राजनीति

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येदियुरप्पा ने कहा- 2007 में जेडीएस के साथ शासन चलाने का अनुभव काफी खराब रहा था
‘लोकसभा चुनाव में 26 सीट हारने के बाद जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन जनता का भरोसा खो चुका’
बेंगलुरु. लोकसभा चुनाव के बाद कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन टूटने के कयास लगाए जा रहे थे। इस बीच कर्नाटक भाजपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि हम (भाजपा) राज्य में जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाने नहीं जा रहे। हम चाहते हैं कि फिर से चुनाव हों।
येदियुरप्पा ने साफ किया कि जेडीएस की मदद से सरकार बनाना असंभव है। एचडी कुमारस्वामी की अगुआई में 20-20 डील के तहत शासन चलाने का अनुभव काफी खराब रहा था। मैं दोबारा ऐसी गलती नहीं करना चाहता। 2007 में भाजपा और जेडीएस में 20-20 महीने सत्ता चलाने के लिए समझौता हुआ था। तब 20 महीने सरकार चलाने के बाद कुमारस्वामी ने पद से हटने से मना कर दिया था। इसके बाद भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
‘हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं’
येदियुरप्पा ने कहा-  हम नए विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हैं। पार्टी के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है। लोकसभा चुनाव में 26 सीट हारने के बाद जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन जनता का भरोसा खो चुका है। अगर इसके बाद भी गठबंधन सरकार चलती रहती है तो यह लोगों के मत के खिलाफ होगा।
येदियुरप्पा ने यह भी आरोप लगाया कि गठबंधन के दोनों धड़े (कांग्रेस और जेडीएस) जनता की समस्याएं सुलझाने की बजाय सत्ता में बने रहने की कवायद में ही जुटे हुए हैं। एक जून को होनी वाली बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी।
‘सुमनलता का स्वागत’
यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा सुमनलता अंबरीश का स्वागत करेगी, इस पर येदियुरप्पा ने कहा- अगर वे पार्टी में शामिल होना चाहें तो उनका स्वागत है। लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार सुमनलता ने मांड्या सीट से जेडीएस उम्मीदवार और कुमारस्वामी के बेटे निखिल को हराया था। जेडीएस प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा भी तुमकुर सीट से हार गए थे।

टेक्नोक्रेट्स के समूह ने 100% पर्चियों के मिलान की मांग की थी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जनप्रतिनिधियों को चुनने की राह में हम आड़े नहीं आएंगे
विपक्षी दल चुनाव आयोग से मिलकर 50% पर्चियों के मिलान की मांग करेंगे
कुमारस्वामी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ नहीं होंगे, ऐन मौके पर दिल्ली दौरा रद्द किया
नई दिल्ली. एग्जिट पोल्स के नतीजों में एनडीए को बहुमत मिलता देख विपक्षी दल ईवीएम पर सवाल उठाने लगे हैं। वे 50% ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में 20 विपक्षी दलों के नेता आज दोपहर बाद चुनाव आयोग से मिलेंगे। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों के मिलान की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि वह जनप्रतिनिधियों को चुनने की राह में हम आड़े नहीं आएगा। यह याचिका कुछ टेक्नोक्रेट्स ने लगाई थी।
उधर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने ऐन मौके पर दिल्ली दौरा रद्द कर दिया है। पहले वे भी विपक्षी नेताओं के साथ चुनाव आयोग से मिलने वाले थे। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उनकी पार्टी जेडीएस की ओर से विपक्षी नेताओं के समूह में कोई शामिल होगा या नहीं।
अफजाल अंसारी के आरोप चुनाव आयोग ने खारिज किए
उत्तरप्रदेश के गाजीपुर से गठबंधन प्रत्याशी अफजाल अंसारी की ओर से ईवीएम की सुरक्षा पर उठाए गए सवालों को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया। आयोग ने कहा है कि ईवीएम-वीवीपैट को पार्टियों के सामने सील किया गया। इसकी वीडियोग्राफी कराई गई। स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर सीसीटीवी लगे हैं। सीएपीएफ के जवान तैनात हैं। ऐसे में सभी आरोप आधारहीन हैं। इससे पहले सोमवार रात अफजाल ने ईवीएम में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए गाजीपुर में स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर हंगामा किया और धरने पर बैठ गए। इस सीट पर बाबुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल का केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा से मुकाबला है।
एनडीए को बहुमत मिलने का अनुमान
लोकसभा चुनाव के 10 में से नौ एग्जिट पोल्स ने एनडीए को स्पष्ट बहुमत दिया है। 18 मई को भी नायडू ने चुनाव आयोग से ईवीएम की जगह वीवीपैट से गिनती कराने की मांग की थी। उनके अलावा, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आप नेता संजय सिंह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी एग्जिट पोल और ईवीएम पर सवाल उठाए हैं।

नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि उनकी भी इंदिरा गांधी की तरह ही हत्या की जा सकती है। केजरीवाल ने एक न्यूज पेपर को दिए इंटरव्यू में यह बात कही। केजरी ने कहा कि मेरे निजी सुरक्षाकर्मी भाजपा और केंद्र सरकार को रिपोर्ट करते हैं और ऐसे में किसी भी पल मेरी हत्या की जा सकती है।
मेरा पीएसओ भाजपा सरकार को रिपोर्ट करता है- केजरी
इंटरव्यू में केजरी ने कहा- मेरे आसपास जो भी सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, वे भाजपा सरकार को रिपोर्ट करते हैं। मेरा निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) भी भाजपा सरकार को रिपोर्ट करता है। हो सकता है कि मेरे निजी सुरक्षा अधिकारी का इस्तेमाल करते हुए ठीक उसी तरह मेरी हत्या करवा दी जाए, जैसे इंदिरा गांधी का करवाई गई थी। भाजपा मेरी हत्या करवा सकती है। मेरी जिंदगी दो मिनट में खत्म हो सकती है।

दिल्ली पुलिस ने आरोपों को नकारा
केजरीवाल के आरोपों को दिल्ली पुलिस ने नकार दिया। दिल्ली पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा- दिल्ली के मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात हमारे जवान अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार और समर्पित हैं। हमारी यूनिट कई राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं को सुरक्षा प्रदान कर रही है।  
चुनाव प्रचार के दौरान केजरी को मारा गया था थप्पड़
दिल्ली के मोती नगर में प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल को एक युवक ने थप्पड़ मार दिया था। युवक ने केजरी की गाड़ी पर चढ़कर उन्हें थप्पड़ मारा था। आप ने इसे भाजपा की साजिश बताया था। आप सांसद संजय सिंह ने ट्वीट किया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री की सुरक्षा मोदी सरकार के अधीन है लेकिन केजरीवाल का जीवन सबसे असुरक्षित है। बार-बार हमला और फिर पुलिस का रोना, क्या इसके पीछे साजिश है? हिम्मत है तो सामने आकर वार करो दूसरों को हथियार बनाकर नहीं।

मोदी का प्रचार अभियान 28 मार्च को मेरठ से शुरू हुआ, 17 मई को खरगोन में खत्म
प्रचार अभियान में मोदी के 4 रोड शो हुए, आखिरी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस ने शामिल हुए
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 दिन के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान में 142 रैलियां कीं। इस दौरान उनका ज्यादा फोकस उत्तरप्रदेश, बंगाल और ओडिशा की 143 सीटों पर रहा। यहां मोदी ने 54 यानी (40%) जनसभाएं कीं। 28 मार्च को उत्तरप्रदेश के मेरठ से शुरू हुआ उनका प्रचार अभियान 17 मई को मध्यप्रदेश के खरगोन में खत्म हुआ। इस दौरान प्रधानमंत्री ने चार रोड शो किए। अभियान के आखिरी दिन शुक्रवार को मोदी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हुए।
प्रदेश    रैली
उत्तरप्रदेश    29
पश्चिम बंगाल    17
ओडिशा    8
पिछले चुनावों में भाजपा ने उत्तरप्रदेश की 80 सीटों में से 71 पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, बंगाल में उसे 42 में से सिर्फ 2 और ओडिशा की 21 में से सिर्फ एक सीट मिली थी।
बंगाल-ओडिशा के सहारे 300 पार पहुंचने की रणनीति: भाजपा नेता
पार्टी के एक शीर्ष नेता ने न्यूज एजेंसी से कहा कि मोदी ने सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन को टक्कर देने के लिए अपना सबसे ज्यादा फोकस उत्तरप्रदेश पर रखा। क्योंकि पार्टी को लग रहा था कि यहां 2014 की कामयाबी को दोहराना इस बार मुश्किल है। पार्टी ने बंगाल और ओडिशा के सहारे 300 सीटों के लक्ष्य को पार करने की रणनीति पर काम किया। इस बार यूपी में 60 सीट मिलने का भरोसा है।
बंगाल-ओडिशा से 30 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था
भाजपा नेता के मुताबिक, पार्टी की मंशा है कि बंगाल में प्रचार आक्रमक हो ताकि मतों का ध्रुवीकरण हो सके। बंगाल और ओडिशा में राह आसान करने के लिए संघ के वरिष्ठ नेताओं ने मदद की। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में पार्टी को झटका लगने पर बंगाल और ओडिशा में ज्यादा ताकत लगाई। पार्टी ने दोनों राज्यों से कम से कम 30 सीट जीतने का लक्ष्य रखा था।
छह राज्यों की 196 सीटों के लिए 50 रैलियां
नरेंद्र मोदी ने प्रचार अभियान में बिहार, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात को भी महत्व दिया। 196 सीटों वाले इन छह राज्यों में 50 रैलियां कीं। पिछले चुनाव में यहां अकेले भाजपा को 150 और सहयोगी दलों की मदद से 167 सीटें मिली थीं। पार्टी ने गुजरात (26) और राजस्थान (25) में क्लीन स्वीप किया था। मध्यप्रदेश की 29 में से 27 और कर्नाटक की 28 में से 17 पर जीत हासिल की थी।
पूर्वोत्तर में भी मोदी की 8 रैलियां
प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के राज्यों में 8, झारखंड में 4, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में 3-3, तेलंगाना, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, जम्मू-कश्मीर और केरल में 2-2 रैलियां कीं। जबकि दिल्ली और गोवा में एक-एक रैली की।

