राजनीति

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कोलकाता । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत गुरुवार से पश्चिम बंगाल के दौरे पर आ रहे है। यहां वे संगठनात्मक मुद्दों और संगठन के भविष्य पर पदाधिकारियों संग विचार मंथन करने वाले है। नेताओं ने बताया कि कोलकाता में पहले पांच दिनों के दौरान भागवत आरएसएस नेताओं और स्थानीय लोगों संग बैठक करने वाले है। संघ प्रमुख की बैठक में संगठन के ढांचे को मजबूत करने पर चर्चा होगी। 11 फरवरी को भागवत दक्षिण बंगाल के जिलों का दौरा फिर से शुरू करने से पहले एक ब्रेक लेने वाले है। आरएसएस के एक नेता ने कहा, भागवत बर्धमान सहित कई जिलों का दौरा करने वाले है। जहां 16 फरवरी को उनकी एकमात्र रैली होने की उम्मीद है। वे क्षेत्रीय आरएसएस नेताओं, स्थानीय कार्यकर्ताओं और बर्धमान और आसपास के क्षेत्रों के प्रमुख लोगों से भी मिलने वाले है। संघ प्रमुख की यात्रा देशभक्ति, आत्मनिर्भरता, पारिवारिक मूल्यों, पर्यावरण संरक्षण और परिवार-उन्मुख प्रथाओं के माध्यम से समाजीकरण जैसे मूल्यों को स्थापित करने पर केंद्रित होगी।
आरएसएस महासचिव जिष्णु बसु ने बताया कि भागवत केरल से राज्य में आएंगे। बसु ने कहा, 7-10 फरवरी तक भागवत दक्षिण बंग क्षेत्र में आरएसएस पदाधिकारियों से बातचीत करने वाले है। इसमें पूर्व-पश्चिम मेदिनीपुर, हावड़ा, कोलकाता और उत्तर-दक्षिण 24 परगना शामिल हैं। 13 फरवरी को वह मध्यबंग क्षेत्र में जाएंगे, जिसमें बांकुरा, पुरुलिया, बीरभूम, पूर्व-पश्चिम बर्धमान और नादिया जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके बाद 14 फरवरी को मध्यबंग में एक नए आरएसएस कार्यालय का उद्घाटन होगा। भागवत 16 फरवरी को बर्धमान के एसएआई परिसर में आरएसएस पदाधिकारियों के एक सम्मेलन में भी भाग लेने का कार्यक्रम है।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करते हुए देश आत्मनिर्भर भारत बनेगा और हर प्रचारक उस लक्ष्य को साकार करने के लिए काम करेगा। हर प्रचारक पौधों की रक्षा के लिए काम करेगा, हर प्रचारक पर्यावरण को बेहतर बनाने और आसपास की सफाई करने, दूसरों को सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के लिए मना करने की दिशा में काम करेगा। हम इन संदेशों को लोगों तक पहुंचाने के तरीकों पर भागवत से दिशा-निर्देश मांगेंगे।
यात्रा के राजनीतिक महत्व पर बसु ने दो टूक कहा कि संघ एक राजनीतिक संगठन नहीं है। उन्होंने कहा कि यात्रा और संबंधित बैठकें, जिन्हें आरएसएस शब्दावली में प्रभास कहा जाता है, पहले से ही योजनाबद्ध थीं और उनका उद्देश्य विशेष रूप से आगामी 2026 के राज्य विधानसभा चुनावों को प्रभावित करना नहीं था।

 

नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग संपन्न हो चुकी है। वोटिंग के बाद कई एजेंसियों ने अपने एग्जिट पोल्स जारी किए हैं। इसमें ज्यादातर एग्जिट पोल्स में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। आम आदमी पार्टी पहले ही इन एग्जिट पोल्स को नकार चुकी है। अब कांग्रेस का भी मानना हैं कि आप को एग्जिट पोल्स में कम आंका जा रहा है। नई दिल्ली सीट से कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि एग्जिट पोल्स ठीक हैं, एग्जिट पोल आप को कम आंक रहे हैं।
कांग्रेस नेता दीक्षित ने कहा, अगर एग्जिट पोल पर यकीन किया जाए, तब ठीक है कि उनकी सरकार बन रही है, लेकिन मुझे लगाता की पोल आप को कम आंक रहे हैं, मुझे नहीं लगता कि अगर रुझान वैसा ही रहा जैसा दिखाया जा रहा है, तब उनकी स्थिति इतनी खराब होगी।
बता दें कि दिल्ली चुनाव के लिए कई एजेंसियों के एग्जिट पोल के भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है।

