राजनीति

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पटना। बिहार में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत जोरों पर है। बीते बुधवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विरोध में महागठबंधन ने बिहार बंद का आह्वान किया था। संसद में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस नेता राहुल गांधी व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व राजद नेता तेजस्वी यादव बिहार बंद के मार्च का नेतृत्व कर रहे थे। दोनों नेता जिस गाड़ी में सवार थे, उस पर कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार और निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी चढ़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें चढ़ने नहीं दिया गया। इस पर अब चुनावी रणनीतिकार एवं जनसुराज के नेता प्रशांत किशोर का बयान आया है। पीके ने कहा कि राजद कन्हैया कुमार से डरती है।
पीके ने कहा कि कन्हैया कुमार और उनके जैसे युवा नेताओं से राजद (राजद) के नेतृत्व और खासकर लालू परिवार को डर लगा रहता है। वे उन्हें आगे नहीं आने देना चाहते हैं। राजद को लगता है कि यदि कन्हैया जैसे युवा नेता बिहार की राजनीति में आगे आएंगे, तब तेजस्वी का क्या होगा। राष्ट्रीय जनता दल कभी नहीं चाहती है कि कन्हैया जैसा प्रभावशाली नेता कांग्रेस में सक्रिय रहे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिहार में राजद की पिछलगू पार्टी है। कांग्रेस बिहार के अंदर वहीं करती है, जो राजद नेतृत्व की ओर से आदेश मिलता है। प्रशांत किशोर ने कहा कि कन्हैया बिहार कांग्रेस में सबसे अधिक प्रतिभावान हैं। कांग्रेस यदि इन नेताओं का इस्तेमाल नहीं करती है, तब यह दिखाता है कि वह बिहार में राजद की पिछलग्गू पार्टी है।
दरअसल, प्रशांत किशोर की पूरी कवायद यही है कि वह मौके को भुनाकर कन्हैया कुमार को अपने पाले में कर लें। अगर वाकई में पीके इसमें कामयाब होते हैं, तब बिहार की राजनीति में भूकंप के झटके के समान होगा।
कहा जाता है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, कन्हैया कुमार की खूबियों से वाकिफ है। लालू नहीं चाहते हैं कि कन्हैया बिहार में पैर जमाए। छात्र राजनीति के दौरान कन्हैया जब जेल से छूटे थे, तब बिहार लौटते ही उन्होंने लालू यादव से मुलाकात की थी। कन्हैया ने लालू यादव का पैर छूकर आशीर्वाद लेने की कोशिश की। इसके बावजूद भी 2019 के लोकसभा चुनाव में कन्हैया को राजद का समर्थन नहीं मिला। कन्हैया तब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरे थे, उन्होंने राजद और लालू यादव से समर्थन की उम्मीद भी जाहिर की थी, लेकिन राजद ने वहां अपना प्रत्याशी उतार दिया था।
इसके बाद कन्हैया जब कांग्रेस में शामिल हुए, फिर से कयास लगाया जाने लगा कि वे बेगूसराय से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन इस बार भी राजद की तरफ से उनके खिलाफ वीटो लगा दिया गया। इस कारण कन्हैया को 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस ने बीजेपी नेता मनोज तिवारी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा।
प्रशांत किशोर ने वोटर लिस्ट पुनरीक्षण मामले में बयान दिया है। पीके ने कहा कि वोटर लिस्ट के विरोध में बहुत से लोग हैं। अभी एक साल पहले ही लोकसभा चुनाव हुआ है। चुनाव आयोग ने ही वोटर लिस्ट बनाया। आखिर एक साल के भीतर बिहार में ऐसा क्या हुआ कि पूरे लिस्ट में पुनरीक्षण की जरूरत आ गई है। उन्होंने कहा कि हमारी यही मांग है कि 2024 में लोकसभा चुनाव के लिए जिस लिस्ट का इस्तेमाल हुआ है उसी का इस्तेमाल यहां भी होना चाहिए।

 

नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आपातकाल पर सवाल उठाए हैं। हाल ही में एक लेख में उन्होंने दिवंगत पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र हल्के में ली जाने वाली चीज नहीं है। खास बात है कि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ विदेश गए थरूर पीएम मोदी की तारीफ को लेकर भी कांग्रेस नेताओं के निशाने पर आ गए थे।
एक मलयालम समाचार में गुरुवार को आपातकाल पर प्रकाशित एक लेख में कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य शशि थरुर ने 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 के बीच तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल के काले दौर को याद किया और कहा कि अनुशासन और व्यवस्था के लिए किए गए प्रयास अक्सर क्रूरतापूर्ण कृत्यों में बदल जाते हैं जिन्हें उचित नहीं ठहराया जा सकता था।
थरुर ने लिखा- इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया जो इसका एक संगीन उदाहरण बन गया। पिछड़े ग्रामीण इलाकों में मनमाने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हिंसा और बल का इस्तेमाल किया गया। नई दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गियों का सफाया कर दिया गया। हजारों लोग बेघर हो गए। उनके कल्याण पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हल्के में लिया जाए, यह एक अनमोल विरासत है जिसे निरंतर पोषित और संरक्षित किया जाना चाहिए। थरूर ने कहा कि यह सभी को हमेशा याद दिलाता रहे।
थरूर के मुताबिक आज का भारत 1975 का भारत नहीं है। उन्होंने कहा कि हम ज्यादा आत्मविश्वासी, ज्यादा विकसित और कई मायनों में ज्यादा मजबूत लोकतंत्र हैं। फिर भी, आपातकाल के सबक चिंताजनक रूप से प्रासंगिक बने हुए हैं। थरूर ने चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रीकृत करने, असहमति को दबाने और संवैधानिक रक्षात्मक उपायों को दरकिनार करने की प्रवृत्ति कई रूपों में फिर से उभर सकती है। उन्होंने कहा कि अक्सर ऐसी प्रवृत्तियों को राष्ट्रीय हित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जा सकता है। इस लिहाज से आपातकाल एक कड़ी चेतावनी है। लोकतंत्र के प्रहरियों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

 

बेगूसराय। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा संविधान की किताब दिखाए जाने पर गिरिराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी खुद एक डमी हैं। उनके पास संविधान की एक डमी किताब है। पीएम मोदी संविधान की रक्षा कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। हमारा उद्देश्य ऐसे डमी लोगों से छुटकारा दिलाना है।
गिरिराज सिंह ने कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार और पूर्णिया सांसद पप्पू यादव को राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की गाड़ी पर चढ़ने से रोके जाने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सामाजिक जीवन में इससे बड़ा अपमान और कुछ नहीं हो सकता। अब तक सामाजिक मान्यता यही थी कि ये लोग राज्य के बड़े नेता हैं, लेकिन राहुल गांधी और तेजस्वी ने इन दोनों नेताओं का अपमान किया है।
बता दें राहुल गांधी बुधवार को बिहार के दौरे पर थे। इस दौरान राहुल गांधी ने महागठबंधन की ओर से आयोजित विरोध रैली में शिरकत की। ‘बिहार बंद’ के दौरान पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार को राहुल गांधी की गाड़ी पर चढ़ने से रोक दिया गया। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद सांसद पप्पू यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हमें वाहन पर चढ़ने नहीं दिया गया, अंदर सभी लोग कांग्रेस से थे। यह मेरी जिंदगी की लड़ाई है, मेरे समाज की लड़ाई है। यह संविधान की रक्षा और अल्पसंख्यकों के दर्जे की लड़ाई है। इसमें सम्मान और अपमान की क्या बात है? कहीं कोई अपमान की बात नहीं है, हम लोगों का संबंध सीधे मतदाताओं से है।

 

भुवनेश्वर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 14 जुलाई को दो दिवसीय दौरे पर ओडिशा आ रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान राष्ट्रपति अखिल भारतीय आय़ुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भुवनेश्वर और कटक स्थित रावेनशॉ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोहों में भाग लेंगी। मीडिया रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि मुर्मू रावेनशॉ गर्ल्स हाईस्कूल में विकास कार्यों की आधारशिला रखेंगी, आदिकवि सरला दास के 600वीं जयंती समारोह में हिस्सा लेने कटक जाएंगी और कलिंग रत्न पुरस्कार 2024 के विजेताओं को सम्मानित करेंगी।
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति 15 जुलाई की शाम को वापस नई दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगी। राष्ट्रपति के दौरे की तैयारियों का जायजा लेने मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने एक उच्चस्तरीय बैठक की। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति के स्वागत और विदाई के लिए उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को राजभवन में अस्थायी आवास का इंतजाम करने, सुरक्षा बढ़ाने, आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था करने और आयोजन स्थलों पर निर्बाध बिजली आपूर्ति तय करने को भी कहा है।

 

 

उत्तर प्रदेश में दो साल के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन अभी से ही मुसलमानों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच सियासी शह-मात का खेल शुरू हो गया है. सूबे में 20 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जो सपा का कोर वोटबैंक माना जाता है. कांग्रेस की ओर से सांसद इमरान मसूद मुसलमानों को साधने की कवायद में जुटे हैं, तो मायावती की नजर भी मुस्लिम वोटों पर है. असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM मुस्लिमों से आस लगाए है, तो बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने कमान संभाल ली है.

