राजनीति

राजनीति (6670)

 

नई दिल्ली । कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने की प्रक्रिया सिर्फ लोकसभा में शुरू करने की बात करके दोहरे रवैये और पाखंड का परिचय दिया है क्योंकि इससे संबंधित प्रस्ताव मिलने का उल्लेख तत्कालीन सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में किया था और ऐसे में कानून के मुताबिक इस प्रक्रिया में उच्च सदन की भी भूमिका होनी चाहिए।
पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि सरकार शर्मिंदगी से बचने के लिए यह कह रही है कि राज्यसभा में प्रस्ताव स्वीकार नहीं हुआ है।
सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और होते हैं। न्यायपालिका के विषय की जवाबदेही में भाजपा बिलकुल ऐसा ही दोहरा रवैया अपना रही है। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार और भाजपा के राजनीतिक शब्दकोश में दोहरा रवैया और ‘पाखंड’ पर विशेष जोर दिया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘21 जुलाई 2025 को कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने प्रस्ताव संबंधी नोटिस राज्यसभा में दिया, जो कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के विषय से जुड़ा था। इस प्रस्ताव के नोटिस पर 63 राज्यसभा सदस्यों के दस्तखत थे। इसके अलावा, लोकसभा में दिए गए एक अन्य प्रस्ताव पर 152 सदस्यों के दस्तखत थे।’’

 

नई दिल्ली । भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी इस बात से हताश है कि प्रधानमंत्री मोदी प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी के कार्यकाल से भी अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं।उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव से असहज है।
प्रसाद ने कहा, उन्हें इस बात से दिक्कत है कि लंदन में एक बड़े व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं, जिससे भारत और भारतीयों को फायदा होगा... आप प्रधानमंत्री से जो भी कहना चाहते हैं, कह दीजिए। आपको शर्म आनी चाहिए कि एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते आप भारत के प्रधानमंत्री के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस बीच, केरल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रमुख राजीव चंद्रशेखर ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की आलोचना करते हुए उन पर असंगति और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। चंद्रशेखर ने दावा किया कि गांधी अक्सर मुद्दों पर अपना रुख बदलते रहते हैं, और उनमें दृढ़ विचारों या विश्वासों का अभाव है।
चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि जब पुराने मुद्दे गति नहीं पकड़ पाते, तो गांधी नए मुद्दे उठाते हैं, जिससे उनकी छवि एक असंगत राजनेता की बन जाती है। भाजपा नेता ने कांग्रेस पार्टी पर उन राज्यों में अभूतपूर्व भ्रष्टाचार फैलाने का आरोप लगाया, जहाँ वे सत्ता में हैं, जो गांधी के सार्वजनिक बयानों के विपरीत है।
चंद्रशेखर ने बताया, राहुल गांधी हर कुछ दिनों में अपने सारे मुद्दों को दोहरा देते हैं। जब एक मुद्दा विफल होता है, तो वह दूसरा मुद्दा उठा देते हैं और यह सिलसिला चलता रहता है... वह कोई मज़बूत विचार या विश्वास रखने वाले राजनेता नहीं हैं। कांग्रेस की तीन राज्यों (तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक) में सरकारें हैं, और वह कहीं भी अपनी बातों को लागू नहीं कर रहे हैं।

 

 

