ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली । संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हो रहा है। यह पिछले 10 साल में सबसे आक्रामक हो सकता है। क्योंकि विपक्ष के पास मुद्दों की भरमार है। अडाणी मुद्दे पर कांग्रेस जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की मांग उठा चुकी है। मणिपुर में फिर हिंसा भडक़ने और वहां पीएम के नहीं जाने से सरकार पहले से ही बचाव की मुद्रा में है। वक्फ विधेयक जैसे संवेदनशील मुद्दे से पार पाना सरकार के लिए चुनौती है, क्योंकि इस पर सहयोगी दलों के विचार एक नहीं हैं। वहीं इसी साल हुए आम चुनाव में नई सरकार के गठन के बाद इस पहले शीतकालीन सत्र में सरकार कुछ पेंडिंग विधेयक पारित कराने की तैयारी में है तो वहीं कुछ नए विधेयकों भी कार्यसूची में हैं। शीतकालीन सत्र के लिए जो कार्यसूची सामने आई है, उसमें नए-पुराने कुल 16 विधेयकों के नाम हैं। इस लिस्ट में सबसे चर्चित विधेयक हैं वक्फ संशोधन विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2024। यह विधेयक संसद के मॉनसून सत्र के दौरान ही लोकसभा में पेश किए गए थे। विपक्षी दलों के विरोध और हंगामे के बीच अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन विधेयक और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक लोकसभा में पेश किया था।
संसद में पेश होते ही इन विधेयकों को बगैर किसी चर्चा के संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेज दिया गया था। जेपीसी की अगुवाई भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ सांसद जगदंबिका पाल कर रहे हैं। जेपीसी गठन के साथ ही यह तय हो गया था कि वह अपनी रिपोर्ट अगले सत्र के पहले हफ्ते के अंतिम दिन संसद में पेश करेगी। इस हिसाब से देखें तो जेपीसी अपनी रिपोर्ट 29 नवंबर को पेश करेगी। जेपीसी की अगुवाई कर रहे जगदंबिका पाल ने कहा भी है कि हमारी रिपोर्ट तैयार है। हालांकि, विपक्षी दलों के सांसद जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। वक्फ संशोधन विधेयक के साथ ही मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक भी जेपीसी को भेजा गया था। यह बिल भी जेपीसी की रिपोर्ट संसद में पेश होने के बाद चर्चा और पारित कराए जाने के लिए वापस लाया जाएगा।