ईश्वर दुबे
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Bhilai
यदि आपका शरीर अपनी विटामिन ए आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ हैं, तो आपको आंखों से जुड़ीं समस्याएं हो सकती हैं और इम्यूनिटी लेवल कमजोर हो सकता है। विटामिन ए की कमी बच्चों में होने वाले इंफेक्शन से शरीर इतना कमजोर हो जाता है कि मौत तक हो सकती है। विटामिन ए त्वचा की कोशिकाओं के निर्माण और रिपेयर करने के लिए जरूरी है। यह त्वचा की सूजन को रोकने में भी मदद करता है, लेकिन अगर आपके शरीर में विटामिन ए की कमी है, तो आपको सूखी स्किन या खुजली या यहां तक कि स्केलिंग का अनुभव हो सकता है। विटामिन ए की कमी से एक्जिमा भी हो सकता है। विटामिन ए की कमी से स्किन में सूजन भी हो सकती है, जिससे सूजन, चकत्ते, खुजली वाली स्किन, पपड़ीदार पैच, धक्कों, घाव और छाले हो जाते हैं। विटामिन ए की कमी का सबसे गंभीर असर बच्चों और गर्भवती महिलाओं में देखने को मिलता है। कुछ स्वास्थ्य स्थितियां भी हैं, जो आपको विटामिन ए की कमी के जोखिम में डाल सकती हैं। ये ज्यादातर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम की बीमारियां हैं, जो पर्याप्त आहार सेवन के बावजूद विटामिन ए की कमी से होता है। इनमें से कुछ में सीलिएक रोग, सिरोसिस, दस्त और पित्त नली विकार शामिल हैं। जिन लोगों को विटामिन ए की कमी का सबसे अधिक खतरा होता है, उनमें सीलिएक रोग, सिरोसिस, अपर्याप्तता और पित्त नली विकार शामिल हैं। विटामिन ए की कमी अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के बच्चों में सबसे अधिक प्रचलित है, क्योंकि उनके आहार में कैरोटीनॉयड की कमी होती है। शरीर लाल, हरे, पीले और नारंगी फलों और सब्जियों से कैरोटीनॉयड को विटामिन ए में बदलता है। विटामिन ए विभिन्न प्रकार के शाकाहारी और मांसाहारी खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। मांसाहारी खाद्य पदार्थों में लीवर, ऑयली फिश, शेलफिश और कॉड लिवर ऑयल शामिल हैं। विटामिन ए से भरपूर खाद्य पदार्थों में नारंगी रंग की सब्जियां जैसी शकरकंद, कद्दू, गाजर और स्क्वैश शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक और लेट्यूस भी विटामिन ए से भरपूर होती हैं। कुछ फल जो विटामिन ए के अच्छे स्रोत हैं, वे हैं आम, आम, पपीता, खरबूजा और खुबानी। दूध और नर्म चीज भी विटामिन ए से भरपूर होते हैं।
अंतरिक्ष क्षेत्र बेहद ही महत्वपूर्ण और विशाल आयाम आने वाले वॉर वेयर के अंदर होने वाला है। इस वजह से विश्व के सुपर पावर मुल्क अपने-अपने तरीके से यहां अपना आधिपत्य जमाने की कोशि कर रहे हैं। आने वाले समय में लोग चांद पर कॉलोनियां बसा कर रहने लगेंगे। वैसे तो पूरी दुनिया के साइंटिस्ट पृथ्वी के बाहर की दुनिया को खंगालने में लगे हुए हैं। अमेरिका फिस से चांद पर जाने की जुगाड़ में है। वहीं अपने को अमेरिका से बड़ा सुपरपावर मुल्क दिखाने की चाह में लगा चीन मंगल ग्रह पर जाकर पानी की तलाश में लगा है। लेकिन तकनीक के मामले में दुनियाभर से अपना लोहा मनवा चुका जापान अपनी खोज के जरिये हमेशा से चौंकाता आया है। जापान की बुलेट ट्रेन के बारे में तो सभी ने सुना होगा। साल 2017 के सितंबर महीने में भारत और जापान ने अहमदाबाद में देश के पहली बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। बुलेट ट्रेन की सहायता से इनसान एक जगह से दूसरी जगह बेहद कम समय में जा सकता है।