मथुरा। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री एके शर्मा ने बिहार में मुफ्त बिजली की घोषणा पर हकीकत बयान करने जैसा तंज कसा है। ऊर्जा मंत्री शर्मा ने कहा कि बिहार में बिजली मुफ्त है, लेकिन यह तभी संभव होगा जब बिजली सप्लाई होगी।
इसी के साथ यूपी के ऊर्जा मंत्री शर्मा ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्लान को घेरे में लेते हुए तंज करते हुए कहा, ना बिजली आएगी और ना ही बिल आएगा... फ्री हो गई बिजली। हम बिजली दे रहे हैं। यहां बताते चलें कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सीएम नीतीश कुमार द्वारा 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा के संदर्भ में आया है।
यहां मंत्री शर्मा ने बयान दिया वहां राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया। दरअसल बिहार में नीतीश सरकार भाजपा के समर्थन से चल रही है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में घोषणा की थी कि 1 अगस्त 2025 से सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी जाएगी। वैसे तो सीएम की इस घोषणा को चुनावी वादे के तौर पर ही देखा जा रहा है, लेकिन यूपी के मंत्री शर्मा के बयान ने इस पर न सिर्फ सवाल खड़े कर दिए, बल्कि लोग तो यही कह रहे हैं कि उन्होंने हकीकत बयान कर दिया है। आखिर उत्तर प्रदेश में भी तो भाजपा की ही योगी सरकार है, जिसके कि शर्मा ऊर्जा मंत्री हैं। उनसे ज्यादा सरकार के बयानों की हकीकत कौन जान सकता है। ऐसे में कहा यही जा रहा है कि मंत्री शर्मा के बयान से स्पष्ट हो रहा है कि बिहार में मुफ्त बिजली की घोषणा को लेकर यूपी सरकार आशंकित है और इसे व्यवहारिक रूप से लागू करने की संभावनाओं पर संदेह जताया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि बिहार की तर्ज पर यूपी में बिजली फ्री करने की मांग उठे उससे पहले ही मंत्री ने अपने बयान से स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा नहीं होगा, क्योंकि जहां बिजली जलेगी वहां तो बिल आएगा ही आएगा। बहरहाल मामला जो भी हो इस चुनावी बेला में राजनीतिक गलियारा तो गरमाने का काम हो ही गया।

 

 

दिसपुर। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा असम भाजपा की भाषाई राजनीति की आलोचना करने के बाद, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने लिखा कि दीदी, मैं आपको याद दिला दूँ असम में, हम अपने ही लोगों से नहीं लड़ रहे हैं। बल्कि हम सीमा पार से जारी, अनियंत्रित मुस्लिम घुसपैठ का निडरता से विरोध कर रहे हैं, जिसने पहले ही भयावह जनसांख्यिकीय बदलाव का कारण बना हुआ है। कई ज़िलों में, हिंदू अब अपनी ही जमीन पर अल्पसंख्यक बनने के कगार पर हैं।
सीएम सरमा ने कहा कि यह कोई राजनीतिक कहानी नहीं है, बल्कि एक कूट सत्य है। यहाँ तक कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी ऐसी घुसपैठ को बाहरी आक्रमण बताया है। और फिर भी, जब हम अपनी ज़मीन, संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए उठ खड़े होते हैं, तब आप उसका राजनीतिकरण करना पसंद करते हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि हम लोगों को भाषा या धर्म के आधार पर नहीं बाँटते। असमिया, बांग्ला, बोडो, हिंदी—सभी भाषाएँ और समुदाय यहाँ सह-अस्तित्व में रहे हैं। लेकिन कोई भी सभ्यता जीवित नहीं रह सकती अगर वह अपनी सीमाओं और अपनी सांस्कृतिक नींव की रक्षा करने से इंकार कर दे।
सरमा ने कहा कि जबकि हम असम की पहचान को बनाए रखने के लिए निर्णायक कदम उठा रहे हैं, आपने, दीदी, बंगाल के भविष्य के साथ समझौता किया है, एक खास समुदाय द्वारा अवैध अतिक्रमण को बढ़ावा देना, वोट बैंक के लिए एक धार्मिक समुदाय का तुष्टिकरण करना, और सीमा पर घुसपैठ के बावजूद राष्ट्रीय अखंडता को नुकसान पहुँचाने पर चुप रहना, यह सब सिर्फ आप सत्ता में बने रहने के लिए कर रही है। असम अपनी विरासत, अपनी गरिमा और अपने लोगों की रक्षा के लिए साहस और संवैधानिक स्पष्टता के साथ लड़ता रहेगा।

 

 

