ईश्वर दुबे
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मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव सेना के गठजोड़ को करारी हार मिली है। अब तक महाविकास अघाड़ी के नेता इस हार को स्वीकार नहीं कर पाए हैं। संजय राउत का कहना है कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने चाहिए। इस बीच शरद पवार की एनसीपी के सीनियर नेता जितेंद्र अव्हाड ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हम अपनी हार के लिए कोई एक कारण नहीं मान सकते। उन्होंने कहा, कोई एक कारण सामने नहीं आ रहा है। चुनाव के बाद कुछ बदला नहीं था। बेरोजगारी और महंगाई में इजाफा हुआ है। अव्हाड ने कहा, एक परिवार में 32 वोट हैं। उन सभी लोगों ने अपने घर के कैंडिडेट को वोट दिया है। फिर भी उसे जीरो वोट दिखाया है। ऐसा कैसे हो सकता है? इससे पहले संजय राउत ने मांग उठाई थी कि दोबारा चुनाव होने चाहिए और वोटिंग बैलेट पेपर से कराई जाए। राउत ने कहा, ‘ईवीएम को लेकर हमें करीब 450 शिकायतें मिलीं। बार-बार आपत्ति जताए जाने के बावजूद इन मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हम कैसे कह सकते हैं कि ये चुनाव निष्पक्ष तरीके से हुए? इसलिए मेरी मांग है कि नतीजों को रद्द किया जाए और दोबारा चुनाव मत पत्रों के जरिए कराए जाएं।
डोंबिवली में ईवीएम की गिनती में विसंगतियां पाई गईं
उन्होंने कहा कि नासिक में एक उम्मीदवार को कथित तौर पर केवल चार वोट मिले, जबकि उसके परिवार के 65 वोट थे। उन्होंने कहा कि डोंबिवली में ईवीएम की गिनती में विसंगतियां पाई गईं और चुनाव अधिकारियों ने आपत्तियों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। शिवसेना यूबीटी के नेता ने कुछ उम्मीदवारों की भारी जीत की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाते हुए कहा, ‘उन्होंने ऐसा कौन सा क्रांतिकारी काम किया जो उन्हें 1.5 लाख से अधिक वोट मिले? यहां तक कि हाल में पार्टी बदलने वाले नेता भी विधायक बन गए। इससे संदेह पैदा होता है। पहली बार शरद पवार ने ईवीएम पर संदेह व्यक्त किया है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।बहिन योजना का कोई इतना असर नहीं होता है। जैसे चंद्रपुर की सीट आप देखेंगे तो वह हमने 2 लाख 40 हजार के अंतर से जीती थी। अब आप देखिए कि वह 2 लाख 40 हजार तो गए ही उसके ऊपर 1 लाख वोट और कैसे चले गए। ऐसा नहीं हो सकता। यहां तक कि जीते हुए विधायकों ने भी कहा कि साहब हम जीतकर आए हैं, लेकिन कहीं न कहीं ईवीएम का बड़ा मसला है।
मुंबई। महाराष्ट्र की महासियासत फिलहाल थमती नहीं दिख रही है। यहां चुनावी जंग महायुति ने जीती है लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा? इसको लेकर कोई अधिकृत घोषणा नहीं की गई है। यहां के तीन दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस,अजित पवार और एकनाथ शिंद सीएम की आस लगाए हुए है। खबरें आ रहीं हैं देवेंद्र फडणवीस को ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। इन खबरों चलते ही सीएम एकनाथ शिंदे के समर्थकों में नाराजगी बढ़ी और भीड़ के साथ मुंबई आने की खबरें फैल गईं। इसके बाद खुद शिंदे ने अपने समर्थकों से अपील करते हुए कहा कि मेरे घर पर एकत्रित न हों। वहीं दूसरी तरफ अजित पवार मामले को गंभीरता से समझ रहे हैं और फिलहाल न्यूट्रल हैं और देवेंद्र को पूरा यकीन है कि सीएम वे ही बनेंगे। कुल मिलाकर भीतर ही भीतर नाराजगी तो है,लेकिन उसे बाहर नहीं आने दे रहे हैं। जब भी सीएम तय होगा बगावत के सुर सुनाई देने की पूरी आशंका है। महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर सस्पेंस बरकरार है। इसी बीच महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि कोई भी उनके आवास वर्षा या कहीं और समर्थन के लिए एकत्र न हों। शिंदे ने एक्स पर एक पोस्ट किया, इसमें उन्होंने कहा कि महायुति की बड़ी जीत के बाद राज्य में एक बार फिर हमारी सरकार बनने जा रही है। महायुति के रूप में हमने एक साथ चुनाव लड़ा और