बेंगलुरु। कर्नाटक में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डीके शिवकुमार ने बड़ा खेल कर दिया है। अब सवाल उठने लगे हैं कि सीएम सिद्दारमैया कितने दिनों तक सीएम की कुर्सी पर रह पाएंगे? पूरे देश में कांग्रेस की मात्र तीन राज्यों में सरकार है। उसमें सबसे बड़ा कर्नाटक है यहां 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद से ही सीएम की कुर्सी को लेकर झगड़ा चल रहा है।
सीएम सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार के बीच लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद राज्य में सत्ता के बंटवारे का फॉर्मूला तय हुआ था। डीके शिवकुमार खेमा दावा करता है कि ढाई-ढाई साल के रोटेशनल सीएम का फॉर्मूला तय किया गया था। इस कारण बीते कुछ दिनों से डीके शिवकुमार खेमा बार-बार सीएम की कुर्सी पर अपना दावा कर रहा है।
इस बीच सीएम सिद्दारमैया के राजनीतिक सलाहकार और वरिष्ठ नेता बीआर पाटिल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे राज्य कांग्रेस के बीच जारी तकरार फिर सामने आई है। पाटिल को सीएम सिद्दारमैया खेमा का नेता माना जाता है। वह उनके खास करीबी हैं, लेकिन राज्य में कांग्रेस के कई खेमों में बंटे होने की वजह से उनके लिए कैबिनेट में जगह नहीं बन सकी है। पिछले माह ही सिद्दारमैया खेमे के नेताओं ने एक डिनर पार्टी रखी थी। इसके बाद यह ताजा राजनीतिक संकट पैदा हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों का दावा है कि पाटिल का इस्तीफा सीधे तौर पर सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार के बीच टकराव का नतीजा नहीं है। पाटिल कलाबुरगी जिले के अलांद से चार बार के विधायक हैं। उन्होंने सरकार और पार्टी में उचित महत्व नहीं मिलने के कारण इस्तीफा दिया है। इस क्षेत्र में डीके का कुछ खास प्रभाव नहीं है। कलाबुरगी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का क्षेत्र है। यहीं से खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं, लेकिन पाटिल और प्रियांग खड़गे का रिश्ते अच्छे नहीं है। यही कारण है कि एक वरिष्ठ नेता होने के बावजूद सिद्दारमैया सरकार में पाटिल को जगह नहीं मिली है।
सूत्रों का कहना है कि पाटिल सरकार और प्रशासन में अपनी सीमित भूमिका की वजह से नाखुश थे। सीएम सिद्दारमैया भी उनके कोई खास राजनीतिक सलाह मशविरा नहीं कर रहे थे। अब पाटिल के इस्तीफे के बाद कर्नाटक कांग्रेस में तकरार सामने आ गई है। ऐसे में देखना होगा कि पहले ही तकरार और खेमाबंदी की शिकार पार्टी आगे क्या फैसला लेती है।