धरती पर सरपट दौड़ने वाली बुलेट ट्रेन के बाद जापान चांद और मंगल ग्रह पर जाने की योजना पर काम कर रहा है। जिसको लेकर कई तरह के रिसर्च भी किए जा रहे हैं। वैसे तो आप मंगलयान, गगनयान के जरिये लोगों के स्पेस में जाने की बात सुनते होंगे। लेकिन जापान अब बुलेट ट्रेन के जरिये लोगों को चंद्रमा और मंगल ग्रह पर ले जाएगा। ये बात सुनने में थोड़ी अजीब जरूर लगे लेकिन जापान ऐसा करने जा रहा है। जिसका ब्लूप्रिंट उन्होंने तैयार भी कर लिया है। कंपनी ने पूरे प्रोजेक्ट का वीडियो शेयर किया है। सोशल मीडिय पर इस वीडियो के बाद लोग अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कह रहे हैं कि जापान कुछ भी कर सकता है।
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन रे रिसर्चर्स चंद्रमा और मंगल ग्रह पर आर्टिफिशियल अंतरिक्ष वातावरण बनाने की योजना बना रहे हैं। इसकी मदद से इंसान वहां आसानी से रह सकते हैं। ट्रेन में भी सफर कर सकते हैं। इस प्रोजेक्ट का नाम हेक्सागोन स्पेस ट्रैक सिस्टम है। इसे अंतरग्रहीय यात्रा के रूप में जाना जाता है।
शिक्षक भर्ती घोटाले में शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए गए तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी के पास अपने कुत्तों के लिए एक लक्जरी फ्लैट है। ईडी ने पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद से उनकी कई आय से अधिक संपत्ति का पता लगाया, जिनमें से पश्चिम बंगाल के डायमंड सिटी में तीन फ्लैट थे। बताया जाता है कि पार्थ एनिमल लवर हैं और उन्होंने एक पूर्ण वातानुकूलित बंगला कुत्तों के लिए ही समर्पित कर रखा है।
पश्चिम बंगाल के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के मंत्री पार्थ चटर्जी को ईडी ने पश्चिम बंगाल में कथित स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) घोटाले की जांच के सिलसिले में 23 जुलाई की सुबह गिरफ्तार किया। पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद पूर्व शिक्षा मंत्री की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के कोलकाता आवास से 21 करोड़ रुपये नकद और एक करोड़ रुपये से अधिक के आभूषण बरामद किए गए।
बंगाल के मंत्री के पास कई फ्लैट हैं, जिसमें एक फ्लैट भी शामिल है जहां से नकदी बरामद की गई है, जिसे उन्होंने कथित तौर पर अभिनेत्री अर्पिता मुखर्जी को उपहार में दिया था। ईडी के सूत्रों का दावा है कि फ्लैट नंबर 18/डी, 19/डी और 20/डी भी पार्थ चटर्जी के हैं। इसके अलावा, पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी कथित तौर पर बोलपुर के शांतिनिकेतन में एक अपार्टमेंट के मालिक हैं। सूत्रों के मुताबिक शांतिनिकेतन में सात घर और अपार्टमेंट जांच के दायरे में हैं।
भारत के मशहूर उद्योगपति अजीम प्रेमजी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। अपने व्यापार के साथ-साथ अपने परोपकारी स्वभाव के लिए भी वह देश-दुनिया में जाने जाते हैं। उन्हें दानवीर के रूप में भी ज्यादा पहचान मिली है। आपको बता दें कि अजीम प्रेमजी आज अपना जन्मदिन मना रहे हैं। अजीम प्रेमजी ने भारत के टॉप मोस्ट आईटी कंपनी विप्रो की स्थापना की थी। अजीम प्रेमजी जितने दिमाग के बड़े हैं, उतना ही उनका दिल भी विशाल है। अपने पिता के चावल वाले व्यापार को आगे बढ़ाते हुए आज अजीम प्रेमजी दुनिया की टॉप मोस्ट आईटी कंपनी विप्रो की स्थापना कर चुके हैं। वर्तमान समय में बात करें गौतम अडानी और मुकेश अंबानी के बाद अजीम प्रेमजी भारत में तीसरे नंबर पर अमीर हैं। लेकिन वही दान देने की बात करें तो वह भारत ही नहीं, बल्कि एशिया में नंबर वन बने हुए हैं।
