राजनीति

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जयपुर । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अमर जवान ज्योति पर आयोजित ‘रन फॉर विकसित राजस्थान’ को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे युवा देश की धरोहर हैं। जब युवा आगे बढ़ेंगे, तो देश-प्रदेश आगे बढ़ेगा। युवाओं की ऊर्जा, जोश एवं प्रतिभा ही राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि हम सभी की भागीदारी से विकसित भारत एवं विकसित राजस्थान का सपना साकार होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित ‘रन फॉर विकसित राजस्थान’ की यह दौड़ हमारी एकजुटता, दृढ़ संकल्प और राज्य के विकास की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि युवा सशक्त होंगे तो राजस्थान सशक्त होगा। इसी लक्ष्य के साथ प्रदेश में अब से हर वर्ष 12 दिसम्बर को ‘रन फॉर विकसित राजस्थान’ का आयोजन किया जाएगा, जिससे युवाओं को राज्य की प्रगति में भागीदार बनने की प्रेरणा मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का मानना है कि भारत के भविष्य का मार्ग अब बड़े सपनों, बड़े संकल्पों की सिद्धि का है। आज विकसित भारत का निर्माण ही हर देशवासी का ध्येय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के इसी ध्येय को अपना संकल्प बनाकर हमारी सरकार काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था कि 21वीं सदी भारत की होगी। प्रधानमंत्री ने यह करके दिखाया है। यह सदी भारत की है, भारत के युवाओं की है। शर्मा ने कहा कि राज्य के खिलाडिय़ों ने विभिन्न खेलों में कई बार राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त किए हैं। इस बार पेरिस पैरालंपिक में हमारे प्रदेश के खिलाडिय़ों ने स्वर्ण, कांस्य सहित कुल 3 पदक जीते। हमारी सरकार खिलाडिय़ों को अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं विकसित कर रही है। उन्होंने कहा कि राइजिंग राजस्थान समिट के दौरान भी खेलों के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के एमओयू हस्ताक्षरित हुए हैं, जिससे युवाओं को खेलों में और आगे बढऩे के अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा टारगेट ओलम्पिक पोडियम स्कीम से ओलम्पिक में भाग लेने वाले 50 प्रतिभाशाली युवाओं को विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही, राजस्थान में खेलो इंडिया राष्ट्रीय यूथ गेम्स-2026 का आयोजन होगा।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खेल एवं युवा नीति लाने, महाराणा प्रताप खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने सहित खेलों के विकास की विभिन्न कार्य कर रही है। खेल एवं युवा मामलात मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने फिट इंडिया, योग दिवस, श्री अन्न, स्वच्छ भारत जैसे अभियानों के माध्यम से युवाओं को फिट, स्वस्थ, स्वच्छ रहने की दिशा दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राजस्थान में युवाओं के लिए बहुत काम हो रहा है। आगामी 5 सालों में 4 लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी तथा राइजिंग राजस्थान के माध्मय से प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

नई दिल्ली। दिल्ली की आप सरकार महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए देगी। इस योजना को महिला सम्मान योजना नाम दिया गया है। 18 साल की उम्र पूरी करने वाली हर महिला इस स्कीम के दायरे में आएगी। दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के नेशनल कन्वीनर अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को इस स्कीम का ऐलान किया। उन्होंने कहा योजना के लिए आज से ही रजिस्ट्रेशन शुरू किए जा रहे हैं। केजरीवाल ने यह भी कहा कि चुनाव के बाद महिलाओं को हर महीने मिलने वाली रकम को बढ़ाकर 2100 कर दिया जाएगा।


रजिस्ट्रेशन शुरू, चुनाव के बाद राशि बढ़ाकर 2100 कर दी जाएगी
इससे पहले केजरीवाल ने ऑटो चालकों के लिए भी घोषणाएं की हैं। इसके अनुसार ऑटो चालक की बेटी की शादी के लिए एक लाख रुपए दिए जाएंगे। होली-दीवाली पर वर्दी बनवाने के लिए ढाई-ढाई हजार रुपए देंगे। दस लाख रुपए का लाइफ इंश्योरेंस, पांच लाख का एक्सीडेंटल इंश्योरेंस कराया जाएगा। ऑटो चालकों के बच्चों की कोचिंग के लिए पैसा दिया जाएगा। आप सरकार की यह पांच गारंटी क्या असर डालती है यह आगामी विधानसभा चुनावों में ही नजर आएगा।