चंडीगढ़। हरियाणा के कद्दावर नेता और राज्य की भाजपा सरकार में मंत्री अनिल विज ने एक बार फिर तीखे तेवर दिखाए हैं। इससे पहले भी उन्होंने राज्य में सीएम बनाए जाने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन उन्हे मौका नहीं मिला। तभी से विज बगावती तेबर अपनाए हुए हैं और लगातार तीखे बयान दे रहे हैं। इस बार उन्होंने गुस्से में यहां तक कह दिया कि मेरी गाड़ी छीनी जा सकती है लेकिन विधायकी और वरिष्ठता कोई नहीं छीन सकता। 7 बार का विधायक हूं।
पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर से लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी तक से वह कई मुद्दों पर सीधे उलझ जाते हैं। इन दिनों भी डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर और एक एसएचओ के ट्रांसफर को लेकर वह सीएम को सीधे निशाने पर ले रहे हैं। वहीं नायब सिंह सैनी उन्हें वरिष्ठ नेता बताते हुए बयानबाजी से बच रहे हैं। इस बीच अनिल विज रविवार को रोहतक पहुंचे तो अचानक ही बिजली विभाग के दफ्तर पहुंच गए। उन्होंने कर्मचारियों को 4 घंटे के अंदर लोगों की समस्याओं का निस्तारण करने को कहा। इसके अलावा सरकार में अपने कद को लेकर भी बड़ी बात कह गए।
अनिल विज ने कहा कि मुझसे सब कुछ छीना जा सकता है, लेकिन मेरी वरिष्ठता तो नहीं ली जा सकती। मैं 7 बार का चुना हुआ विधायक हूं। इस दौरान जब उनसे अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर सवाल किया तो उन्होंने अंबाला के डीसी का जिक्र कर दिया। उन्होंने कहा, इसमें 100 दिन लगा दिए। वह भी तब जबकि मैंने खुले मंच से बात रखी थी। वह अधिकारी चुनाव के दौरान मेरे खिलाफ काम कर रहा है। अब यह मायने नहीं रखता कि किसी का ट्रांसफर किया जाता है या नहीं। सरकार में मंत्रालय के बंटवारे पर पूछा गया तो उस पर भी वह खुलकर बोल गए। अनिल विज ने कहा कि मैंने कोई सरकारी मकान नहीं लिया। हां, एक कार जरूर मेरे पास है। यदि इसे ले लिया गया तो मेरे समर्थकों का कहना है कि वे खरीद कर दे देंगे। मेरी विधायकी कोई नहीं ले सकता। मैं जनता का चुनाव विधायक हूं। मुझे किसी बात से फर्क नहीं पड़ता।
हरियाणा की सरकार में नायब सिंह सैनी को अनिल विज एक तरह से चुनौती दिखते नजर आ रहे हैं। दरअसल नायब सिंह सैनी को जब सीएम बनाया गया था, तब से ही अनिल विज असहज हैं। मनोहर लाल खट्टर ने जब इस्तीफा दिया था और पहली बार नायब सिंह सैनी सीएम बने थे, तब भी वह शपथ ग्रहण समारोह नहीं पहुंचे थे। उन्होंने यहां तक कहा था कि मैं सीएम बनने के योग्य हूं और सबसे वरिष्ठ नेता हूं। ऐसा मेरे समर्थक मानते हैं। उन्हें मंत्री बनाया जाना था, लेकिन वह शपथ समारोह में ही नहीं पहुंचे। इसके बाद जब लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी तो वह शपथ समारोह में गए और मंत्री भी बनाए गए। हालांकि इस बार उनसे होम मिनिस्ट्री ले ली गई और अब वह ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री के तौर पर कामकाज संभाल रहे हैं।

अमरावती। पूरे देश में केवल तीन राज्यों में कांग्रेस सरकार है, लेकिन इन तीनों राज्यों में पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही है। कर्नाटक में सीएम की कुर्सी की लड़ाई जगजाहिर है। सीएम सिद्दारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच तकरार से पार्टी की किरकिरी हो रही है। इस बीच तेलंगाना से बुरी खबर है। यहां सीएम रेवंत रेड्डी सरकार के दो मंत्रियों से नाराज विधायकों ने बैठक की है। इसके साथ ही तेलंगाना कांग्रेस के एक सर्वे से भी कांग्रेस के अंदर की आंतरिक कलह सामने आ गई है।
रिपोर्ट के मुताबकि कांग्रेस के 10 विधायकों ने विधायक अनिरुद्ध रेड्डी के नेतृत्व में दो मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी को लेकर डिनर पर बैठक की। नाराज विधायकों में ज्यादातर सीएम रेवंत रेड्डी के जिले महबूबनगर से हैं, इसलिए सीएम रेड्डी एक्शन में आ गए हैं। रेड्डी मामले को खत्म करने के लिए मंत्रियों और विधायकों से जल्द मिलने वाले है। विधायकों की नाराजगी मुख्य तौर पर पी श्रीनिवास रेड्डी से है। विधायकों की नाराजगी है कि उनकी और उनके समर्थकों की जमीन को नियमित नहीं किया जा रहा है और मंत्री इसके लिए 40 फीसदी कमीशन मांग रहे हैं।
वित्त मंत्रालय की तरफ से पेंडिंग बिल क्लियर न होने से भी विधायक नाराज हैं। पोल सर्वे में लोगों से सवाल किया गया था कि फार्महाउस शासन या जनता के शासन में से किसको तरजीह देते हैं। कांग्रेस का पोल सर्वे कांग्रेस के खिलाफ चला और 66 फीसदी से ज्यादा लोगों ने तेलंगाना कांग्रेस के सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट में फॉर्महाउस शासन को पसंद किया। इस घटनाटक्रम के बाद सीएम रेवंत रेड्डी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष महेश कुमार नाराज हैं और जल्द इसकी गाज जिम्मेदार लोगों पर गिर सकती है। माना जा रहा है कि पोल सर्वे में कांग्रेस के खिलाफ नतीजे उसकी अंदरूनी राजनीति का ही नतीजा है।