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता हासिम प्रेमजी चावल के व्यापारी थे। बताया जाता है कि म्यंमार में इनके पिता का बड़ा कारोबार था। यही कारण था कि उन्हें राइस किंग ऑफ बर्मा कहा जाता था। बाद में उनका परिवार भारत आया और गुजरात में रहने लगा। यहां भी चावल का कारोबार शुरू किया। धीरे धीरे उनके पिताजी ने वनस्पति घी बनाने का भी काम शुरू किया। अजीम प्रेमजी ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में स्नातक किया हुआ है। अपने पिता के घाटे में जा रही कंपनी को अजीम प्रेमजी ने महज 21 वर्ष की उम्र में संभाला था। अजीम प्रेमजी ने कई कारोबार में हाथ आजमाए। कुछ में सफल हुए, कुछ में असफल हुए। हालांकि, हमेशा वह परोपकार के काम में आगे रहे। 1968 में महज 23 वर्ष की उम्र में अजीम प्रेमजी वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक चुने गए।
इस कंपनी के बैनर तले अजीम प्रेमजी ने शुरू में वनस्पति तेल और साबुन का कारोबार शुरू किया। इसके बाद हाइड्रोलिक कंपोनेंट्स बनाने में भी उन्होंने कदम रखा। लेकिन अजीम प्रेमजी को उस समय बड़ी कामयाबी मिली जब 1977 में जनता पार्टी की सरकार ने आईबीएम को देश छोड़ने के लिए कहा। अजीम प्रेमजी ने इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कंप्यूटर के क्षेत्र में उतरने का फैसला किया और लाइसेंस के लिए अप्लाई कर दिया। 1979 के आखिर तक प्रेमजी को इस कंपनी के लिए लाइसेंस में मिल गया। साल 1982 में कंपनी का नाम बदलकर विप्रो कर दिया गया। तब से अजीम प्रेमजी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इलेक्ट्रॉनिक सिटी के रूप में उस वक्त उभरने वाली बेंगलुरु में उन्होंने अपने व्यापार को आगे बढ़ाया। उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के प्रोफेसर केजी राव को अपना सलाहकार नियुक्त किया। विप्रो इन्फोटेक की स्थापना की। अजीम प्रेमजी ने अधिकारियों को इस क्षेत्र में काम करने के लिए खुली छूट दी। धीरे-धीरे विप्रो सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में अच्छा खासा नाम कमाने लगा।
अजीम प्रेमजी ने 1995 में अपनी दोबारा से पढ़ाई शुरू की। आज अजीम प्रेमजी के मेहनत के दम पर ही विप्रो का कारोबार 110 देशों में फैला हुआ है। फिलहाल विप्रो के चेयरमैन पद से अजीम प्रेमजी रिटायर हो चुके हैं। 2019 में उनके बेटे रिशद प्रेमजी ने उनकी जगह ली थी। 2019 में ही अजीम प्रेमजी ने 52750 करोड रुपए के शेयर को उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को दान कर दिया। यह पैसा गरीबों के कल्याण के लिए लगाया जाता है। वदेश के सबसे बड़े दानदाताओं में से एक हैं अजीम प्रेमजी गरीबों की लगातार सेवा करते हैं और इसकी प्रेरणा उन्हें अपने मां से मिली है। 7.5 अरब डॉलर से अधिक दान उन्होंने एजुकेशन सेक्टर को दिया है। 2011 में सरकार की ओर से भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण उन्हें दिया गया।
सामग्री-1/4 कप उड़द की दाल,आधा कप साबूदाना,1/4 कप पोहा,1 छोटा चम्मच मेथी दाना,3 कप चावल,नमक स्वादानुसार,2 चम्मच घी,साबूदाना डोसा
