ईश्वर दुबे
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Bhilai
कीव. पूर्वी यूरोपीय देश यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के हालात है। रूस ने अपने 1 लाख से ज्यादा सैनिकों को यूक्रेन की सीमा पर तैनात किया है। ऐसे में यूक्रेन की मदद के लिए तुर्की आगे आया है। यूक्रेन की मदद के लिए अब नाटो सदस्य देश तुर्की भी आ गया है और उसने आर्मीनिया में तबाही मचाने वाले अपने बयरकतार टीबीटी 2 ड्रोन की बड़े पैमाने पर यूक्रेन को सप्लाइ की है। यूक्रेन के एयरफोर्स कमांड के प्रवक्ता कर्नल यूरी इग्नाती ने अल मॉनीटर से बातचीत में कहा, 'तुर्की का यह ड्रोन दुश्मन की तोपों पर बहुत सटीक हमला करता है और टैंकों की कॉलम को भी नष्ट कर देता है। यह बहुत अच्छी क्वालिटी का ड्रोन है जो रियल टाइम में हमला करता है और पूरी तरह से स्वचालित सिस्टम है। यह ड्रोन एक हथियार है जो मात्रा सेकंडों में हमला करने की ताकत रखता है। यह ड्रोन एक जासूस है। इसने यूक्रेन को अपने दुश्मन पर गुणवत्ता आधारित बढ़त दे दी है।'
यूक्रेन के सैन्य ड्रोन कार्यक्रम को चलाने वाले एक सैन्य अधिकारी ने कहा, 'रूस के सैनिकों के लिए इस ड्रोन से निपटना बहुत मुश्किल होगा।' उन्होंने टीबीटी 2 ड्रोन को उड़ाने के लिए तुर्की में साल 2019 में 3 महीने की ट्रेनिंग ली है। तुर्की के इस ड्रोन को बायकर मकीना कंपनी बनाती है जिसे तुर्की के राष्ट्रपति तैयप रेसेप एर्दोगान के पसंदीदा दामाद सेलकूक बायरकतार चलाते हैं। यूक्रेनी अधिकारी ने कहा कि हमारे पास अभी 20 टीबीटी 2 ड्रोन हैं लेकिन यह यहीं पर रुकने नहीं जा रहा है। उन्होंने कहा कि तुर्की के इन ड्रोन की वजह से हमारा आत्मविश्वास बढ़ गया है। इस पूरे संकट के बीच तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान 3 फरवरी को कीव की यात्रा पर जा रहे हैं। एर्दोगान यूक्रेन के अपने समकक्ष से मुलाकात करेंगे। तुर्की और यूक्रेन काला सागर के जरिए एक दूसरे जुड़े हुए हैं। कंगाली की हालत से गुजर रहे तुर्की को उम्मीद है कि रक्षा और व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने का यह अच्छा मौका है। तुर्की ने क्रीमिया पर यूक्रेन के हक का समर्थन किया है। तुर्की के यूक्रेन का समर्थन करने के पीछे ऐतिहासिक कारण भी जिम्मेदार है।
रूस के पूर्ववर्ती सोवियत संघ के जमाने में तानाशाह स्टालिन ने लाखों टटार मुस्लिमों को देश से बाहर कर दिया था और उनमें से ज्यादातर तुर्की आए थे। तुर्की ने क्रीमिया पर रूस के कब्जे को अवैध करार दिया है। तुर्की यूक्रेन के नाटो में शामिल किए जाने का खुलकर समर्थन कर रहा है। वहीं पुतिन की अमेरिका और नाटो देशों से पहली मांग यही है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाए। ऐसे में अगर तुर्की अगर यूक्रेन का समर्थन जारी रखता है तो एर्दोगान और पुतिन की दोस्ती खटाई पड़ सकती है।
हाल ही में तुर्की ने अमेरिका के साथ बैर लेते हुए रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम लिया था। यूक्रेन विवाद में अगर जंग होती है तो तुर्की के ड्रोन कयामत ढा सकते हैं। ये ड्रोन पहले ही आर्मीनिया में रूसी मूल के टैंकों और तोपों को तबाह करके अपनी ताकत का लोहा पूरी दुनिया में मनवा चुके हैं। अमेरिकी एमक्यू-9 की तुलना में तुर्की का टीबी2 हल्के हथियारों से लैस है। इसमें चार लेजर- गाइडेड मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। इस ड्रोन को रेडियो गाइडेड होने के कारण 320 किमी के रेंज में ऑपरेट किया जा सकता है। इस ड्रोन को बनाने वाली कंपनी बायकर ने 1984 में ऑटो पार्ट्स बनाने का काम शुरू किया था, बाद में वह एयरोस्पेस इंडस्ट्री में शामिल हो गया। नाटो सदस्य पोलैंड ने पिछले साल ही कहा था कि वह तुर्की से 24 टीबी2 ड्रोन खरीदेगा। तुर्की का दावा है कि नाटो के कई दूसरे देश भी उसके साथ डील करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। टीबी2 ड्रोन ने 2020 की शुरुआत में सीरिया के आसमान में अपना दम दिखाकर दुनिया में पहचान बनाई थी।