मुंबई। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने दावा किया कि सत्तारूढ़ भाजपा के कई नेता उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहते हैं। राउत ने कहा कि हालांकि शिवसेना (यूबीटी) के भीतर ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई है, लेकिन पार्टी के कुछ सदस्य भी ऐसी ही भावनाएं रख सकते हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इन दावों को न केवल खारिज किया बल्कि आईना भी दिखा दिया। दिल्ली में पत्रकारों के एक सवाल पर फडणवीस ने कहा कि सामान्य बैठकों को राजनीतिक रूप से नहीं देखा जाना चाहिए। राउत के दावों को खारिज करते हुए फडणवीस ने कहा, किसी को भी इतना भोला नहीं होना चाहिए... लोग प्रीतिभोज में मिलें और गठबंधन बन जाए या दल करीब आ जाएं।
यह पूछे जाने पर कि क्या शिवसेना (उबाठा) के नेता भी भाजपा के साथ गठबंधन करने की यही भावना रखते हैं, राउत ने कहा, हो सकता है। हम भाजपा के कुछ नेताओं की वजह से एमवीए के साथ गए। आपने हमारी पार्टी को विभाजित कर दिया और एकनाथ शिंदे को वह दे दिया जिसकी हम मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा, हमने पहले भी कई बार इस तरह की चर्चा की है। हालांकि शिवसेना (उबाठा) में अभी तक ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है। इस तरह की बयानबाजी उस वक्त शुरु हुई जब ठाकरे के सहयोगी और विधान परिषद सदस्य मिलिंद नार्वेकर एवं भाजपा के मंत्री चंद्रकांत पाटिल के बीच बुधवार रात विधायक पराग अलवानी की बेटी के विवाह समारोह में शिवसेना प्रमुख की मौजूदगी में हुई कुछ हंसी-मजाक वाली बातचीत के बाद आई है। भाजपा के अलवानी मुंबई के उपनगरीय क्षेत्र विले पार्ले से तीन बार विधायक रह चुके हैं। भाजपा के एक पदाधिकारी ने बताया कि ठाकरे के अलवानी के साथ अच्छे संबंध हैं। राउत ने कहा कि भाजपा में कई लोग पाटिल की स्वर्णिम क्षण वाली भावनाओं को साझा करते हैं। उन्होंने कहा, मुझे संदेह है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना कितने समय तक भाजपा के साथ रहेगी। हम इंतजार करो और देखो की स्थिति में हैं।