विधि- साबूदाना डोसा बनाने के लिए आप सबसे पहले तय मात्रा में उड़द की दाल, साबूदाना, पोहा और मेथी दाना लेकर सभी चीजों को कुछ देर के लिए भिगोकर रख दें। ध्यान दें कि पोहा ज्यादा देर तक भीगा न रहे। अब एक बर्तन में चावल लें और उसे 20 से 25 मिनट के लिए भिगोकर रख दें। चावलों के अलावा पानी में भिगोकर रखी बाकी चीजों को ब्लैंडर की मदद से एकसाथ बारीक पीस लें। इसके बाद चावल को अलग से पीसकर एक बैटर तैयार कर लें और उसमें नमक डालकर फर्मेट के लिए रख दें। चावल का मिश्रण फर्मेट होने के बाद उसमें साबूदाने का बैटर मिक्स कर लें। इसके बाद आंच धीमी पर नॉन स्टिक तवे को गर्म कर लें।अब धीमी आंच पर बैटर को धीरे-धीरे तवे पर डालें और एंटी क्लॉक वाइस फैलाते रहें। आप चाहें तो बैटर को डालने के लिए कटोरी या कड़छी का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप देखेंगे कि कुछ ही देर में आपका क्रिस्पी डोसा बनकर तैयार हो जाएगा। इस टेस्टी डोसे को आप नारियल की चटनी के साथ परोस सकते हैं।
बेली फैट को कम करना एक बेहद चुनौतीपूर्ण टास्क है। कई महीनों तक एक्सरसाइज करने और डायट को फॉलो करने के बाद ही आप कुछ इंच पेट कम करते हैं। बात पेट कम करने या फिर वजन घटाने की बात हो तो सुबह में एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है।
1) प्लैंक- इसे करने के लिए बेड पर पुश-अप पोजीशन में आ जाएं। अपनी कोहनियों को 90 डिग्री मोड़ें और अपना वजन अपने अग्रभागों पर टिकाएं। कोहनी सीधे आपके कंधों के नीचे होनी चाहिए, अपने हाथों को पकड़ें। इसी के साथ आपके शरीर और आपके सिर से आपके पैरों तक एक सीधी रेखा बनानी चाहिए। 10-15 सेकंड के लिए इस पॉजिशन में रहें और फिर आराम करें। ये पेट की मांसपेशियों और पीठ के निचले हिस्से के लिए बेहतरीन एक्सरसाइज है। यह ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग पर भी काम करता है।
2) साइकिल क्रंच-बिस्तर पर अपनी पीठ के बल लेट जाएं, पैर फर्श पर और हाथ आपके सिर के पीछे हों रखें । अपनी पीठ के निचले हिस्से को गद्दे में दबाएं और अपने सिर, कंधों और पीठ के ऊपरी हिस्से को बिस्तर से ऊपर उठाते हुए अपने पेट की मांसपेशियों को कस लें। इसके साथ ही अपने दाहिने पैर को सीधा करते हुए अपनी दाहिनी कोहनी और बाएं घुटने को एक दूसरे की ओर ले जाएं। अपने दाहिने घुटने को पीछे की ओर खींचे और अपने बाएं पैर को सीधा करते हुए तुरंत अपनी बाईं कोहनी और दाहिने घुटने को एक दूसरे की ओर ले जाएं। अपने शरीर को मूव करते रहें ठीक वैसे ही जैसे आप साइकिल को पैडल मार रहे हों। यह एब्स के लिए सबसे अच्छे वर्कआउट में से एक है।
3) बटरफ्लाई क्रंच- अपने पैरों के तलवों को आपस में मिलाकर बिस्तर पर लेट जाएं और उन्हें तितली के पंखों के आकार का बनाते हुए अपने शरीर की ओर खींचे। अपने हाथों को अपने सिर के पीछे हल्के से रखें लेकिन उन्हें पकड़ने से बचें। अपने पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए, सिर और कंधों को फर्श से छत की ओर उठाएं। अपनी पीठ के निचले हिस्से को गद्दे के संपर्क में रखें क्योंकि यह आपकी रीढ़ की हड्डी पर दबाव को कम करता है।
4) ऊपर की ओर जाना- पलंग पर सीधे लेट जाएं। अपने पैरों को सीधा और अपनी बाहों को सीधे अपने सिर के ऊपर फैलाएं। बहुत धीरे-धीरे, अपने पैर की उंगलियों तक पहुंचते हुए, 'सी' कर्व में रोल करें। कुछ सेकंड के लिए रुकें और अपने शरीर को शुरुआती स्थिति में लाएं |