 

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार पर चर्चा के लिए सीएम देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार को साथ दिल्ली आना था। लेकिन फडणवीस और पवार ही रवाना हुए। दोनों नेताओं ने दिल्ली आकर कई लोगों से मुलाकात की। अमित शाह और जेपी नड्डा से भी मुलाकात हुई है। आज अजित से भी अलग से शाह मिल रहे हैं। वहीं डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में ही हैं और वे दिल्ली नहीं आए। यहां तक कि अपने ठाणे स्थित घर पर ही रहे। इसके बाद कयास हैं कि शिंदे क्या फिर से नाराज हैं और विरोध दर्ज करने के लिए ही वे दिल्ली नहीं गए।


नेताओं के बीच कैबिनेट विस्तार और विभागों के बंटवारे को लेकर बात हुई
इस बीच शाह से फडणवीस की लंबी मुलाकात हुई। कहा जा रहा है कि वहां बैठे-बैठे ही फडणवीस ने शिंदे को फोन किया। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच कैबिनेट विस्तार और विभागों के बंटवारे को लेकर बात हुई। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को शिंदे के आवास पर भेजा गया था। उन्होंने ही शिंदे से बात करावा दी थी। सूत्रों का कहना है कि एकनाथ शिंदे को गृह मंत्रालय भले ही नहीं मिल रहा है, लेकिन उन्हें पीडब्ल्यूडी और राजस्व मंत्रालय देकर खुश करने की कोशिश हो रही है।


जानकारी नहीं है कि शिंदे का रुख क्या है
यही ऑफर शाह के पास बैठे फडणवीस ने फोन पर दिया। फिलहाल यह जानकारी नहीं है कि शिंदे का रुख क्या है। लेकिन उनके रुख से साफ है कि वह सहज नहीं हैं। अजित और फडणवीस एक साथ ही गए और दोनों के बीच अच्छी जुगलबंदी दिख रही है। बताया जा रहा शिंदे की असहजता की वजह यही है कि अजित फायदे में हैं। उन्हें लगता है कि शिवसेना को अजित पवार के मुकाबले ज्यादा मंत्री मिलने चाहिए। अब तक की जानकारी के अनुसार भाजपा अपने पास 20 से 22 विभाग रखना चाहती है। इसके अलावा शिवसेना और एनसीपी को 10-10 मंत्रालय देने को तैयार है। लेकिन शिंदे गुट का कहना है कि हमारे पास करीब 12 विभाग होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि हम बड़ी पार्टी हैं और भाजपा के पुराने साथी हैं। इस रस्साकशी के बीच अजित सबसे ज्यादा फायदे में दिख रहे हैं। वे एकनाथ शिंदे सरकार में बीच में आकर शामिल हुए थे और अब भाजपा के काफी करीब हो गए हैं।

 


