राजनीति

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नई दिल्ली । दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा अरविंद केजरीवाल पर आबकारी नीति मामले में मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मंजूरी की खबर सामने आने के तत्काल बाद मनीष सिसोदिया ने बीजेपी पर हमला बोला है। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ईडी की जांच की खबर को झूठ का पुलिंदा करार दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर एलजी विनय सक्सेना ने पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने दी मंजूरी दी है तो ईडी क्यों नहीं दिखा रही उसकी कॉपी आप नेता का कहना है, साफ है कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव से पहले मुकदमा चलाने की खबर खबर झूठ और गुमराह करने वाली है। उन्होंने बीजेपी का नाम लिए बगैर कहा कि बाबा साहब के अपमान के मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए जुमलेबाजी बंद करो और दिखाओ कहां है, ईडी को मुकदमा चलाने के लिए दी गई मंजूरी? मनीष सिसोदिया का यह बयान पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ईडी की जांच को मंजूरी मिलने की खबर सामने आने के बाद आया है। दरअसल, उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने आबकारी नीति मामले में आप प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को राजधानी में विभागीय परामर्शदात्री समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। जिसे संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने विश्वास के साथ कहा कि पूर्व में मौजूद आयुध फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के निगमीकरण के बाद गठित किए गए नए रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (डीपीएसयू) रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगे। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि बैठक में समिति के कुछ सदस्यों ने डीपीएसयू में मानव संसाधन से जुड़े हुए मुद्दों पर जाहिर की गई चिंताओं और सुझावों पर राजनाथ सिंह ने आश्वासन के साथ कहा कि निगमीकरण से उत्पन्न हुए तमाम मुद्दों को सभी हितधारकों से जरूरी परामर्श के साथ उचित रूप से संबोधित किया जा रहा है। सुझावों की सराहना करते हुए उन्होंने क्रियान्वयन के लिए इनकी जांच करने की बात भी कही। बैठक में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार सहित मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।


बिक्री और लाभ में कम समय में हुई प्रगति
मंत्रालय के मुताबिक, इस बैठक में निगमीकरण के बाद डीपीएसयू की भूमिका और कार्यों पर चर्चा की गई। समिति के सदस्यों को वित्तीय आंकड़ों, आधुनिकीकरण, पूंजीगत व्यय, निर्यात, विकसित किए गए नए उत्पादों और वर्तमान में जारी अनुसंधान और विकास परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। राजनाथ ने इस तथ्य की सराहना की कि निगमीकरण के बाद नए डीपीएसयू ने उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार किया है। बहुत कम समय में इनकी बिक्री और लाभ में अच्छी प्रगति हुई है।


नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान करते हुए कहा जहां-जहां भाजपा की सरकार, उन राज्यों में यूसीसी लागू होगी। उत्तराखंड द्वारा लागू की गई समान नागरिक संहिता एक आदर्श कानून है, जिस पर व्यापक बहस होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इसके बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकारें सभी राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करेंगी। उन्होंने कांग्रेस पर संविधान का अपमान करने और तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हम लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं। एक ऐसा कानून जिसे सामाजिक जीवन में बड़े बदलाव लाने वाला माना जाता है, उसे उत्तराखंड ने आदर्श कानून के रूप में पारित किया। यह कानूनी और धार्मिक प्रमुखों द्वारा समीक्षा किया जाएगा और उसके बाद भाजपा सरकारें सभी राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू करेंगी। उन्होंने आगे कहा कि अब तक यह कानून लागू नहीं हो सका, इसका कारण कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति है।
राज्यसभा में संविधान के 75वें वर्ष पर चल रही बहस के दौरान, अमित शाह ने कांग्रेस और भाजपा द्वारा किए गए संविधान संशोधनों के बीच तुलना करते हुए यह दावा किया कि कांग्रेस ने निजी लाभ और सत्ता की खातिर संविधान में बदलाव किए, जबकि भाजपा ने लोकतंत्र को मजबूत करने और समान अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए संशोधन किए। 85 मिनट के अपने भाषण में शाह ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कभी आरक्षण का सम्मान नहीं किया और 50 प्रतिशत की सीमा को तोड़ने का प्रयास किया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार समान नागरिक संहिता के पक्ष में अपने विचार रखे हैं और भाजपा ने इस मुद्दे को झारखंड विधानसभा चुनावों में प्रमुख चुनावी वादा बनाया था। अमित शाह ने भी कांग्रेस पर यह आरोप लगाया कि उसने हमेशा संविधान का पालन नहीं किया और आपातकाल के दौरान कई गलतियां कीं।