आज भी साथ हैं। मेरे प्रति प्रेम के कारण कुछ समूहों ने एक साथ मुंबई आने की अपील की है, मैं आपके प्यार के लिए बहुत आभारी हूं। हालांकि मैं किसी से भी इस तरह से एक साथ आने और मेरा समर्थन करने की अपील नहीं करता। एक बार फिर मेरा विनम्र अनुरोध है कि शिवसेना के कार्यकर्ता मेरे आवास वर्षा या कहीं और एकत्र न हों। महायुति एक मजबूत और समृद्ध महाराष्ट्र के लिए मजबूत रही है और आगे भी मजबूत रहेगी। खबरों के मुताबिक महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन महायुति की शानदार जीत के तुरंत बाद संभव लग रहा था, लेकिन शिवसेना के इस आग्रह के कारण यह थोड़ा टल गया है कि एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री बने रहें। चुनाव के नतीजे आने के बाद चर्चा थी कि विधानसभा में अपनी पार्टी को अब तक की सबसे ज्यादा सीटें दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले देवेंद्र फडणवीस सोमवार को ही शपथ ले लेंगे, लेकिन महायुति नेताओं के बीच अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर आम सहमति नहीं बन पाने के कारण ऐसा नहीं हो सका। ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि दिल्ली पहुंचे फडणवीस, शिंदे और अजित पवार राष्ट्रीय राजधानी में भाजपा नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं, ताकि मुख्यमंत्री पद पर गतिरोध को दूर किया जा सके।
रांची । ईडी के समन की अवहेलना के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को रांची की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट से मंगलवार को झटका लगा है। एमपी-एमएलए अदालत ने ईडी की ओर से मामले में दायर मुकदमे में सोरेन को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति से छूट देने से मना कर दिया है। सोरेन ने 5 जुलाई को अदालत में याचिका दाखिल कर दरख्वास्त की थी कि ईडी की ओर से समन अवहेलना का आरोप लगाकर उनके खिलाफ जो शिकायतवाद दायर की है, उसमें सुनवाई के दौरान उन्हें व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति से छूट दी जाए। एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश सार्थक शर्मा की अदालत ने सोरेन की याचिका पर सुनवाई और दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 11 नवंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सोरेन ने ईडी की ओर से भेजे गए समन का उल्लंघन किया
अब अदालत ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को मामले में व्यक्तिगत रूप से बुलाया है और चार दिसंबर की तारीख निर्धारित की है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया माना है कि सोरेन ने ईडी की ओर से भेजे गए समन का उल्लंघन किया। ईडी की ओर से सीजेएम कोर्ट में 19 फरवरी को शिकायतवाद दर्ज कराया गया था। इसमें एजेंसी ने बताया है कि जमीन घोटाले में पूछताछ के लिए सोरेन को दस समन भेजे गए थे, लेकिन वे दो समन पर उपस्थित हुए। यह पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की धारा 63 एवं आईपीसी की धारा 174 के तहत गैरकानूनी है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के बाद 4 मार्च को संज्ञान लिया था। बाद में यह मामला एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। बता दें कि रांची के बड़गाईं अंचल से संबंधित जमीन घोटाले को लेकर ईडी ने हेमंत सोरेन को पहली बार 14 अगस्त 2023 को हाजिर होने के लिए समन भेजा गया था। इसके बाद इसी वर्ष उन्हें 19 अगस्त, 1 सितंबर, 17 सितंबर, 26 सितंबर, 11 दिसंबर, 29 दिसंबर को और 2024 में 13 जनवरी, 22 जनवरी और 27 जनवरी को समन भेजे गए थे। दसवें समन पर उनसे 31 जनवरी को पूछताछ हुई थी और इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