नई दिल्ली। भारत को असेंबली लाइन से आगे निकलकर एक सच्ची विनिर्माण शक्ति बनाने के लिए ज़मीनी स्तर पर बदलाव की ज़रूरत पर ज़ोर देकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि मेक इन इंडिया के नाम पर भारत सिर्फ उत्पादों की असेंबली कर रहा है, उनका सही मायने में निर्माण नहीं किया जा रहा है। राहुल गांधी ने पोस्ट में कहा कि भारत में बनने वाले ज़्यादातर टीवी के 80 प्रतिशत कलपुर्जे चीन से आते हैं। उन्होंने बताया कि नीति और समर्थन की कमी, भारी कर और निगमों का एकाधिकार, उन छोटे उद्यमियों को रोक रहे हैं जो विनिर्माण करना चाहते हैं। राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर सवाल उठाकर कहा कि मेक इन इंडिया’ के नाम पर हम सिर्फ असेंबली कर रहे हैं, असली मैन्युफैक्चरिंग नहीं। आईफोन से लेकर टीवी तक के पुर्ज़े विदेश से आते हैं, हम बस जोड़ते हैं। छोटे उद्यमी निर्माण करना चाहते हैं, लेकिन न नीति है, न सपोर्ट। उल्टा, भारी टैक्स और चुने हुए कॉरपोरेट्स का एकाधिकार, जो कि देश के उद्योग को जकड़ रखा है। जब तक भारत उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बनता, रोज़गार, विकास और मेक इन इंडिया की बातें सिर्फ भाषण रहेंगी। ज़मीनी बदलाव चाहिए ताकि भारत असेंबली लाइन से निकलकर असली मैन्युफैक्चरिंग पावर बने और चीन को बराबरी की टक्कर दे सके। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार की मेक इन इंडिया पहल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को पुनर्जीवित करने में विफल रही है, जो 2014 में सकल घरेलू उत्पाद के 15.3 प्रतिशत से घटकर 12.6 प्रतिशत हो गई है, जो पिछले 60 वर्षों में सबसे कम है। उन्होंने कहा था कि चीन बीते 10 वर्षों से बैटरी, रोबोट, मोटर और ऑप्टिक्स पर काम कर रहा है और इस क्षेत्र में वह भारत से कम से कम दस वर्षों की बढ़त बनाए हुए है।

 

 

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी के इस माह ब्रिटेन जा सकते हैं। उनके 23-24 जुलाई को यूके जाने की संभावना है। पीएम मोदी की इस यात्रा में भारत और यूके के बीच व्यापार समझौता हो सकता है। दोनों देश सुरक्षा संबंधों को और मजबूत करने पर भी बात कर सकते हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब टैरिफ को लेकर अमेरिका और खासकर ट्रंप लगातार धमकाने में लगे हैं, तो पीएम मोदी की ब्रिटेन यात्रा की अहमियत और बढ़ जाती है।
मई में भारत और यूके आपस में एक व्यापार समझौते पर सहमत हुए थे। इससे भारत के 99 फीसदी निर्यात पर लगने वाले टैक्स कम हो जाएंगे। वहीं यूके की कंपनियां आसानी से व्हिसकी, कारें और अन्य सामान भारत में बेच सकेंगी। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ेगा। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस समझौते को लागू होने में करीब एक साल लग सकता है। पीएम मोदी ने इन समझौतों को एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया था।
पीएम मोदी का यह ब्रिटेन दौरा उस समय होने वाला है, जब ट्रंप और नाटो चीफ मार्क रुटे ने रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत को धमकाने और 100 फीसदी द्वितीय प्रतिबंधों की चेतावनी दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने नाटो प्रमुख से कहा है कि भारत को अपनी प्राथमिकता पता है और वह पहले अपनी जरुरतों पर ही ध्यान देगा। इस वजह से अगर ऐसे समय में पीएम मोदी ब्रिटेन जा रहे हैं तो यह और भी अहम है, क्योंकि वह अमेरिका का भी पुराना सहयोगी है और नाटो का भी एक अहम किरदार है।
ब्रिटेन से पीएम मोदी 25-26 जुलाई को मालदीव जाएंगे। वहां वह राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि होंगे। मालदीव में उनका दौरा दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा। भारत और मालदीव के बीच दोस्ती हमेशा से मजबूत रही है। यह दौरा इस दोस्ती को और भी गहरा करेगा। पीएम मोदी का मालदीव जाना चीन की वजह से बहुत खास है। पिछले कुछ समय में चीन ने भारत के इस सबसे करीबी पड़ोसी पर संदिग्ध नजर डालने की कोशिश की थी। ऐसे में पीएम मोदी का खुद वहां के राष्ट्रीय दिवस पर मौजूद रहना, ड्रैगन को भी सीधा संदेश हो सकता है।

 