नई दिल्ली। दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है। अब सबकी निगाहें बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची पर हैं। बता दें कि बीजेपी ने इस बार नारा दिया है- दिल्ली में आ रही है बीजेपी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के खिलाफ जिस तरह की नाराजगी है उससे बीजेपी इस बात के लिए पूरी तरह आश्वस्त है कि इस बार उसका दिल्ली पर कब्जा होगा और उसे शासन करने का मौका मिलेगा। बीजेपी में उत्साह देखा जा रहा है लेकिन फिर भी पार्टी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है और उम्मीदवारों के चयन में कोई गलती नहीं करना चाहती है। उम्मीदवारों के चयन के लिए पार्टी में कई स्तरों पर बैठकें हो चुकी हैं और उम्मीदवारों की सूची पर काम आगे बढ़ चुका है।
बताया जा रहा है कि बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची इस महीने के आखिर तक आ सकती है, जिसमें पार्टी नए चेहरों पर दांव लगा सकती है। बीजेपी की दिल्ली इकाई के एक शीर्ष पदाधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा उम्मीदवारों के चयन पर अंतिम दौर की बैठकें अभी होनी बाकी हैं। ये बैठकें 20 दिसंबर को संसद सत्र खत्म होने के बाद होंगी।
बताया जा रहा है कि उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और प्रत्येक सीट से तीन संभावित उम्मीदवारों की सूची पहले ही बना ली गई है। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस बार संभावना है कि पार्टी महिलाओं और युवाओं समेत नए चेहरों पर दांव लगाएगी, जिनकी जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ है और क्षेत्रों में लोगों के बीच पहुंच है। बताया जा रहा है कि इनमें से कई लोग ऐसे होंगे जिन्होंने अब तक चुनाव नहीं लड़ा है। इसके अलावा बीजेपी ने दिल्ली में जिन छह सांसदों को इस बार लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया था उन्हें भी विधानसभा चुनाव लड़वाया जाएगा।

 

नई दिल्ली । पीएम मोदी कुवैत के अमीर महामहिम शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह के निमंत्रण पर 21-22 दिसंबर 2024 को कुवैत का दौरा करेंगे। यह 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत की पहली यात्रा होगी।यात्रा के दौरान पीएम कुवैत के नेतृत्व के साथ चर्चा करेंगे। पीएम मोदी कुवैत में भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत और कुवैत के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, जो इतिहास में निहित हैं और आर्थिक संबंधों और लोगों के बीच मजबूत संबंधों से मजबूत हुए हैं। भारत कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है और भारतीय समुदाय देश में सबसे बड़ा प्रवासी समूह है।” इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों को और मजबूत करना है। यह यात्रा भारत और कुवैत के बीच बहुआयामी संबंधों को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी। बता दें कि हाल ही में कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्ला अली अल-याह्या ने भारत का दौरा किया और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ चर्चा की। यात्रा के दौरान, विदेश मंत्रालय ने कुवैती मंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि इस बैठक से भारत और कुवैत के बीच बहुआयामी संबंधों को और बढ़ावा मिलेगा। दोनों देशों ने विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक संयुक्त सहयोग आयोग (जेसीसी) की स्थापना के लिए बुधवार को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए।


नई दिल्ली। लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन डीएमके सांसद ए. राजा के बयान पर विवाद खड़ा हो गया। उन्होंने सत्ता पक्ष एनडीए के नेताओं को ‘खराब तत्व’ कहा, इस पर बीजेपी के नेताओं ने कड़ी नाराजगी जाहिर कर हंगामा किया। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सवाल उठाकर कहा कि वे हमें ‘खराब तत्व’ कैसे कह सकते हैं?”
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने ए. राजा से उनकी टिप्पणी के लिए माफी मांगने की मांग की। कार्यवाहक अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने कहा कि इस टिप्पणी को हटा दिया गया है।
डीएमके सांसद राजा ने कहा कि दो-राष्ट्र सिद्धांत की शुरुआत 1947 में मुहम्मद अली जिन्ना ने नहीं, बल्कि हिंदुत्व के आइकॉन वीर सावरकर ने 1924 में की थी। उनके बयान के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया। उन्होंने सवाल उठाया कि, “संविधान के निर्माण में आरएसएस का क्या योगदान है?” डीएमके नेता राजा ने बीजेपी नेताओं पर संविधान में बदलाव की कोशिश करने का आरोप भी लगाया।
उनके इन बयानों पर एनडीए नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया देकर माफी की मांग की। केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि चुनाव से पहले भी कहा गया था कि अगर बीजेपी को 400 सीटें मिलती हैं, तब वे संविधान में बदलाव करने और भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने वाले है। वह अपनी बात को प्रमाणित करें। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई।

 


नई दिल्ली। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को एक अहम बैठक की है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में किसान आंदोलन को लेकर बातचीत की गई है। इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हुए थे। किसान आंदोलन के बीच पीएम मोदी के सक्रिय होने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र बहुत जल्द किसानों को लेकर कोई बड़ी घोषणा करने जा रही है। वहीं पंजाब सरकार ने भी किसानों की मांगों को केंद्र तक पहुंचाने की बात कही है। इन सब से किसानों को भी उम्मीद बंधी है कि केंद्र को बड़ी घोषणा कर सकती है।