नई दिल्ली । कांग्रेस हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन की समीक्षा करने 29 नवंबर को मैराथन बैठक आयोजित करेगी। यह बैठक संसद के चालू सत्र के दौरान हागी। इसमें अडाणी मुद्दे पर सरकार को घेरने पर भी चर्चा की जाएगी। बैठक में हरियाणा और महाराष्ट्र में पार्टी की हार की समीक्षा भी होगी। इसके साथ दिल्ली में होने वाले चुनावों के लिए गठबंधन की तैयारियों और संभावनाओं के साथ-साथ अगले साल बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर चर्चा होगी।
रांची। संथाल परगना की हाट सीट बरहेट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जीत दर्ज कर चुके हैं। वहीं संताल की अधिकतर सीटों की तस्वीर साफ हो गई है। देवघर, गोड्डा और पाकुड़ जिले की सभी नौ सीटों पर आइएनडीए की जीत तय है। साहेबगंज की तीनों सीटों में से बरहेट और बीरियो से झामुमो ने जीत दर्ज की है। राजमहल पर फैसला आना बाकी है। वहीं दुमका जिले की चार सीटों में से एक झामुमो और तीन भाजपा के खाते में जा सकती है।
महेशपुर सीट से झामुमो के स्टीफन मरांडी 60565 और लिट्टीपाड़ा से झामुमो के हेमलाल मुर्मू जीते। आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। पौड़ेयाहाट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव भी जीत के करीब हैं। महागामा से कांग्रेस की दीपिका पांडेय सिंह 11वें राउंड में 122 मतों से बढ़त बना ली है। वह लगातार भाजपा के अशोक कुमार से पीछे चल रहीं थीं। पाकुड़ से कांग्रेस प्रत्याशी निशात आलम की भी जीत तय है। वहीं दुमका से भाजपा के सुनील सोरेन आगे चल रहे हैं।
नई दिल्ली: कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने केरल की वायनाड संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में शानदार जीत दर्ज की है। प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर वायनाड की जनता का आभार जताया है। उन्होंने वायनाड की जनता को अपना बहुमूल्य वोट देने और उन पर भरोसा जताने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वह हमेशा लोगों की उम्मीदों और सपनों को समझेंगी और संसद में उनकी आवाज बनेंगी।
प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'वायनाड के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, आपने मुझ पर जो भरोसा दिखाया है, उसके लिए मैं आपकी आभारी हूं। मैं यह सुनिश्चित करूंगी कि समय के साथ आपको वास्तव में यह महसूस हो कि यह जीत आपकी जीत है और आपने जिस व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि चुना है, वह आपकी उम्मीदों और सपनों को समझता है और आपके लिए आपके ही लोगों में से एक के रूप में लड़ता है। मैं संसद में आपकी आवाज बनने के लिए उत्सुक हूं! मुझे यह सम्मान देने के लिए और उससे भी ज्यादा आपने मुझे जो प्यार दिया है, उसके लिए धन्यवाद।'
यूडीएफ सहयोगियों, कार्यकर्ताओं को दिया धन्यवाद
उन्होंने केरल के अपने यूडीएफ सहयोगियों, नेताओं, कार्यकर्ताओं और कार्यालय के सहयोगियों को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने इस अभियान में बहुत मेहनत की। उन्होंने लिखा, 'यूडीएफ में मेरे साथियों, नेताओं, कार्यकर्ताओं, केरल भर के स्वयंसेवकों और मेरे कार्यालय के सहकर्मियों ने इस अभियान में अविश्वसनीय रूप से कड़ी मेहनत की, आपके समर्थन के लिए धन्यवाद, मेरी 12 घंटे की कार यात्रा (बिना भोजन, बिना आराम) को सहन करने के लिए, और उन आदर्शों के लिए सच्चे सैनिकों की तरह लड़ने के लिए, जिन पर हम सभी विश्वास करते हैं।'
नई दिल्ली। महाराष्ट्र और झारखंड प्रदेश के विधानसभा चुनाव के साथ ही 15 राज्यों की 46 विधानसभा और दो लोकसभा सीटों के नतीजे जारी हो गये हैं। इनमें प्रमुख रुप से वायनाड लोकसभा सीट से प्रियंका गांधी ने रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की है, जबकि नांदेड़ लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी डॉ. संतुक हंबार्डे जीते हैं।
विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों की बात करें तो मध्य प्रदेश की विजयपुर सीट पर कांग्रेस से भाजपा में आए वन मंत्री रामनिवास रावत हार गए हैं वहीं बुधनी विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी रमाकांत भार्गव 13,901 मतों से जीत गए हैं। यहां बताते चलें कि बुधनी विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 5 बार विधायक रहे और उनके सांसद बनने पर यह सीट खाली हुई थी।
