में नए मंत्रियों को मंगलवार को दिलाई जा सकती है शपथ
जयपुर. राजस्थान में सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण हुआ। राज्यपाल कल्याण सिंह ने राजभवन में 13 कैबिनेट और 10 राज्यमंत्रियों को शपथ दिलाई। तीन दिन चले मंथन के बाद दिल्ली में राजस्थान का मंत्रिमंडल तय हुआ था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ चर्चा के बाद 23 मंत्री तय किए थे। गहलोत के खेमे से 13 विधायकों को मंत्री बनाया गया है। वहीं, पायलट के करीबी माने जाने वाले सात विधायक मंत्री बने हैं। दो मंत्रियों का दोनों खेमों से बराबर संपर्क है। हरीश चौधरी ऐसे विधायक हैं जो राहुल की सिफारिश पर मंत्री बनाए गए हैं।
मंत्रिमंडल पर नजर डालें तो 18 विधायक पहली बार मंत्री बने, जबकि पहली बार चुनकर आए 25 से अधिक विधायकों में से किसी को भी मंत्री नहीं बनाया गया। 11 महिला विधायकों में से एकमात्र सिकराय विधायक ममता भूपेश मंत्री बनीं। मुस्लिमों में भी सिर्फ पोकरण विधायक सालेह मोहम्मद को मौका दिया गया। गठबंधन के दल आरएलडी से विधायक सुभाष गर्ग भी मंत्री बनाए गए।
कैबिनेट मंत्री
बीडी कल्ला (बीकानेर पश्चिम), शांति धारीवाल (कोटा उत्तर), परसादी लाल मीणा (लालसोट), मास्टर भंवरलाल मेघवाल (सुजानगढ़), लालचंद कटारिया (झोटवाड़ा), डॉ. रघु शर्मा (केकड़ी), प्रमोद जैन भाया (अंता), विश्वेंद्र सिंह (डीग-कुम्हेर), हरीश चौधरी (बायतू), रमेश मीणा (सपोटरा), उदयलाल आंजना (निंबाहेड़ा) , प्रताप सिंह खाचरियावास (सिविल लाइंस) और सालेह मोहम्मद (पोकरण) को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया।
राज्यमंत्री और स्वतंत्र प्रभार
गोविंद सिंह डोटासरा (लक्ष्मणगढ़- सीकर), ममता भूपेश (सिकराय), अर्जुन सिंह बामनिया (बांसवाड़ा), भंवर सिंह भाटी (कोलायत), सुखराम विश्नोई (सांचौर), अशोक चांदना (हिंडौली), टीकाराम जूली (अलवर ग्रामीण), भजनलाल जाटव (वैर), राजेन्द्र सिंह यादव (कोटपूतली) गठबंधन दल आरएलडी के सुभाष गर्ग (भरतपुर) को राज्यमंत्री या स्वतंत्र प्रभार वाला मंत्री बनाया गया है।
18 विधायकों को पहली बार बनाया गया मंत्री
रघु शर्मा, लाल चंद, विश्वेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, रमेश मीणा, प्रताप सिंह, उदयलाल आंजना, सालेह मोहम्मद, गोविंद डोटासरा, ममता भूपेश, अर्जुन बामनिया, भंवर सिंह, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदना, टीकाराम जूली, भजनलाल, राजेन्द्र यादव, सुभाष गर्ग।
मंत्रिमंडल में गहलोत खेमा भारी
अशोक गहलोत खेमा सचिन पायलट खेमा
बीडी कल्ला भंवरलाल मेघवाल
शांति धारीवाल रमेश मीणा
परसादी लाल मीणा प्रताप सिंह खाचरियावास
लालचंद कटारिया डॉ. रघु शर्मा
सालेह मोहम्मद प्रमोद जैन भाया
अर्जुन सिंह बामनिया उदयलाल आंजना
भंवर सिंह भाटी भजनलाल जाटव
सुखराम विश्नोई
अशोक चांदना
टीकाराम जूली
सुभाष गर्ग
विश्वेंद्र सिंह
राजेन्द्र सिंह यादव
दोनों खेमों से बराबर संपर्क : ममता भूपेश और गोविंद सिंह डोटासरा
राहुल गांधी की सिफारिश : हरीश चौधरी (कांग्रेस में सचिव हैं)
23 में से 9 मंत्री ग्रेजुएट, एक 10वीं पास