सूबे में मुस्लिमों को लेकर बिछाई जा रही सियासी बिसात को देखते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव अलर्ट हो गए हैं क्योंकि सपा की राजनीति मुस्लिम वोटों पर ही टिकी हुई है. इमरान मसूद से लेकर मायावती और ओवैसी तक जिस तरह से सपा पर मुस्लिम समुदाय की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे हैं, उससे अखिलेश यादव की सियासी बेचैनी बढ़ गई है. यही वजह है कि अखिलेश ने सोमवार को आनन-फानन में अपने मुस्लिम नेताओं की एक बैठक बुलाई और उनकी सभी शंकाओं को दूर करने की कवायद करते नजर आए.

अल्पसंख्यक समाज को सपा का संदेश

यूपी में 2027 की सियासी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही मुस्लिम वोट को लेकर लामबंदी तेज हो गई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को लखनऊ में अल्पसंख्यक मोर्चे के साथ बैठक की. इस बैठक में मुस्लिमों के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों का जिक्र करते हुए बीजेपी व योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा गया. इसके साथ ही वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए उन्हें ठीक करवाने की बात उठाई. इसी बैठक में अखिलेश यादव ने कहा कि इंडिया गठबंधन था, है और रहेगा. हम हर हाल में कांग्रेस के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे.

 

पूरे देश में जाति जनगणना इस समय सुर्खियों में है. सरकार ने ऐलान किया है कि साल 2027 में जाति जनगणना की जाएगी. अब कांग्रेस पार्टी ने जाति जनगणना को लेकर बीजेपी को घेरने का काम किया है. पार्टी ने जनगणना की तारीख पर सवाल खड़े किए हैं. साथ ही कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, बीजेपी की नियत पर हमें शक है.

सचिन पायलट ने पीसी के दौरान कहा, राहुल जी बोलते थे कि हम देश का एक्स-रे चाहते हैं, उसका मुख्य उद्देश्य यह था कि हम देश की वास्तविक स्थिति सामने आए. कितने लोगों की कितनी भागीदारी है, कितने लोग किस हालात में रह रहे हैं. कहा और काम करने की जरूरत है. यह पूरी जानकारी हासिल करने के लिए जाति जनगणना बहुत जरूरी थी.

 

आम आदमी पार्टी ने केजरीवाल सरकार में बने मोहल्ला क्लीनिकों और डिस्पेंसरीज का नाम बदलने पर आपत्ति जताई है और दिल्ली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. आप के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चिराग दिल्ली स्थित एक वातानुकूलित डिस्पेंसरी का वीडियो साझा कर हमला किया. उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार में बने मोहल्ला क्लीनिकों और डिस्पेंसरीज की रंगाई पुताई करके भाजपा सरकार दिल्लीवालों को बता रही है कि उसने नया आयुष्मान आरोग्य मंदिर बना दिए.

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि चिराग दिल्ली स्थित डिस्पेंसरी का उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने किया था. आज भी डिस्पेंसरी पर सत्येंद्र जैन और मेरे नाम का पत्थर लगा हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसी तरह बाकी मोहल्ला क्लीनिकों का भी नाम बदल कर आरोग्य मंदिर किया जा रहा है.

 

पुडुचेरी । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को पांडिचेरी विश्वविद्यालय में सवाल किया कि हम भाषाओं को लेकर कैसे विभाजित हो सकते हैं? उपराष्ट्रपति पांडिचेरी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं।अपने सम्बोधन में धनखड़ ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अक्षरशः लागू करने की वकालत की है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाएगी और इससे देश के विकास को भी गति मिलेगी। उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को न लागू करने वाले राज्यों से अपील करते हुए कहा कि वे इसे लागू करें। ये नीति महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पांडिचेरी विश्वविद्यालय में कहा कि पिछले दशक में अभूतपूर्व विकास के कारण भारत दुनिया का सबसे महत्वाकांक्षी राष्ट्र है। उपराष्ट्रपति ने सवाल किया कि हम भाषाओं को लेकर कैसे विभाजित हो सकते हैं? उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि दुनिया में मौजूद कोई भी देश भाषाओं के मामले में भारत की तरह समृद्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि संसद में भी सदस्यों को 22 भाषाओं में बोलने की इजाजत है। भारत की भाषाएं समावेशिता का संकेत देती हैं। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि हमें गंतव्य को देखना चाहिए, भविष्य को ध्यान में रखना चाहिए और तूफान से उबरना चाहिए।