शाह की बंगाल में आज तीन रैलियां थीं, जाधवपुर में हेलिकॉप्टर उतारने की इजाजत न मिलने की वजह से सभा रद्द
भाजपा अध्यक्ष ने कहा- जाधवपुर ममता के भतीजे की सीट, उन्हें डर है, कहीं तख्त पलट न जाए
ममता सरकार ने पहले भी भाजपा को रथ यात्रा की इजाजत नहीं दी थी, लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची
कोलकाता.  भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को प.बंगाल के जॉय नगर में जनसभा की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य सरकार पर निशाना साधा। शाह ने कहा, "ममता दीदी कहती हैं कि बंगाल में जय श्रीराम नहीं बोल सकते। मैं इस मंच से जय श्रीराम बोल रहा हूं और यहां से कोलकाता जाने वाला हूं। ममता दीदी हिम्मत हो तो गिरफ्तार कर लेना।''
शाह की बंगाल में आज तीन रैलियां होनी थीं। लेकिन ममता सरकार ने अमित शाह को जाधवपुर में रैली करने की इजाजत नहीं दी। भाजपा सूत्रों ने बताया कि तृणमूल सरकार ने पार्टी अध्यक्ष के हेलिकॉप्टर को उतारने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया। इसके चलते रैली रद्द करनी पड़ी।
ममता के भतीजे की सीट पर नहीं मिली रैली की इजाजत- शाह
जाधवपुर में रैली रद्द होने पर शाह ने कहा- मेरी यहां तीन रैलियां होनी थीं। जयनगर में तो आ गया मगर दूसरी जगह ममता दीदी के भतीजे की सीट थी। वहां पर हमारे जाने से ममताजी डरती हैं कि भाजपा वाले इकट्ठे होंगे तो भतीजे का तख्त उल्टा हो जाएगा। इसलिए उन्होंने सभा की इजाजत नहीं दी।
'ममता राज में दुर्गा पूजा की अनुमति तक नहीं मिलती'
भाजपा अध्यक्ष ने कहा- बंगाल की जनता ने तय किया है कि इस बार 23 से ज्यादा सीटें हमारे नेता मोदीजी की झोली में डालने जा रहे हैं। ममता दीदी के राज में दुर्गा पूजा की अनुमति नहीं मिलती, सरस्वती पूजा करने पर उनके गुंडे मारपीट करते हैं। 23 मई को जो मतगणना होने वाली है। 19 मई को ममता का तख्त पलट दीजिए। मैं गारंटी देता हूं कि भाजपा यहां ऐसा माहौल बनाएगी कि पूरे बंगाल में शान के साथ फिर से दुर्गा पूजा हो सकेगी।
 
चुनाव आयोग बंगाल में मूक दर्शक- भाजपा
भाजपा सांसद अनिल बलूनी कहा कि चुनाव आयोग तृणमूल सरकार के अलोकतांत्रिक फैसलों को लेकर मूक दर्शक बना हुआ है। भाजपा राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेगी। 19 मई को आखिरी चरण में बंगाल की 9 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है।
ममता सरकार ने शाह की रथ यात्रा पर भी लगाई थी रोक
ममता सरकार ने लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के लिए भाजपा की रथ यात्रा की मंजूरी नहीं दी थी। इसे लेकर दोनों पार्टियां सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी हेलिकॉप्टर लैंडिंग की मंजूरी नहीं मिली थी। इसके बाद योगी सड़क के रास्ते सभा करने बंगाल गए थे।
युवा नेता प्रियंका की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
ममता की फोटो को फोटोशॉप के जरिए मीम बनाकर शेयर करने वाली भाजपा कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई करेगा। न्यायिक हिरासत में भेजी गईं प्रियंका ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। असम के भाजपा नेता हेमंत बिस्व शर्मा ने कहा कि भाजपा की युवा नेता की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की आजादी का हनन बताया। दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर प्रियंका के समर्थन में #Isupportpriyankasharma कैंपेन चल रहा है। यूजर ममता के मीम को अपनी डीपी बना रहे हैं।