आठ विधेयकों को पेश करने की तैयारी में केंद्र सरकार

नई दिल्ली । संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस मानसून सत्र में सरकार आठ नए विधेयक पेश करेगी। इनमें मणिपुर में राष्ट्रपति शासन से जुड़ा विधेयक भी शामिल है। सरकार मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने पर विचार कर रही है। इससे साफ है कि सरकार की इस उत्तर पूर्वी राज्य में फिलहाल राष्ट्रपति शासन हटाने की कोई योजना नहीं है। मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। राष्ट्रपति शासन के लिए सरकार को हर छह महीने में संसद की मंजूरी लेनी होती है। फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन की समयसीमा 13 अगस्त है।
बता दें कि बीते अप्रैल माह में खत्म हुए संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा की उत्पादकता लगभग 18 फीसदी रही थी। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू के मुताबिक राज्यसभा में भी भरपूर कामकाज हुआ और इस सदन की उत्पादकता 119 फीसदी रही। संसद के दोनों सदनों में 16 विधेयक पारित किए गए। इस सत्र के दौरान काफी हंगामा भी हुआ, लेकिन संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद, वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया।


ये विधेयक हो सकते हैं संसद में पेश
संसद के आगामी सत्र में सरकार मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2025, जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक 2025, भारतीय संस्थान प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2025, कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2025, भू-विरासत स्थल एवं भू-अवशेष (संरक्षण एवं रखरखाव) विधेयक 2025, खान एवं खान (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2025, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025 और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक 2025 को लोकसभा में पेश और पारित करा सकती है। साथ ही गोवा राज्य के विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का पुनर्समायोजन विधेयक 2024, मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2024, भारतीय बंदरगाह विधेयक 2025 और आयकर विधेयक 2025 को भी लोकसभा में पारित किए जाने की उम्मीद है।

 

पटना। राष्टीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो और पूर्व सीएम लालू यादव ने नीतीश सरकार पर सवाल उठाया है। बुधवार को उन्होंने पोस्ट किया, अब बिहार सीधा गुजरात से ऑपरेट हो रहा है। इस पोस्ट के साथ उन्होंने एक फोटो भी डाली है। उसमें नीतीश को पीएम मोदी की कठपुतली बताया गया है।
वहीं बिहार की वोटर लिस्ट से 30 लाख मतदाताओं के नाम हटने पर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने कहा कि मतदाता सूची से नाम काटने से पहले नोटिस मिलेगा। एक अगस्त को प्रारूप प्रकाशित होगा। इसमें सभी गणना प्रपत्र भरने वाले मतदाताओं का नाम शामिल रहेगा। इसके साथ ही एक अलग से सूची प्रकाशित की जाएगी। इसमें पहचान किए जाने वाले स्थानांतरित, दोहरे वोटर और मृत वोटरों का नाम शामिल होगा। इन दोनों सूचियों पर दावा-आपत्ति की प्रक्रिया एक अगस्त से एक सितंबर तक चलेगी।
इसके बाद 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में वोटरों की कुल संख्या 7,89,69,844 है। इनमें अबतक स्थायी रूप से अन्यत्र स्थानांतरित होने वाले 12 लाख वोटर की पहचान हुई है।

 

 

पटना
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा ऐलान किया है। अब बिहार के लोगों को 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलेगी। यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं, बल्कि एक ऐसा तोहफा है जिससे लाखों परिवारों को सीधा फायदा होगा। यह योजना 1 अगस्त 2025 से लागू हो जाएगी, और सबसे अच्छी बात ये है कि इसका फायदा आपको जुलाई 2025 के बिजली बिल से ही मिलना शुरू हो जाएगा।

क्यों खास है ये ऐलान?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद ट्वीट करके इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा से सस्ती बिजली देने के पक्ष में रही है और अब ये तय कर लिया गया है कि राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली का कोई शुल्क नहीं देना होगा। लेकिन यहीं पर एक सवाल भी उठता है – ये फ्री क्या सच में ‘फ्री’ होता है? दरअसल, ‘फ्रीबीज’ यानी मुफ्त की योजनाओं का चलन भारतीय राजनीति में नया नहीं है। इसकी शुरुआत दिल्ली में अरविंद केजरीवाल मॉडल से हुई, जहां मुफ्त बिजली और पानी ने उनकी पार्टी को जबरदस्त सफलता दिलाई। इसके बाद, कई राज्यों में ऐसी योजनाओं की बाढ़ सी आ गई, जैसे तमिलनाडु में अम्मा कैंटीन, पंजाब में मुफ्त बिजली, राजस्थान में सस्ते सिलेंडर आदि। हर राज्य सरकार अपने वोट बैंक को साधने के लिए ऐसी घोषणाएं करती है।

सरकार पर कितना बोझ?