नई दिल्ली। महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान गुरुवार को आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा की केजरीवाल ने समाजसेवी अन्ना हजारे को धोखा दिया है उनकी उंगली पकडकर चले और उन्ही को धक्का देकर उस वक्त खुद मुख्यमंत्री बन बैठे। उन्होंने कहा कि दिल्ली के पूर्व सीएम ने वादा किया था कि वह यमुना नदी को साफ करेंगे और अपने मंत्रिमंडल के साथ इसमें डुबकी लगाएंगे। मगर दिल्ली का पानी पहले के मुकाबले अब और गंदा हो गया है। अब उन्हे यमुदना के गंदे पानी में डुबकी लगाकर प्राश्यिचत करना चाहिए।
बलबीर नगर की एक रैली में महाराष्ट्र सीएम फडणवीस ने यमुना प्रदूषण को लेकर आप नेता पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि वह यमुना नदी को साफ करेंगे और अपने मंत्रिमंडल के साथ इसमें डुबकी लगाएंगे और वोट मांगेंगे। लेकिन यमुना का पानी पहले से भी ज्यादा गंदा है। अरविंद केजरीवाल जी अभी अपने मंत्रिमंडल के साथ चुल्लू भर पानी में डुबकी मारो और दिल्ली से अलविदा हो जाओ। यही दिल्ली की जनता आपसे कह रही है।
फडणवीस ने केजरीवाल पर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को धोखा देने का आरोप लगाया और दावा किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए अन्ना हजारे को दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा, दिल्ली के लोगों ने अरविंद केजरीवाल के दस साल के शासन को देखा है। जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली आए थे, तो वे अन्ना हजारे का हाथ और उंगली पकड़कर आए थे और कह रहे थे कि भ्रष्टाचार को खत्म करना है। दिल्ली को सजाना है, ऐसी बातें कह रहे थे। मुझे नहीं पता कि उन्होंने कब अन्ना हजारे को भी धक्का दे दिया और दिल्ली की कुर्सी (सीएम सीट) पर आकर बैठ गए। मैं महाराष्ट्र से हूं और मैं हमेशा अन्ना हजारे से मिलता हूं, जो कहते हैं कि अगर देश में सबसे बेईमान व्यक्ति कोई होगा, तो वह केजरीवाल होगा।

 


संसद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ ही आज से बजट सत्र शुरू हो चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने बड़ा बयान दिया है। इस पर भाजपा ने उन्हें निशाने पर लिया है।

खबरों के अनुसार, संसद के बाहर कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर कहा कि अभिभाषण के अंत तक राष्ट्रपति बहुत थक गईं थीं। वह मुश्किल से बोल पा रही थीं। वहीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के भाषण को बोरिंग बताया है। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी की इस टिप्पणी को भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रपति का अपमान करार दिया।

खबरों के अनुसा, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस संबंध में बताया दिया कि सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति का अपमान किया है। धर्मेंद्र प्रधान ने इस दौरान बोल दिया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के खिलाफ जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया, मैं उसकी कल्पना भी नहीं कर सकता।

 

राष्ट्रीय राजधानी की 70 विधानसभा सीटों के लिए मतदान पांच फरवरी को होगा। इसे लिए राजनीतिक दलों का प्रचार अभियान चरम पर पहुंच चुका है। पीएम नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतर चुके हैं।

इसी बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक बड़ा बयान दिया है। राहुल गांधी ने इस संबंध में सोशल मीडिया के माध्यम से बड़ी बात कही है। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को आरक्षण, गरीबों,दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया है।

उन्होंने एक्स के माध्यम से कहा कि केजरीवाल यह साफ-साफ क्यों नहीं कहते कि वह दिल्ली में जाति जनगणना करवाएंगे और आरक्षण को 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ाएंगे? मैं गारंटी देता हूं कि केजरीवाल ऐसा नहीं कहेंगे, क्योंकि वो भी मोदी की तरह आरक्षण के खिलाफ हैं, गरीबों के खिलाफ हैं, दलितों के खिलाफ हैं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हैं।

 


नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा हरियाणा सरकार पर यमुना के पानी में जहर मिलाने के लगाए गए आरोपों पर भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच जुबानी हमले तेज हो गए हैं। हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने केजरीवाल से माफी मांगने की मांग की है और कहा है कि अगर वह अपने बयान पर माफी नहीं मांगते हैं तो उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। वहीं, चुनाव आयोग ने आप के आरोपों पर सैनी सरकार से रिपोर्ट मांगी है। सैनी सरकार आज दोपहर 12 बजे तक चुनाव आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखेगी। केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर यमुना में जहर मिलाने का आरोप लगाया था और इसे सामूहिक नरसंहार की साजिश बताया था। हालांकि, दिल्ली जल बोर्ड ने केजरीवाल के दावे को खारिज कर दिया है।

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