नई दिल्ली । संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हो रहा है। यह पिछले 10 साल में सबसे आक्रामक हो सकता है। क्योंकि विपक्ष के पास मुद्दों की भरमार है। अडाणी मुद्दे पर कांग्रेस जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की मांग उठा चुकी है। मणिपुर में फिर हिंसा भडक़ने और वहां पीएम के नहीं जाने से सरकार पहले से ही बचाव की मुद्रा में है। वक्फ विधेयक जैसे संवेदनशील मुद्दे से पार पाना सरकार के लिए चुनौती है, क्योंकि इस पर सहयोगी दलों के विचार एक नहीं हैं। वहीं इसी साल हुए आम चुनाव में नई सरकार के गठन के बाद इस पहले शीतकालीन सत्र में सरकार कुछ पेंडिंग विधेयक पारित कराने की तैयारी में है तो वहीं कुछ नए विधेयकों भी कार्यसूची में हैं। शीतकालीन सत्र के लिए जो कार्यसूची सामने आई है, उसमें नए-पुराने कुल 16 विधेयकों के नाम हैं। इस लिस्ट में सबसे चर्चित विधेयक हैं वक्फ संशोधन विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024। यह विधेयक संसद के मॉनसून सत्र के दौरान ही लोकसभा में पेश किए गए थे। विपक्षी दलों के विरोध और हंगामे के बीच अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक लोकसभा में पेश किया था।
संसद में पेश होते ही इन विधेयकों को बगैर किसी चर्चा के संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था। जेपीसी की अगुवाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सांसद जगदंबिका पाल कर रहे हैं। जेपीसी गठन के साथ ही यह तय हो गया था कि वह अपनी रिपोर्ट अगले सत्र के पहले हफ्ते के अंतिम दिन संसद में पेश करेगी। इस हिसाब से देखें तो जेपीसी अपनी रिपोर्ट 29 नवंबर को पेश करेगी। जेपीसी की अगुवाई कर रहे जगदंबिका पाल ने कहा भी है कि हमारी रिपोर्ट तैयार है। हालांकि, विपक्षी दलों के सांसद जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। वक्फ संशोधन विधेयक के साथ ही मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक भी जेपीसी को भेजा गया था। यह बिल भी जेपीसी की रिपोर्ट संसद में पेश होने के बाद चर्चा और पारित कराए जाने के लिए वापस लाया जाएगा।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की वोटिंग से एक दिन पहले मंगलवार को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े पर नकदी बांटने का आरोप लगने के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बहुजन विकास अघाड़ी (बीवीए) नेता हितेंद्र ठाकुर ने तावड़े पर नकदी बांटकर चुनाव प्रभावित करने और मतदाताओं को लुभाने के लिए नकदी बांटने के आरोप लगाए। उन्होंने अपने समर्थकों के साथ महाराष्ट्र के विरार स्थित विवांता होटल में तावड़े का घेराव करते हुए नारेबाजी की। इसके बाद भाजपा और विपक्षी दलों के बीच इस मामले में जमकर आरोप प्रत्यारोप लगाये गये।
भाजपा प्रवक्ता त्रिवेदी ने कहा कि विनोद तावड़े हमारे राष्ट्रीय महासचिव हैं और पार्टी के कई कार्यों की देखरेख कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवार ने उनसे बैठक में भाग लेने के लिए कहा। वो पास से गुजर रहा थे तो उन्होंने बैठक में जाना उचित समझा। ऐसी बैठकें पार्टी कार्यकर्ताओं को मतदान प्रक्रिया के संबंध में निर्देश देने के लिए की जाती हैं। वहीं कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने विनोद तावड़े को लोगों द्वारा नकदी के बंडलों के साथ रंगे हाथों पकड़े जाने का वीडियो दिखाया। उन्होंने बताया कि तावड़े को मुंबई के विरार पूर्वी के एक होटल से रंगे हाथों पकड़ा गया, जबकि वह इस इलाके से ताल्लुक नहीं रखते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े खुलेआम पैसे बांटने आए थे, उनके पास से पांच करोड़ रुपये नकद बरामद हुए हैं। इसके साथ ही उनके पास एक डायरी मिली है, जिसमें 15 करोड़ रुपये