कोल्हापुर। एनसीपी (शरद गुट) के अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद अपने सहयोगी नेताओं की हौंसला अफजाई की है। शरद पवार ने कहा कि विपक्ष को अपनी हार पर निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उन लोगों के पास जाना चाहिए जो महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की भारी जीत से उत्साहित नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष की प्राथमिकता तय करना होगी कि सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा किए गए सभी चुनावी वादों को जल्द से जल्द लागू किया जाए, जिसमें लाडकी बहिण योजना के तहत महिलाओं को दी जाने वाली वित्तीय सहायता 1500 रुपए से बढ़ाकर 2100 रुपए करना शामिल है। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त मतों और जीती गई सीटों के बीच तुलना आश्चर्यजनक है।
पवार ने कहा कि यह सच है कि हम हार गए हैं। हमें इस पर चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि लोगों के पास जाना चाहिए, क्योंकि चुनाव परिणामों को लेकर लोगों में कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। उनमें नाराजगी नजर आ रही है। बता दें कि सत्तारूढ़ बीजेपी-राकांपा-शिवसेना गठबंधन ने विधानसभा चुनावों में 288 में से 230 सीटें जीतीं हैं। शरद पवार ने कहा कि विधानसभा में विपक्ष की ताकत कम है, लेकिन कई युवा विपक्षी विधायक एक-दो सत्रों के बाद अपनी क्षमता दिखाएंगे।
पवार ने आगे कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा डाले गए वोटों और जीती गई सीटों के बीच तुलना आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 80 लाख वोट हासिल किए और 15 सीटें जीतीं, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 79 लाख वोट हासिल कर 57 सीटों पर विजयी हुई। शरद पवार ने कहा कि अजित पवार की एनसीपी ने 58 लाख वोट हासिल किए और 41 सीटें जीतीं, जबकि एनसीपी (एसपी) ने 72 लाख वोट प्राप्त कर केवल दस सीटें जीतीं हैं।
वहीं, महाराष्ट्र में नई सरकार के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वरिष्ठ नेता होने के नाते शरद पवार को देश को गुमराह नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आप हार स्वीकार करते हैं तो आप इससे बाहर निकल आएंगे। मैं आपसे अपने सहयोगियों को आत्मनिरीक्षण की सलाह देने की उम्मीद करता हूं। फडणवीस ने कहा कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 1,49,13,914 वोट हासिल किए हैं और नौ सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 96,41,856 वोट हासिल कर 13 सीटें जीतीं थीं। एमवीए गठबंधन चुनाव में हार से न हो निराश, जनता के बीच जाएं
-वरिष्ठ नेता शरद पवार ने अपने सहयोगियों का बढ़ाया हौंसला
कोल्हापुर,(ईएमएस)। एनसीपी (शरद गुट) के अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद अपने सहयोगी नेताओं की हौंसला अफजाई की है। शरद पवार ने कहा कि विपक्ष को अपनी हार पर निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उन लोगों के पास जाना चाहिए जो महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की भारी जीत से उत्साहित नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष की प्राथमिकता तय करना होगी कि सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा किए गए सभी चुनावी वादों को जल्द से जल्द लागू किया जाए, जिसमें लाडकी बहिण योजना के तहत महिलाओं को दी जाने वाली वित्तीय सहायता 1500 रुपए से बढ़ाकर 2100 रुपए करना शामिल है। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त मतों और जीती गई सीटों के बीच तुलना आश्चर्यजनक है।
पवार ने कहा कि यह सच है कि हम हार गए हैं। हमें इस पर चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि लोगों के पास जाना चाहिए, क्योंकि चुनाव परिणामों को लेकर लोगों में कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। उनमें नाराजगी नजर आ रही है। बता दें कि सत्तारूढ़ बीजेपी-राकांपा-शिवसेना गठबंधन ने विधानसभा चुनावों में 288 में से 230 सीटें जीतीं हैं। शरद पवार ने कहा कि विधानसभा में विपक्ष की ताकत कम है, लेकिन कई युवा विपक्षी विधायक एक-दो सत्रों के बाद अपनी क्षमता दिखाएंगे।
पवार ने आगे कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा डाले गए वोटों और जीती गई सीटों के बीच तुलना आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 80 लाख वोट हासिल किए और 15 सीटें जीतीं, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 79 लाख वोट हासिल कर 57 सीटों पर विजयी हुई। शरद पवार ने कहा कि अजित पवार की एनसीपी ने 58 लाख वोट हासिल किए और 41 सीटें जीतीं, जबकि एनसीपी (एसपी) ने 72 लाख वोट प्राप्त कर केवल दस सीटें जीतीं हैं।
वहीं, महाराष्ट्र में नई सरकार के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वरिष्ठ नेता होने के नाते शरद पवार को देश को गुमराह नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आप हार स्वीकार करते हैं तो आप इससे बाहर निकल आएंगे। मैं आपसे अपने सहयोगियों को आत्मनिरीक्षण की सलाह देने की उम्मीद करता हूं। फडणवीस ने कहा कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 1,49,13,914 वोट हासिल किए हैं और नौ सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 96,41,856 वोट हासिल कर 13 सीटें जीतीं थीं।