डल्लेवाल की हालत गंभीर
यहां बताते चलें कि किसान नेता जगजीत डल्लेवाल 20 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। उनकी हालत गंभीर होने पर सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरी मदद के निर्देश दिए थे। रविवार को केंद्रीय गृह निदेशक मयंक मिश्रा ने खनौरी बॉर्डर पर किसानों से मुलाकात की है। मिश्रा ने कहा कि किसानों की मांगों की जानकारी केंद्र को भेजी जाएगी, लेकिन वार्ता के प्रस्ताव से इनकार कर दिया है। डीजीपी गौरव यादव ने डल्लेवाल की जान को अहम बताते हुए कहा है कि सभी के साथ समन्वय कर बातचीत का माहौल बनाया जा रहा है।

 

नई दिल्ली। संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बोल रहे थे। इस मौके पर जहां विपक्ष कई बार टोका टाकी और कमेंट के साथ शोर भी बीच बीच में मचाता रहा, वहीं कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी पूरे तल्लीनता से पीएम मोदी को सुनती रहीं। जबकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से सदन में फोन का उपयोग न करने की अपील की। यह अनुरोध उन्होंने उस समय की जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ पर हो रही बहस को संबोधित कर रहे थे। राहुल गांधी सदन में विपक्षी खेमे की तरफ अगली पंक्ति में बैठे थे। वह अक्सर अपने फोन पर ध्यान दे रहे थे और दूसरे नेताओं से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ध्यान से प्रधानमंत्री का भाषण सुन रही थीं। उन्होंने हेडफोन लगाकर पीएम मोदी की बातों को ध्यानपूर्वक सुना। वहीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रधानमंत्री मोदी के आधे घंटे के भाषण के बाद ही सदन में लौटे। लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल गांधी को सदन के बीच में फोन का उपयोग न करने की सलाह दी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ‘खून चखने के बाद संविधान को बार-बार ‘लहूलुहान किया जबकि 2014 में सत्ता संभालने के बाद से उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों का उद्देश्य संविधान की दृष्टि के अनुरूप भारत की ताकत और एकता को बढ़ावा देना है। उन्होंने भारतीय संविधान की 75 साल की यात्रा को ‘असाधारण’ करार दिया और विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस दौरान 55 साल ‘एक ही परिवार’ ने राज किया, जिसने देश का संविधान छिन्न-भिन्न करते हुए आपातकाल लगाया, अदालत के पंख काट दिए और संसद का गला घोंटने तक का काम किया।

 

 

अब लोकसभा के शीतकालीन सत्र में नहीं होगा पेश

नई दिल्ली। देश में वन नेशन, वन इलेक्शन की बीते कुछ दिनों से खूब चर्चा है। इससे जुड़े दो विधेयक सोमवार को लोकसभा में भी पेश किया जाने वाला था। अब बताया जा रहा है कि दोनों विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश नहीं किए जाएंगे। संशोधित कार्यसूची से बिल को हटा दिया या है।इससे पहले शुक्रवार को जारी की गई कार्यसूची में कहा गया था कि बिल को सोमवार को लोकसभा में रखा जाएगा। अभी कारण स्पष्ट नहीं कि सरकार ने सोमवार को बिल न लाने का फैसला क्यों किया और अब किस दिन लाया जाएगा। हालांकि, लोकसभा का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।

सरकार ने बिल लाने में की देरी
सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन पर आधारित विधेयकों को लोकसभा में पेश करने में डिले कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, ये विधेयक वित्तीय व्यवसाय के पूरा होने के बाद सदन में लाए जा सकते हैं। पहले ये विधेयक, संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और संघ शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, सोमवार को लोकसभा में पेश किए जाने के लिए लिस्ट किए गए थे। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी संशोधित सूची में इन विधेयकों को सोमवार के एजेंडे में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि, लोकसभा स्पीकर की इजाजत के बाद सरकार बिल को सप्लीमेंट्री लिस्टिंग के माध्यम से सदन में आखिरी समय में भी पेश कर सकती है।

पटना। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि देश के उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। चिराग पासवान ने अपने एक्स पर पोस्ट पर लिखा कि देश के महामहिम उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। विपक्ष द्वारा पुनः एकबार सदन की गरिमा को गिराने का प्रयास किया गया। एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का अनादर करना विपक्षी दलों की पहचान रही है।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक किसान परिवार से आने वाले व्यक्ति भारत के उपराष्ट्रपति के पद पर आसीन है, ये हमसब देशवासियों के लिए गर्व की बात है। ऐसे में उनका अपमान कतई उचित नहीं है। जिन्हें देश की जनता कई बार नकार चुकी है, उनके द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाना बेहद हास्यास्पद है। विपक्ष पहले भी इन सब मुद्दों से देश का ध्यान भटकाने का प्रयास कर चुका है।

 

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