का लेखा-जोखा है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, सवाल है कि ये पैसा चुनाव के महज कुछ घंटे पहले क्यों बांटा जा रहा है। नियम कहता है कि चुनाव प्रचार थम जाने के बाद कोई भी किसी दूसरे चुनावी इलाके में नहीं रह सकता, ऐसे में विनोद तावड़े विरार पूर्वी में क्या कर रहे थे? उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र चुनाव में सत्ता और संसाधनों का धड़ल्ले से दुरुपयोग किया जा रहा है। ऐसे में सवाल है कि चुनाव आयोग अब कोई कार्रवाई करेगा या साक्ष्य मौजूद होने पर मूकदर्शक बना रहेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष के बैग, हेलीकॉप्टर चेक करेगी, लेकिन इनके नेता खुद करोड़ों रुपये लेकर घूम रहे हैं।
मुंबई। भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष पद और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की रेस में भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा राष्ट्रिय महासचिव विनोद तावड़े का नाम कुछ दिनों से चल रहा है लेकिन कैश कांड से उनकी साख दांव पर लग गई है। क्योंकि इस कैश कांड के चलते तावड़े अब विपक्ष के रडार पर हैं। जी हाँ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाने वाले विनोद तावड़े महाराष्ट्र में मतदान से ठीक एक दिन पहले वोट के बदले कैश बांटने के आरोप में समूचे देश में सुर्खियां बंटोर रहे हैं। चुनाव आयोग की तरफ से तावड़े के खिलाफ आचार संहिता का उल्लंघन का मामला दर्ज करवाया गया है लेकिन उक्त एफआईआर में कैश कांड का जिक्र नहीं है। वहीं इस एफआईआर की कार्रवाई के बाद राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस और विपक्ष के बड़े नेता तावड़े के जरिए बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं। सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र के दिग्गज नेता और वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का विनोद तावड़े के साथ मनमुटाव चल रहा है क्योंकि तावड़े मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदारों में से एक मानें जाते हैं। वहीं वे भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष पद की रेस में भी बताये जा रहे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से जानने वाले बताते हैं कि फडणवीस द्वारा राज्य की राजनीति में विनोद तावड़े को साइड लाइन करने से गृह मंत्री शाह ने उन्हें अपने करीब कर लिया क्योंकि कहा जा रहा है कि अमित शाह फडणवीस को पसंद नहीं करते हैं लेकिन आरएसएस के दवाब के चलते वे शांत हैं। उधर विनोद तावड़े को भाजपा का राष्ट्रिय महासचिव बनाकर पार्टी में उनका ओहदा बड़ा दिया गया। अब तो खबर ये भी है कि विनोद तावड़े भाजपा के राष्ट्रिय अध्यक्ष तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की रेस में भी हैं। लेकिन मतदान की पूर्व संध्या पर जिस प्रकार से वे कैश कांड में फंस गए हैं उसके पैसा तर्क ये दिया जा रहा है कि तावड़े का कद कम करने के लिए ये एक सुनियोजित चाल पार्टी के ही लोगों द्वारा चली गई है। खैर और केसों की तरह ये केस भी ठंडे बस्ते में चला जायेगा और विनोद तावड़े इस केस से बेदाग बाहर निकल जायेंगे लेकिन फ़िलहाल वे विपक्ष के रडार पर हैं और विपक्ष को तावड़े के जरिए बीजेपी पर निशाना साधने का एक बड़ा मौका हाथ लग गया है।
देश के दो राज्यों में विधानसभा चुनाव और यूपी समेत चार राज्यों की 15 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान खत्म होने के बाद एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आएं हैं। एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन सबसे ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि झारखंड में भी भाजपा+ को झामुमो+ के मुकाबले ज्यादा सीटें मिल रही है। अगर यूपी में उपचुनाव की बात करें तो, यहां भी भाजपा+ अन्य दलों से आगे है। झारखंड में टाइम्स नाउ-जेवीसी के अनुसार राज्य की सत्ताधारी दल झामुमो+ को 38 सीटें मिलने का अनुमान है, वहीं भाजपा+ 42 यानी बहुमत का आंकड़ा मिल रहा है। जबकि एक सीट अन्य को मिलती दिख रही है। महाराष्ट्र में एसएएस के एग्जिट पोल में महायुति 127-135, एमवीए को 147-155 और अन्य को 10-13 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। टाइम्स नाऊ जेवीसी के एग्जिट पोल में महायुति 150-167, एमवीए को 107-125 और अन्य को 13-14 सीटें मिलने का अनुमान है।