शिवराज सिंह ने कहा- कमलनाथजी अपने सलाहकार बदलें, ये आपकी लुटिया डुबा देंगे
भोपाल. मध्यप्रदेश में किसानों की कर्जमाफी पर सियासत गर्म है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने परिवार के सदस्यों के कर्ज माफ होने के दावे को खारिज कर दिया है। एक दिन पहले ही बुधवार को ग्वालियर की चुनावी सभा में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि शिवराज के भाई रोहित सिंह और सगे चाचा के बेटे निरंजन सिंह का भी कर्ज माफ हुआ है इसके बाद भी वे सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।
चौहान ने कहा है कि राहुल गांधी और मुख्यमंत्री कमलनाथ किसान कर्जमाफी मामले में अभी भी गुमराह कर रहे हैं। राहुल सूची दिखा रहे थे कि मेरे भाई रोहित चौहान का कर्जा माफ हुआ है। मैंने हकीकत जाननी चाही तो पता चला कि मेरे भाई ने कर्जमाफी का आवेदन ही नहीं किया था।
शिवराज ने कर्जमाफी की सूची दिखाते हुए कहा कि इसमें मेरे भाई रोहित के नाम के आगे लिखा है- आयकरदाता। अगले कॉलम में लिखा है कि कर्जमाफी के लिए कोई आवेदन नहीं किया। कमलनाथ बताएं कि उन्होंने कैसे कर्जमाफ कर दिया। आखिर मेरे ऊपर इतनी मेहरबानी क्यों?

किसान कर्जमाफी कांग्रेस सरकार का झूठ
शिवराज ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अब तक किसानों का कर्जमाफ नहीं किया। उल्टा मुझे आई ड्रॉप, बादाम, च्यवनप्राश भेजा, ताकि मैं देख सकूं कि कितने किसानों का कर्जमाफ हुआ है। शिवराज ने कहा कि किसान कर्जमाफी कांग्रेस सरकार का झूठ है। वे प्रदेश के किसानों को मूर्ख समझते हैं, जब तक बैंक किसानों को कर्जमाफी का प्रमाण पत्र नहीं देता तब तक कर्जमाफी नहीं मानी जाती। उन्होंने कमलनाथ को मशविरा भी दिया। कहा- कमलनाथजी अपने सलाहकार बदल लें, ये आपकी लुटिया डुबा देंगे।

शिवराज ने कांग्रेस को वापस भेजा च्यवनप्राश
प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवराज च्यवनप्राश लेकर पहुंचे। उन्होंने कहा- बुधवार को कांग्रेस ने मेरे घर बाबा रामदेव का च्यवनप्राश भेजा है। इसका मतलब कांग्रेस की पूरी श्रद्धा बाबा रामदेव के साथ है। शिवराज ने भाजपा नेताओं से कहा कि ये सब सामान कांग्रेस नेताओं को देकर आएं और उनसे कहें कि ये कमलनाथ और राहुल गांधी तक पहुंचाएं।