 


नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा जहां अपने पोस्टरों में ‘आप’ के घोटालों को उजागर करने में जुटी है। वहीं ‘आप’ ने भी ‘पुष्पा’ स्टाइल में भाजपा पर पलटवार कर घेरना शुरू कर दिया है।भाजपा ने एक पोस्टर जारी कर ‘आप’ सरकार के कथित घोटालों का जिक्र किया। इस पोस्टर में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के फोटो भी लगाया गया है। इसके कैप्शन में ‘केजरीवाल के घोटालों का मकड़जाल’ के साथ शराब, मोहल्ला क्लीनिक, हवाला, सिक्योरिटी, राशन, पैनिक बटन, शीशमहल, दवाई, दिल्ली जल बोर्ड, क्लासरूम और सीसीटीवी घोटालों को दर्शाया गया है।
वहीं, इसके जवाब में आम आदमी पार्टी ने भी अपने पोस्टरों में दिल्ली की कानून व्यवस्था को लेकर केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है। वहीं एक अन्य पोस्टर में ‘आप’ ने अरविंद केजरीवाल के हाथ झाड़ू दिखाते हुए ‘पुष्पा’ स्टाइल में फिर आ रहा है केजरीवाल कहते हुए भाजपा पर पलटवार किया है। इस फोटो के कैप्शन में ‘केजरीवाल झुकेगा नहीं’, केजरीवाल 4 टर्म कमिंग सून लिखा गया है।इसके बाद भाजपा के नारे पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए ‘आप’ प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि विपक्षी पार्टी का ‘बदल के रहेंगे’ नारा दर्शाता है कि वह दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा किए गए सभी कार्यों को रोकना चाहती है। केजरीवाल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, उन्होंने आज आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि वे सब कुछ बदल देंगे। इसका मतलब है कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति बंद हो जाएगी और हजारों रुपये के बिल के साथ लंबी बिजली कटौती होगी, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा बंद हो जाएगी, सभी स्कूल बर्बाद हो जाएंगे, मोहल्ला क्लीनिक बंद हो जाएंगे और मुफ्त दवाइयां और इलाज भी बंद हो जाएगा।


नई दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस ने 8 नवंबर को राजघाट से न्याय यात्रा की शुरुआत की थी। यात्रा का मूल उद्देश्य था कि संविधान की रक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करना और आमजन को न्याय दिलाने के साथ कांग्रेस को मजबूत करना। इसके लिए कांग्रेस नेताओं ने सभी 70 विधानसभा सीटों में जाकर लोगों से संपर्क किया और उन्हे कांग्रेस के मूल उदृदेश्यों के प्रति अवगत कराया। इस दौरान कई कांग्रेस नेताओं ने कड़कड़ाती ठंड में टेंट में रातें बिताईं। जब उनसे ठंड के दिनों के यात्रा के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि जनता के लिए कुछ भी करेंगे।
इस न्याय यात्रा का शनिवार को रोहिणी में समापान हो गया। यह यात्रा विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को मजबूत करने और जनता से न्याय की अपील के लिए निकाली गई थी। दिल्ली कांग्रेस प्रमुख देवेंद्र यादव ने बताया कि पहले दिन यात्रा में कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अजय माकन, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और अनिल चौधरी जैसे नेताओं ने हिस्सा लिया। दूसरे चरण में कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला और बादली विधानसभा क्षेत्र में राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और एआईसीसी सचिव काजी निजामुद्दीन ने यात्रा में शामिल होकर पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया।
इस यात्रा के दौरान यादव और अन्य नेताओं ने कैंपों में रात बिताई और दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया। यात्रा का उद्देश्य लोगों को न्याय दिलाने और कांग्रेस की मजबूत वापसी का संदेश देना था। दिल्ली में कांग्रेस 1998 से 2013 तक सत्ता में रही, लेकिन 2015 और 2020 के चुनावों में उसे हार का सामना करना पड़ा। फरवरी में होने वाले चुनावों से पहले यह यात्रा पार्टी के लिए नई ऊर्जा का माध्यम मानी जा रही है।