अमेठी । उत्तरप्रदेश के अमेठी से कांग्रेस सांसद किशोरी लाल शर्मा ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्था निष्पक्ष रूप से काम नहीं कर रही है और वह सिर्फ एक पार्टी की ही संस्था बनकर रह गयी है।
शर्मा ने कलेक्ट्रेट में आयोजित जिला सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में हिस्सा लेने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी है कि वह शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराए लेकिन देश में ऐसा नहीं हो रहा है। आज उपचुनाव में हिंसा की खबरें भी आयोग की विफलता का नतीजा हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है लेकिन यह अपनी जिम्मेदारी का ठीक से निर्वहन नहीं कर रही है। यह केवल एक पार्टी की ही संस्था बनकर रह गयी है।’’
शर्मा ने दावा किया, ‘‘यहां तक कि कांग्रेस के नेताओं और कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को भी आयोग के अधिकारियों से मिलने का समय नहीं दिया जाता है। इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है कि देश का हर राजनीतिक दल निर्वाचन आयोग पर सवाल खड़े कर रहा है।’’
सांसद ने बैठक के संबंध में बताया कि उनकी अध्यक्षता में आज जिला सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक हुई। बैठक में सभी दलों के जनप्रतिनिधियों ने दलगत भावना से ऊपर उठकर जनपद के विकास पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि बैठक में किसानों के मुद्दे पर और चिकित्सा सहित तमाम मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा हुई।
बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. सभी दल अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. 2015 में बुरी तरह से नाकाम होने के बाद 'द प्लुलर्स पार्टी' की राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी अब 'मिशन 2025' के लिए तैयार हो रही हैं. उन्होंने एक बार फिर से जन संपर्क अभियान शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में अपनी महायान यात्रा पर बोधगया में पहुंची द प्लूलर्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी ने बताया कि वह 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लड़ने की तैयारी कर रही हैं. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने उपचुनाव में नहीं लड़ा है, लेकिन 2025 का चुनाव जरूर लड़ेगी. पुष्पम प्रिया चौधरी ने आगे कहा कि बिहार में चुनाव के वक्त पॉवर पॉलिटिक्स का तमाशा देखने को मिलता है. सीएम पद को लेकर उन्होंने कहा कि इसपर हर एक नागरिक का अधिकार है. उन्होंने कहा कि सीएम की कुर्सी किसी की बपौती नही है. बदलाव लाना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि आज बदलाव लाने की बात हो रही है, इसलिए यात्रा की शुरुआत की है. बिहार का कोई भी पद किसी की बपौती नहीं है. इस दौरान पुष्पम प्रिया चौधरी ने बीजेपी के 'बंटोगे तो कटोगे' के नारे पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि जुमलों से ही राजनीति होती है. एक पर एक जुमले दिए जा रहे हैं. अब ऐसा लग रहा है कि स्क्रिप्ट लिखने के लिए किसी फिल्म के डायरेक्टर को बुला लेना चाहिए. ऐसी कोई भी पार्टी नहीं है जो बांट ना रही हो. जिन्होंने यह नारा दिया है उनसे भी पूछने की जरूरत है. पुष्पम प्रिया ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टी एक ही जैसी हैं. ऐसा नारा देने का ट्रेंड रहा है. बिहारियों के मन मे अक्सर यह सवाल होता है कि किसको चुनेंगे? एक तरफ खाई है तो दूसरे तरफ कुआं है.