मोदी ने कहा- दीदी! चिटफंड घोटाला करने वालों को भी थप्पड़ मारने का दम दिखाया होता
प्रधानमंत्री ने कहा- पश्चिम बंगाल के लोगों के साथ किया गया विश्वासघात दीदी को ले डूबेगा
कोलकाता. कोलकाता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के बांकुरा और पुरुलिया में जनसभाएं कीं। उन्होंने कहा कि मैं तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दीदी कहकर आदर देता हूं। वह मुझे थप्पड़ मारना चाहती हैं तो वह भी खा लूंगा। यह मेरे लिए आशीर्वाद होगा। ममता ने 7 मई को पुरुलिया में कहा था कि पैसा मेरे लिए मायने नहीं रखता। वे (मोदी) यहां आकर मेरी पार्टी पर तोलाबाजी का आरोप लगा रहे हैं। मैं उन्हें लोकतंत्र का थप्पड़ मारना चाहती हूं।
मोदी ने बांकुरा में कहा कि दीदी कितनी परेशान हैं, उसका अंदाजा उनकी भाषा से लगाया जा सकता है। वे अब मेरे लिए पत्थरों और थप्पड़ों की बात करती हैं। मुझे तो गालियों की आदत है, लेकिन बौखलाहट में दीदी देश के संविधान का भी अपमान कर रही हैं। मोदी आज उत्तरप्रदेश के आजमगढ़, जौनपुर और प्रयागराज में भी जनसभाएं करेंगे।
‘विश्वासघात दीदी को ले डूबेगा’
मोदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों के साथ किया गया यह विश्वासघात ही दीदी को ले डूबेगा। इस माहौल में जिस शक्ति के साथ आप टीएमसी के गुंडों के सामने खड़े हो रहे हैं, उसकी पूरे देश में चर्चा है। दीदी के अत्याचार ही उनके शासन को उखाड़ फेंकने का काम कर रहे हैं। दीदी की पार्टी वाले तो मनरेगा को नहीं छोड़ रहे। जॉब कार्ड गरीबों का अधिकार है, लेकिन उसे भी टीएमसी के तोलेबाजों ने दबाकर रखा है। ये लोग गरीबों के निवाले की भी चोरी करते हैं।
‘लोगों की चिंता करें दीदी’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दीदी को उन बेटियों के गुस्से की चिंता करनी चाहिए, जिनके साथ आए दिन यहां अत्याचार होते हैं। उन युवा साथियों के गुस्से की चिंता करनी चाहिए, जिनको परीक्षा पास करने के बावजूद नौकरी नहीं मिली। उन कर्मचारियों के गुस्से की चिंता करनी चाहिए, जिनको सैलरी नहीं मिलती, डीए नहीं मिल रहा। 7वें पे कमीशन के हिसाब से वेतन नहीं मिल रहा। दीदी को उन कालीभक्तों, सरस्वतीभक्तों, दुर्गाभक्तों, रामभक्तों के गुस्से की चिंता करनी चाहिए, जिनको पूजा भी डर-डरकर करनी पड़ती है।’’
‘‘दीदी के मन में घुसपैठियों के लिए, विदेशी कलाकारों के लिए ममता है, लेकिन आदिवासी और जो राष्ट्र की सुरक्षा में भूमिका निभा रहे हैं, उनके लिए कोई ममता नहीं। जब हमारे सपूतों ने पाकिस्तान के आतंकियों को घर में घुसकर मारा, तो दीदी ने आतंकियों की लाशें दिखाने की मांग की। जब पूरा देश सर्जिकल स्ट्राइक डे मना रहा था, तो पश्चिम बंगाल की सरकार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।’’
‘गणतंत्र को गुंडातंत्र में बदला’
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में मोदी ने कहा- जिस तरह आप यहां दीदी की सत्ता के विरोध में उठ खड़े हैं, उसने दीदी की जमीन खिसका दी है। मैं आप सभी को आश्वस्त करता हूं कि भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता आपके साथ है। पूरा देश आपके साथ है। पहला धक्का 23 मई को लगेगा और फिर दीदी की दमनकारी सत्ता का पतन शुरु हो जाएगा। 23 मई के बाद भारत का संविधान सभी का हिसाब करेगा। देश का लोकतंत्र सभी का हिसाब चुकता करेगा।
‘‘मैं आपको आश्वासन देने आया हूं कि जिन घुसपैठियों को दीदी और टीएमसी ने अपना काडर बनाया है, उनकी चुन-चुनकर पहचान होगी। जो यहां हमारी बेटियों को परेशान करते हैं, हमारे सभ्य बंगाली मानुष को परेशान करते हैं, उनकी पहचान की जाएगी। कहते हैं पुरुलिया जो आज सोचता है, वही पश्चिम बंगाल की सोच बन जाती है। जिन्होंने यहां गणतंत्र को गुंडातंत्र में बदला है, उनके दिन अब गिनती के रह गए हैं। आज देश में मोदी को गाली देने का बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। पांच चरणों में देश ने एकमत होकर जो मतदान किया है, उससे महामिलावटी दल हताश हो चुके हैं। आपके इस प्यार को मैं ब्याज समेत विकास करके लौटाऊंगा।’’