 

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने एक बयान कहा है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक के गठन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिन्हें नेतृत्व का जिम्मा मिला है और वे सही तरह से निभा नहीं कर पाते हैं तो ममता इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं। ममता इसके पहले भी कई मौकों पर ‘इंडिया’ ब्लॉक का नेतत्व करने को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा चुकी हैं।
हाल ही में ममता बनर्जी ने कहा था कि कांग्रेस को संसद में सिर्फ अडानी का मुद्दा ही दिखता है। विपक्षी नेताओं में ममता पहली नेता हैं जिन्होंने बांग्लादेश के मुद्दे पर सकारात्मक बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र सेना की तैनाती की पहल करनी चाहिए। ममता का यह बयान तब आया है, जब कांग्रेस के वरिष्ठ लीडर मणिशंकर अय़्यर और सलमान खुर्शीद ममता बनर्जी के ठीक उलट बोल रहे हैं कि बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, वह भारत में भी हो सकता है। ममता के इन दो बयानों से साफ है कि वे इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस के स्टैंड और कामकाज से असंतुष्ट हैं।
याद रहे कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़कर ही तणमूल कांग्रेस का गठन किया था। उनके कांग्रेस छोड़ने की वजह थी कि वे बंगाल की तत्कालीन वाम मोर्चा की सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही थीं, लेकिन कांग्रेस नरमी बरत रही थी। ममता ने बंगाल में वाम दलों की तरह कांग्रेस को भी नेस्तनाबूद करने में कसर नहीं छोड़ी है। कांग्रेस से ममता की खुन्नस इससे समझी जा सकती है कि इंडिया ब्लॉक में रहते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से कोई समझौता नहीं किया। वाम दलों की तरह कांग्रेस को किनारे कर दिया था।
साल 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी को जब तीसरी बार सरकार बनाने का मौका मिला, तब ममता ने विपक्षी एकता का अभियान चलाया था। विपक्ष को एक करने की उनकी अवधारणा में कांग्रेस कहीं नहीं थी। वह यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से मिलीं। मुंबई जाकर एनसीपी के सुप्रीमो शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से उन्होंने मुलाकात की थी। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से भी उनकी कई मुलाकातें हुई थीं। आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव तो ममता को अपनी बहन ही बताते हैं। हेमंत सोरेन से उन्होंने बात की। आड़े वक्त हेमंत सोरेन की उन्होंने मदद भी की थी, लेकिन उनकी इन मुलाकातों-बातों में कांग्रेस का जिक्र कहीं नहीं था। यह अलग बात है कि शरद पवार की वजह से तब माहौल नहीं बन पाया। पवार ने साफ कह दिया कि कांग्रेस को छोड़ विपक्षी एकता की बात बेमानी है। 2023 में बिहार में महागठबंधन का नेता रहते नीतीश कुमार ने जब विपक्षी एकता की पहल की और ममता बनर्जी से मिलने वे कोलकाता गए तो ममता की सलाह पर ही विपक्षी नेताओं की पहली बैठक पटना में रखी गई। इसके पीछे भी उनकी राजनीतिक चाल थी। वे जानती थीं कि दिल्ली में बैठक हुई तो कांग्रेस हावी हो जाएगी। खैर, पटना की बैठक में पहली बार विपक्ष के नेता एक साथ बैठे। जब नामकरण का समय आया तो ममता ने ‘इंडिया’ नाम का समर्थन किया था।