उन्होंने कगा कि जुमलों से बचना है. चाहे वह किसी पार्टी का जुमला हो. उन्होंने जुमला देने के अलावा क्या किया है, यह सबने देखा है. वहीं पटना शेल्टर होम में 3 बच्चियों की मौत पर उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है. 2020 से पहले भी ऐसी घटनाएं होती रही हैं. हमारी खुद की पार्टी के प्रत्याशी के बेटी की हत्या कर दी गई थी. यहां बेटियों की मौत होना, अगवा करना, रेप होना, यह आम बातें रही हैं. जब वोट डालने जाते है तो ये सारी बातें भुल जाते है. यह सीएम की जिम्मेवारी होती है. जब कोई कांड होता है तो ऊपर के पदाधिकारी नीचे के पदाधिकारी को ढ़ूंढ़ने लगते हैं.
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे के जोर पकड़ने के बीच उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार ने कहा कि वह इस नारे का समर्थन नहीं करते और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के ‘एक है तो सुरक्षित है’ नारे का समर्थन किया। विपक्षी नेताओं ने इस नारे की व्यापक रूप से निंदा की है तथा इसमें सांप्रदायिक भावना होने का दावा किया है।
एएनआई (ANI) को दिए साक्षात्कार में अजित पवार ने कहा, “मैंने एक सार्वजनिक रैली और मीडिया साक्षात्कारों में इस पर (बटेंगे तो कटेंगे) अपनी असहमति व्यक्त की है। कुछ भाजपा नेताओं ने भी यही व्यक्त किया है। ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मतलब है सबके साथ, सबका विकास… अब, ‘एक हैं तो सुरक्षित हैं… मैं इसे इस नजरिए से देखता हूं।” नारे पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, ”हमने तुरंत कहा कि यह उत्तर प्रदेश नहीं है, यह हमारे महाराष्ट्र में नहीं बल्कि उत्तर में चल रहा होगा।”
योगी जी के नारों में कुछ भी गलत नहीं- फडणवीस
इससे पहले एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में भाजपा नेता फडणवीस, जो महायुति के बैनर तले अजीत पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन में हैं, ने कहा कि नारे में कुछ भी गलत नहीं है।फडणवीस ने कहा, “मुझे योगी जी के नारों में कुछ भी गलत नहीं लगता। इस देश का इतिहास देखिए। जब जब बात होती है, तब गुलाम बनते हैं। जब भी यह देश जातियों में, राज्यों में, समुदायों में बंटा, हम गुलाम हुए। देश भी बंटा और लोग भी। इसलिए अगर हम बंटेंगे तो कट जाएंगे। यह इस देश का इतिहास है।” उन्होंने कहा, “और मुझे समझ में नहीं आता कि अगर कोई कहता है कि बांटो मत, तो इस पर आपत्ति करने का क्या मतलब है?”
20 नवंबर को होंगे चुनाव
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव प्रचार तेज हो गया है, सत्तारूढ़ महायुति और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) दोनों ही मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होने हैं और मतगणना 23 नवंबर को होगी।
‘हमारा लक्ष्य, महायुति सरकार वापस आनी चाहिए’
अजित पवार ने 20 नवंबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले अभियान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी पार्टी का इरादा महायुति गठबंधन के लिए अधिक से अधिक वोट हासिल करना है। उन्होंने कहा, “मैं गठबंधन का सदस्य हूं और हम इसमें शामिल हैं। हमारा इरादा महायुति के लिए अधिक से अधिक वोट जीतना है और हम उसी के अनुसार काम कर रहे हैं।” एनसीपी नेता ने कहा, “हमने जो काम किया है, जो योजनाएं लेकर आए हैं, आपने देखा होगा कि लगभग 2-3 महीने में मैं जन सम्मान यात्रा के माध्यम से महाराष्ट्र जा रहा हूं… हमारा एक ही लक्ष्य है, महायुति सरकार वापस आनी चाहिए।”