सुप्रीम कोर्ट राफेल केस पर पुनर्विचार के लिए राजी हुआ था, इस पर राहुल ने कहा था- कोर्ट ने मान लिया कि चौकीदार चोर है
इस बयान पर भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने राहुल के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी
राहुल ने इससे पहले दो हलफनामे दाखिल किए, दोनों बार सिर्फ खेद जताया था
साफ तौर पर माफी नहीं मांगने पर शीर्ष अदालत ने कांग्रेस अध्यक्ष को फटकार लगाई थी
नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है बयान को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांग ली। राहुल ने अवमानना के मामले में पहले दायर किए गए दो हलफनामों में सिर्फ खेद जताया था। इस पर कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई थी। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत से मौखिक रूप से माफी मांगी थी। इसके साथ ही नया हलफनामा दाखिल करने की मोहलत मांगी थी।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट राफेल डील के लीक दस्तावेजों को सबूत मानकर मामले की दोबारा सुनवाई के लिए राजी हो गया था। इस पर राहुल ने कहा था कि कोर्ट ने मान लिया कि ‘चौकीदार ही चोर है।’ इसके बाद भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना का केस दायर कर दिया था। इस पर कोर्ट ने राहुल को बिना नोटिस जारी किए ही जवाब मांगा था। राहुल ने 22 अप्रैल को माना था कि कोर्ट ने ऐसा कुछ नहीं कहा और गर्म चुनावी माहौल में जोश में उनके मुंह से यह बात निकल गई। उन्होंने अपनी टिप्पणी पर खेद जताया था।
लेखी के वकील ने कहा था- राहुल के खेद जताने को माफी मांगना नहीं कह सकते
23 अप्रैल को मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने लेखी के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि राहुल ने जवाब में क्या लिखा? इस पर रोहतगी ने कहा कि राहुल ने माना है कि उन्होंने कोर्ट का आदेश देखे बगैर पत्रकारों को गलत बयान दिया था। रोहतगी ने यह भी कहा कि जिस तरह खेद जताया गया है उसे माफी मांगना नहीं कहा जा सकता।
तब कोर्ट ने जारी कर दिया नोटिस
रोहतगी के दावे पर सिंघवी ने कहा कि कोर्ट ने उनके मुवक्किल से सिर्फ स्पष्टीकरण मांगा था जो उन्होंने दिया। कोर्ट ने उन्हें नोटिस नहीं जारी किया था। इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगाेई ने कहा कि आप कह रहे हैं कि नोटिस जारी नहीं हुआ, तो अब नोटिस दे रहे हैं।

सत्रहवीं लोकसभा के इस महासंग्राम में हिंसा की घटनाओं पर नियंत्रण बनाये रखने के लिये चुनाव आयोग के प्रयासों की प्रशंसा होनी चाहिए। अमूमन हर बार चुनाव आयोग मतदान के समय साधारण लोगों को डराने-धमकाने, लोभ देने के साथ-साथ हिंसा करने से रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम करता है। लेकिन इसके बावजूद देश के बाकी राज्यों की अपेक्षा पश्चिम बंगाल में जिस तरह की खबरें आई उससे साफ है कि अभी तक वहां पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करा पाना चुनाव आयोग के सामने एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस चुनौती पर खरे उतर कर ही हम देश में स्वस्थ एवं सशक्त लोकतंत्र की स्थापना कर पाएंगे।

भाजपा को जिताए


पश्चिम बंगाल में लोकतांत्रिक मूल्यों का जिस तरह से मखौल उड़ाया जाता है, वह एक गंभीर चिन्ता का विषय है। वहां चुनावी हिंसा का एक लंबा अतीत रहा है और आमतौर पर वहां हिंसा से मुक्त चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती रही है। मगर हाल के वर्षों में चुनाव आयोग की सख्ती की वजह से उम्मीद की गई थी कि वहां हिंसा की घटनाओं में कमी आएगी। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद वहां हिंसा, अराजकता, अशांति, डराना-धमकाना, वोटों की खरीद-फरोख्त, दादागिरी की जिस तरह की त्रासद एवं भयावह घटनाएं घटित हो रही है, उसने लोकतांत्रिक मूल्यों के मानक बदल दिये हैं न्याय, कानून और व्यवस्था के उद्देश्य अब नई व्याख्या देने लगे हैं। वहां चरित्र हासिए पर आ गया, सत्तालोलुपता केन्द्र में आ खड़ी हुई। वहां कुर्सी पाने की दौड़ में जिम्मेदारियां नहीं बांटी जा रही, बल्कि चरित्र को ही बांटने की कुचेष्टाएं हो रही हैं और जिस राज्य का चरित्र बिकाऊ हो जाता है उसकी आत्मा को फिर कैसे जिन्दा रखा जाए, चिन्तनीय प्रश्न उठ खड़ा हुआ है। आज कौन पश्चिम बंगाल में अपने दायित्व के प्रति जिम्मेदार है? कौन नीतियों के प्रति ईमानदार है? कौन लोकतांत्रिक मूल्यों को अक्षुण्ण रखते हुए निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव कराने के लिये प्रतिबद्ध है?
 