बेंगलुरु। कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन द्वारा जनसंख्या आधारित डिलिमिटेशन की प्रक्रिया के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का समर्थन किया। उन्होंने इस मुद्दे पर ऐक्शन की जरुरत पर जोर दिया। वहीं कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने पार्टी आलाकमान की सलाह पर सावधानीपूर्वक कदम उठाने की बात कही है। बेंगलुरु में सिद्धारमैया से एक प्रतिनिधिमंडल मिला और जनसंख्या आधारित डिलिमिटेशन के खिलाफ एकजुट होने पर चर्चा की। इस दौरान स्टालिन ने फोन पर सिद्धरामैया से बात की और कर्नाटक से एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता को नामांकित करने की अपील की। कर्नाटक सरकार ने बयान जारी कर कहा कि कर्नाटक तमिलनाडु के साथ है और यह प्रक्रिया गैर-लोकतांत्रिक है क्योंकि इसे सभी राज्यों की सहमति के बिना किया जा रहा है।
सीएमओ के बयान के मुताबिक सिद्धारमैया ने कांग्रेस पार्टी की ओर से कहा कि वे केंद्र सरकार के ऐसे सभी कदमों की निंदा करते हैं जो कर्नाटक के हितों के खिलाफ हों, लोकतंत्र को कमजोर करे और संविधान के संघीय सिद्धांतों के खिलाफ हो। सीएम स्टालिन के मुताबिक प्रस्तावित संयुक्त कार्रवाई समिति में केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पंजाब जैसे राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं। इस समिति की पहली बैठक 22 मार्च को चेन्नई में होनी वाली है।
लोकसभा में बुधवार को डीएमके सदस्य डी एम काथीर आनंद ने कहा कि प्रस्तावित डिलिमिटेशन प्रक्रिया उन प्रगतिशील राज्यों जैसे तमिलनाडु को नुकसान पहुंचाएगी, जिन्होंने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह केवल जनसंख्या के बजाय राज्यों की आर्थिक प्रदर्शन, प्रति व्यक्ति आय, बुनियादी ढांचे में सुधार जैसे महत्वपूर्ण मानकों को ध्यान में रखते हुए यह प्रक्रिया करे।
वहीं, बीजेपी के सदस्य निशिकांत दुबे ने भी इस मुद्दे को उठाया और पश्चिम बंगाल की सीमाओं से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने वाले बांगलादेशी नागरिकों के संदर्भ में चिंता जताई। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार जब डिलिमिटेशन करे तो इन घुसपैठियों को बाहर रखा जाए।

महाराष्ट्र लोकसभा: महाराष्ट्र की राजनीति में औरंगजेब को लेकर हंगामा जारी है। औरंगजेब की तारीफ करने पर सपा नेता और विधायक अबू आजमी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अब औरंगजेब विवाद की गूंज लोकसभा में भी सुनाई देने लगी है। शिवसेना पार्टी के सांसद नरेश म्हास्के ने बुधवार को लोकसभा में मांग की कि महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर के खुल्दाबाद में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को नष्ट कर दिया जाना चाहिए।

25 फीसदी स्मारक और कब्र मुगल-अंग्रेजों की- सांसद

लोकसभा के शून्यकाल के दौरान शिवसेना के नरेश म्हास्के ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित 3,691 स्मारकों और कब्रों में से 25 फीसदी मुगल और ब्रिटिश अधिकारियों की हैं। इन सभी ने भारत की संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ काम किया। शिवसेना सांसद नरेश म्हास्के ने कहा कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी की हत्या की और हिंदू मंदिरों को लूटा और नष्ट किया।

औरंगजेब की कब्र को संरक्षित करने की क्या जरूरत है? - सांसद

शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने लोकसभा में कहा कि औरंगजेब, जिसने नौवें और दसवें सिख गुरुओं की भी हत्या की थी, की महाराष्ट्र के खुल्दाबाद में एक कब्र है जिसे एएसआई द्वारा संरक्षित किया गया है। सांसद ने कहा- "औरंगजेब जैसे क्रूर व्यक्ति की कब्र को संरक्षित करने की क्या जरूरत है? औरंगजेब और भारत के खिलाफ काम करने वाले सभी लोगों के स्मारकों को नष्ट कर दिया जाना चाहिए।"

सीएम फडणवीस ने क्या कहा?

इससे पहले महाराष्ट्र की सतारा सीट से भाजपा सांसद और मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले ने छत्रपति संभाजीनगर जिले में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की थी। इस बारे में बात करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "हम सभी ऐसा चाहते हैं, लेकिन आपको इसे कानून के दायरे में करना होगा, क्योंकि यह एक संरक्षित स्थल है। इस स्थल को कुछ साल पहले कांग्रेस के शासन के दौरान एएसआई के संरक्षण में दिया गया था।"

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