मुंबई। आख़िरकार लंबे जद्दोजहद के बाद गुरुवार को महाराष्ट्र में महाशपथ ग्रहण समारोह हो गया और देवेंद्र सरिता गंगाधरराव फडणवीस ने 21वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लिया। बता दें कि वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। वहीं एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने राज्य के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल सी।पी। राधाकृष्णन ने फडणवीस को मुख्यमंत्री एवं शिंदे तथा पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। मुंबई के ऐतिहासिक आजाद मैदान में आयोजित किए गए इस महाशपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चव्हाण, निर्मला सीतारमण, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई मंत्री शामिल हुए। साथ ही 19 मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी इस समारोह का हिस्सा बने। राजनीतिक क्षेत्रों के अलावा व्यापार, फिल्मी और खेल जगत की भी कई हस्तियां मौजूद रहीं। इनमें मुकेश अंबानी और नीता अंबानी, कुमार मंगलम बिरला, अजय पिरामल, उदय कोटक, गीतांजलि किर्लोस्कर, मानसी किर्लोस्कर, अभिनेता सलमान खान, शाहरुख खान, संजय दत्त, रणबीर कपूर, रणवीर सिंह, मशहूर फिल्मकार बोनी कपूर उनकी बेटी जानह्वी कपूर और बेटे अर्जुन कपूर, अमृता फडणवीस, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर तथा उनकी पत्नी अंजलि भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई। वहीं आजाद मैदान में हुए शपथ ग्रहण समारोह में 40000 से अधिक लोग शामिल हुए। शपथ ग्रहण समारोह को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। 4 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया था। इनमें से 3,500 पुलिसकर्मी और 520 पुलिस अधिकारी शामिल थे।

 


नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है। उन्होंने इस बारे में आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है। संयास लेने का कारण गोयल ने बढ़ती उम्र को बताया है। इसके साथ ही गोयल ने पार्टी और समाज की सेवा जारी रखने का आश्वासन भी दिया है।दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल ने पार्टी व विधायकों का आभार जताते हुए राजनीति से सन्यास लेने संबंधी पत्र में लिखा है, कि पिछले 10 सालों से शहादरा विधानसभा के विधायक और दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में मैंने अपने दायित्व निभाए। पार्टी और विधायकों ने मुझे जो सम्मान दिया, उसके लिए मैं आभारी हूं। बढ़ती उम्र के कारण मैं चुनावी राजनीति से दूर होना चाहता हूं। हालांकि, पार्टी में रहते हुए मैं सेवा करता रहूंगा और जो भी दायित्व सौंपा जाएगा, उसे निभाने का प्रयास करूंगा। गोयल के इस पत्र पर दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रामनिवास गोयल जी का चुनावी राजनीति से अलग होना एक बड़ा क्षण है। उनका मार्गदर्शन हमें सदन के भीतर और बाहर हमेशा प्रेरित करता रहा है। उनका अनुभव और सेवाएं पार्टी के लिए हमेशा मूल्यवान रहेंगी। वह हमारे परिवार के अभिभावक थे, हैं, और हमेशा रहेंगे।

किसानों के मुद्दों पर केंद्र और राज्यों की सक्रियता बढ़ी, जल्द हो सकता है बड़ा फैसला

नई दिल्ली। देशभर में एक बार फिर किसान आंदोलन तेज होता नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश के नोएडा में किसानों द्वारा किए गए धरना प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए लगभग 160 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रिहा कर दिया। इसके बाद किसान नेताओं ने यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो प्वाइंट पर एक पंचायत आयोजित की और धरना प्रदर्शन जारी रखने का निर्णय लिया। ऐसे में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने समझाईश के साथ फटकार लगाई थी, जिसका असर भी देखने को मिला है। इससे राज्य व केंद्र सरकार द्वारा किसानों को लेकर कोई बड़ा फैसला लेने की उम्मीद जागी है।किसानों के बढ़ते असंतोष के बीच केंद्र और राज्य सरकारें सक्रिय हो गई हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर किसानों की मांगों पर चर्चा की है। इससे पहले किसानों के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कृषि मंत्री को लेकर दिया गया बयान भी सुर्खियों में रहा है। उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था कि किसानों के मुद्दों का सिर्फ राजनीतिकरण किया जा रहा है और वास्तविक समाधान की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। वहीं एक कार्यक्रम में धनखड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री से सीधे सवाल कर उन्हें फटकार लगाई थी।

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