पश्चिम बंगाल में इस बार चुनावों में व्यापक अराजकता एवं हिंसा की संभावनाएं पहले से ही बनी थी, मतदान रोकने या मतदाताओं को डराने-धमकाने के मकसद से हिंसक घटनाएं होने की व्यापक संभावनाओं को देखते हुए  सुरक्षा इंतजामों में बढ़ोतरी भी की गई। इसके बावजूद राज्यों के मुर्शिदाबाद में डोमकाल और रानीनगर के अलावा मालदा में भी हिंसा की खबरें सामने आईं। विडंबना यह है कि इसके पहले भी दोनों चरणों में पश्चिम बंगाल में मतदान की प्रक्रिया को बाधित करने के लिए हिंसक घटनाओं का सहारा लिया गया। तीसरे चरण में मुर्शिदाबाद के बालीग्राम में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हो गई, जिसमें वोट देने के के लिए लाइन में खड़े एक युवक की जान चली गई। सख्त सुरक्षा इंतजामों के बावजद इस घटना के बाद आलम यह था कि वहां अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया और कड़ी मशक्कत के बाद ही सुरक्षा बलों को हालात पर काबू पाने में कामयाबी मिल सकी। प्रश्न है कि इस तरह की हिंसा घटनाओं से लोकतंत्र के इस महाकुंभ में कब तक काले पृष्ठों को जोड़ा जाता रहेगा? सवाल यह भी है कि कुछ बूथों पर आतंक और हिंसक माहौल बनाकर मतदाताओं को वोट देने से कब तक वंचित किया जाता रहेगा? एक गंभीर सवाल यह भी है कि लोकतंत्र के इस यज्ञ में शामिल होने वाले निर्दोष मतदाता कब तक अपनी जान गंवाते रहेंगे? कब तक मनमाने तरीके मतदान कराया जाता रहेगा? अगर यह स्थिति बनी रही तो ऐसी दशा में हुए चुनावों के नतीजे कितने विश्वसनीय माने जाएंगे। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि पश्चिम बंगाल या देश के किसी भी हिस्से में हिंसा के माहौल में हुआ मतदान लोकतंत्र की कसौटी पर सवालों के घेरे में रहेगा। इस तरह के माहौल से बननी वाली सरकारों को कैसे लोकतांत्रिक सरकार कहा जा सकता है? लोकतांत्रिक मूल्यों से बेपरवाह होकर जिस तरह की राजनीति हो रही है, उससे कैसे आदर्श भारत का निर्माण होगा? 
 
सवाल है कि चुनाव में शामिल पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं को यह बात क्यों नहीं समझा पाती कि हिंसा की छोटी वारदात भी न केवल लोकतंत्र कमजोर करती है बल्कि यह चुनाव प्रक्रिया पर एक कलंक है। बात हिंसा की ही नहीं बल्कि मतदाता को अपने पक्ष में वोटिंग कराने के लिए अलग-अलग तरीके से प्रभावित करने से लेकर लालच और यहां तक कि धमकी देने तक की भी हैं। विडंबना यह है कि राज्य में लगभग सभी मुख्य पार्टियों को जहां इस तरह के हिंसक हालात नहीं पैदा होने देने की कोशिश करनी चाहिए, वहां कई बार उनके समर्थक खुद भी हिंसा में शामिल हो जाते हैं। अगर चुनाव में भाग लेने वाली पार्टियों को अपने समर्थकों की ओर से की जाने वाली ऐसी अराजकता से कोई परेशानी नहीं है तो क्या वे इस मामले में हिंसा कर सकने और अराजक स्थितियां पैदा करने में समर्थ समूहों को भी स्वीकार्यता नहीं दे रहे हैं? अगर यह प्रवृत्ति तुरंत सख्ती से नहीं रोकी गई तो क्या एक भयावह और जटिल हालात नहीं पैदा करेगी, जहां लोगों के वोट देने के अधिकार का हनन होगा और आखिरकार अराजक तत्वों को संसद में पहुंचने में मदद मिलेगी? पश्चिम बंगाल में सर्वत्र चुनाव शांति, अहिंसक एवं निष्पक्ष तरीके से सम्पन्न कराने के प्रश्न पर एक घना अंधेरा छाया हुआ है, निराशा और दायित्वहीनता की चरम पराकाष्ठा ने वहां चुनाव प्रक्रिया को जटिल दौर में लाकर खड़ा कर दिया है। वहां चुनाव गुमराह एवं रामभरोसे ही है। चुनाव के इस महत्वपूर्ण अनुष्ठान को लापरवाही से नहीं संचालित किया जा सकता। हम यह न भूलें कि देश के नेतृत्व को निर्मित करने की प्रक्रिया जिस दिन अपने सिद्धांतों और आदर्शों की पटरी से उतर गयी तो पूरी लोकतंत्र की प्रतिष्ठा ही दांव पर लग जायेगी, उसकी बरबादी का सवाल उठ खड़ा होगा। पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र कितनी ही कंटीली झांड़ियों के बीच फंसा हुआ है। वहां की अराजक एवं अलोकतांत्रिक घटनाएं प्रतिदिन यही आभास कराती है कि अगर इन कांटों के बीच कोई पगडण्डी नहीं निकली तो लोकतंत्र का चलना दूभर हो जायेगा। वहां की हिंसक घटनाओं की बहुलता को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि राजनैतिक लोगों से महात्मा बनने की उम्मीद तो नहीं की जा सकती, पर वे पशुता पर उतर आएं, यह ठीक नहीं है।