इस योजना का सीधा फायदा 1 करोड़ 67 लाख परिवारों को मिलेगा। खासकर उन गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को, जिनके लिए बिजली का बिल एक बड़ी चिंता का विषय होता है। अब उन्हें इस बोझ से काफी हद तक राहत मिलेगी। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू ये है कि सरकार पर इस ‘फ्री’ बिजली का भारी बोझ पड़ने वाला है।जब सरकार मुफ्त में कुछ देती है, तो इसका मतलब ये नहीं कि उसकी कोई लागत नहीं होती। बल्कि, उस लागत को टैक्सपेयर्स यानी हम और आप जैसे लोग ही किसी न किसी रूप में चुकाते हैं।यह पैसा सरकार के खजाने से आता है, जो अंततः जनता से वसूले गए टैक्स का ही हिस्सा होता है। बिहार जैसे राज्य के लिए पैसा कहां से आएगा? यह एक बड़ा सवाल है। बिहार एक ऐसा राज्य है जो विकास के कई मानकों पर अभी भी पीछे है और उसकी वित्तीय स्थिति हमेशा से चुनौतीपूर्ण रही है। ऐसे में 125 यूनिट मुफ्त बिजली जैसी योजना पर आने वाला करोड़ों रुपये का खर्च सरकार कैसे वहन करेगी, यह देखने वाली बात होगी।

 

खरगोन। मध्य प्रदेश खरगौन नगर पालिका परिषद में वार्ड क्रमांक 2 की एआईएमआईएम की एकमात्र गैर मुस्लिम पार्षद ने धर्म परिवर्तन के आरोपों को लेकर पार्टी से इस्तीफा दिया है। खरगोन की वार्ड क्रमांक 2 से एआईएमआईएम के टिकट से चुनाव जीतने वाली पार्षद अरुण उपाध्याय ने राष्ट्रीय कार्यालय हैदराबाद को अपने इस्तीफे में कहा कि वे निजी कारणों के चलते प्रदेश कोर कमेटी के पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे रही हैं।
उन्होंने बुधवार को इस्तीफा के कारण पर चर्चा करते हुए कहा कि उनके पति श्यामलाल उपाध्याय 2022 में चुनाव जीतने के बाद से पार्षद पद छोड़ने का दबाब बना रहे थे। पद छोड़ने से मना करने के बाद उन्होंने विगत दो वर्षों से उन पर फंड लेकर धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप लगाकर विभिन्न फोरमों पर शिकायत भी की है। उन्होंने बताया कि वे जान से मारने की भी धमकी देते हैं, इसलिए अलग होकर उनके विरुद्ध तलाक का केस भी दायर किया है। इसके अलावा उन्होंने 15 दिन पहले पति के खिलाफ पुलिस अधीक्षक से शिकायत भी की है।
उन्होंने बताया कि न उन्होंने स्वयं धर्म परिवर्तन किया है, और ना ही वे फंड लेकर लोगों का धर्म परिवर्तन करवा रही हैं। उन्होंने कहा कि पति से विवाद कारण पार्टी थी, इसलिए वे औवेसी की छोड़ रही हैं, लेकिन पार्षद के रूप में काम करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि मैंने पति से इन आरोपों को सिद्ध करने के लिए भी कहा है।
2022 के निकाय चुनाव में ओवैसी की पार्टी से प्रदेश में करीब आधा दर्जन पार्षद जीते थे। इसमें खरगोन की हिन्दू महिला अरुणा सहित तीन पार्षद भी शामिल थे। वे एआईएमआईएम से प्रदेश की पहली हिंदू पार्षद बनकर चर्चा में रहीं। वार्ड 2 से अरुणा के सामने भाजपा प्रत्याशी सुनीता गांगले और कांग्रेस की शिल्पा सोनी मैदान में थीं। उन्होंने 643 वोट हासिल किए थे। वार्ड में 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी होने के बावजूद उन्होंने जीत हासिल की थी।

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