शिक्षा कितने मंत्री
ग्रेजुएट 9
बारहवीं 7
पोस्ट ग्रेजुएट 3
पीएचडी 3
दसवीं 1
इनमें से एक ने एमबीए, एक ने बीएड और तीन ने एलएलबी की है। सबसे युवा मंत्री 34 साल के अशोक चांदना हैं। सबसे बुजुर्ग 75 साल के शांति धारीवाल हैं।
पूरी कैबिनेट करोड़पति, दो की संपत्ति 100 करोड़ से ज्यादा
उदयलाल आंजना 107 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। विश्वेंद्र सिंह 104 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं। इनके अलावा मुख्यमंत्री गहलोत और उपमुख्यमंत्री पायलट समेत सभी मंत्री करोड़पति हैं।
जयपुर-भरतपुर से सबसे ज्यादा मंत्री
14 जिलों से कोई मंत्री नहीं। सबसे ज्यादा 3-3 मंत्री जयपुर और भरतपुर से। दौसा-बीकानेर से 2-2, अलवर, चूरू, चित्तौड़, जालौर, बूंदी, अजमेर, कोटा, बाड़मेर, करौली, जैसलमेर, सीकर, बांसवाड़ा और बारां से 1-1 मंत्री बनाए गए हैं।
संवैधानिक पदों पर नवाजे जा सकते हैं वरिष्ठ नेता
विधायक सीपी जोशी, दीपेंद्र सिंह शेखावत, परसराम मोरदिया, भंवर लाल शर्मा, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, राजेंद्र पारीक, विजेंद्र ओला, राज कुमार शर्मा को मंत्री नहीं बनाया। इन्हें विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मुख्यसचेतक, उप मुख्यसचेतक पद दिया जा सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव पर नजर
कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर सियासी समीकरण बैठाने की कोशिश की है। 25 में से 18 संसदीय क्षेत्रों से मंत्री बनाए गए हैं। जिन सात संसदीय क्षेत्रों से मंत्री नहीं बनाए गए हैं, उनमें शामिल पाली, सिरोही और झालावाड़ जिलों से एक भी कांग्रेस विधायक नहीं जीता है।
बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत करिश्मे के सहारे चुनाव दर चुनाव जीत रही थी, लेकिन अभी जीत का सिलसिला अचानक टूट जाना यह बताता है कि मोदी का करिश्मा चल नहीं पा रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न सिर्फ एकजुट विपक्ष की ओर से बड़ा चैलेंज मिलेगा, बल्कि उन्हें अपनी पार्टी के भीतर से भी चुनौती मिल सकती है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले एक वर्ष में लगातार अपने को किसानों, आदिवासियों, दलितों और युवाओं के मुद्दे पर फोकस किया और केंद्र सरकार की नाकामियों की ओर जनता का ध्यान खींचा। पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद से राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी को सीधी चुनौती देते रहे हैं। उन्होंने नोटबंदी और राफेल से लेकर बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाने वाले उद्योगपतियों तक के सवाल ढंग से उठाए। संयोग ही है कि नतीजों के दिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का बतौर पार्टी अध्यक्ष एक साल पूरा हुआ है। कांग्रेस के पक्ष में आए जनादेश को भविष्य के नेता के रूप में राहुल गांधी की स्वीकृति की तरह भी देखा जाएगा। कांग्रेस के साथ कभी हां कभी ना के रिश्ते में जुड़े क्षेत्रीय दलों में भी राहुल गांधी के नेतृत्व से जुड़े संशय कुछ कम हो सकते हैं।