पश्चिम बंगाल के भाग्य को निर्मित करने के लिये सबसे बड़ी जरूरत एक ऐसे नेतृत्व को चुनने की है जो और कुछ हो न हो- अहिंसक हो, लोकतांत्रिक मूल्यों को मान देने वाला हो और राष्ट्रीयता को मजबूत करने वाला हो। दुःख इस बात का है कि वहां का तथाकथित नेतृत्व लोकतांत्रिक मूल्यों की कसौटी पर खरा नहीं है, दोयम है और छद्म है, आग्रही और स्वार्थी है, हठ एवं तानाशाही है। इन चुनावों में ऐसे नेतृत्व को गहरी चुनौती मिलनी ही चाहिए, जो उसके लिये एक सबक बने। सर्वमान्य है कि वही नेतृत्व सफल है जिसका चरित्र पारदर्शी हो। सबको साथ लेकर चलने की ताकत हो, सापेक्ष चिंतन हो, समन्वय की नीति हो और निर्णायक क्षमता हो। प्रतिकूलताओं के बीच भी ईमानदारी से पैर जमाकर चलने का साहस हो। वहां योग्य नेतृत्व की प्यासी परिस्थितियां तो हैं, लेकिन बदकिस्मती से अपेक्षित नेतृत्व नहीं हैं। ऐसे में सोचना होगा कि क्या नेतृत्व की इस अप्रत्याशित रिक्तता को भरा जा सकता है? क्या पश्चिम बंगाल के सामने आज जो भयावह एवं विकट संकट और दुविधा है उससे छुटकारा मिल सकता है?


 
ललित गर्ग

अमेठी में प्रियंका गांधी वाड्रा के सामने बच्चों ने लगाए मोदी विरोधी नारे
स्मृति ईरानी ने ट्वीट किया- जिनकी शोहरत वंशवाद के चलते है उनसे प्रधानमंत्री को अत्यंत भद्दे शब्द सुनने पड़ते हैं
अमेठी. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें कुछ बच्चे प्रियंका गांधी वाड्रा के सामने मोदी विरोधी नारे लगाते हुए दिख रहे हैं। दरअसल, एक बच्चा नारे लगवा रहा है। पहली बार 'चौकीदार चोर है' का नारा लगवाया। इस पर प्रियंका मुस्कुराती रहीं। दूसरी बार बच्चों से मोदी के लिए अपशब्द बुलवाया। इस पर प्रियंका ने बच्चों से कहा- ये वाला नारा अच्छा नहीं लगा। आपको अच्छे बच्चे बनना है। इसके बाद बच्चों ने राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे लगाए।
स्मृति ने प्रियंका पर साधा निशाना
स्मृति ईरानी ने प्रियंका पर पलटवार करते हुए ट्वीट किया, "यह अत्यंत अशिष्ट है। आप सोच सकते हैं कि जिनकी शोहरत केवल वंशवाद के चलते है उनसे प्रधानमंत्री को अत्यंत भद्दे शब्द सुनने पड़ते हैं। इस बात पर लुटियंस में गुस्सा दिखाई दिया क्या?"
प्रियंका ने संभाल रखा है अमेठी का मोर्चा
कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को पूर्वांचल की जिम्मेदारी दी है। इस वजह से वह आए दिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रचार-प्रसार के लिए अमेठी का दौरा कर रही हैं। उधर, स्मृति अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। वह 2014 में इस सीट से राहुल से लोकसभा का चुनाव हार चुकी हैं।
रविवार को प्रियंका ने कहा कि पांच साल में स्मृति केवल 16 बार अमेठी आईं। इस पर स्मृति ने कहा कि खुश हूं कि वे अमेठी दौरे के दिनों का हिसाब रख रही हैं। उन्हें (प्रियंका) लोगों को यह भी बताना चाहिए कि 15 साल से अमेठी का सांसद (राहुल गांधी) कहां है?
'चौकीदार चोर है' पर राहुल की तरफ से सिंघवी ने मांगी माफी
सियासी गलियारों में 'चौकीदार चोर है' नारे को लेकर इन दिनों खासा बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है वाले अपने बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को नया हलफनामा दायर किया। उन्होंने इसमें भी खेद ही जताया है, माफी नहीं मांगी। मंगलवार को राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपने मुवक्किल के बयान के लिए माफी मांगी। राहुल ने हलफनामे में कहा कि राजनीतिक लड़ाई में उनका कोर्ट को घसीटने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी पर अवमानना याचिका के जरिए राजनीति करने का आरोप लगाया था।

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