नयी दिल्ली। भारत-चीन कोर कमांडरों की वार्ता के परिणामस्वरूप निकट भविष्य में पैट्रोलिंग प्वाइंट 15 से सैनिकों के हटने की संभावना है। भारत ने रविवार को चीन के साथ 16वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता की। इसके बाद ही कुछ नई उपग्रह छवियां सामने आईं, जो भूटान की ओर डोकलाम पठार के पूर्व में एक चीनी गांव के निर्माण का संकेत देती हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे भारत के रणनीतिक हित के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
चीन द्वारा उस क्षेत्र में एक सड़क का विस्तार करने की कोशिश के बाद डोकलाम त्रिकोणीय जंक्शन पर भारतीय और चीनी सेनाएं 73 दिनों के गतिरोध में बंद थीं, जिस पर भूटान ने दावा किया था। एनडीटीवी ने मेक्सर द्वारा खींची गई छवियों को यहां साझा किया। मेक्सर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में खुफिया मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है। इसने कहा कि गांव में हर घर के दरवाजे पर एक कार खड़ी नज़र आ रही थी। हालांकि, नयीं तस्वीरों पर सेना की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई।
सड़क चीन को डोकलाम पठार में एक रणनीतिक रिज तक पहुंच प्रदान कर सकती है। नई छवियों पर सेना की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई। एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "मैक्सर से प्राप्त नई उपग्रह छवियों से संकेत मिलता है कि अमो चू नदी घाटी में एक दूसरा गांव अब लगभग पूरा हो गया है, जबकि चीन ने तीसरे गांव या निवास स्थान के निर्माण को आगे बढ़ाया है।" सरकार ने पहले कहा था कि वह अपनी सीमा पर सभी गतिविधियों पर नजर रखती है।
चीन पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) सहित कई संवेदनशील स्थानों पर सीमा के बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है, जहां चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भारतीय सेना के साथ दो साल से अधिक समय से गतिरोध में है। पिछले साल अक्टूबर में, भूटान और चीन ने अपने बढ़ते सीमा विवाद को हल करने के लिए बातचीत में तेजी लाने के लिए "तीन-चरणीय रोडमैप" पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
भूटान चीन के साथ 400 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा साझा करता है और दोनों देशों ने विवाद को सुलझाने के लिए 24 दौर की सीमा वार्ता की है। दोनों देशों ने 'विशेषज्ञ समूह' स्तर पर 10 दौर की बातचीत भी की।
डोकलाम ट्राई-जंक्शन भारत के सुरक्षा हितों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। 2017 में डोकलाम पठार में भारत-चीन गतिरोध ने भी दो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच युद्ध की आशंका पैदा कर दी थी। भूटान ने कहा कि यह क्षेत्र उसका है और भारत ने भूटानी दावे का समर्थन किया।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को एक और बड़ा झटका लगा है। उसके 19 लोकसभा सदस्यों में से 12 ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के प्रति निष्ठा दिखाते हुए राहुल शेवाले को निचले सदन में अपना नेता घोषित कर दिया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी राहुल शेवाले को संसद के निचले सदन में शिवसेना पार्टी का नेता नियुक्त कर दिया है। लोकसभा सचिवालय से देर रात जारी सर्कुलर में इस फैसले को अधिसूचित किया गया। माना जा रहा है कि शिवसेना के इन 12 सांसदों में से दो को केंद्र में मंत्री पद भी दिया जायेगा। शिवसेना के शिंदे गुट से एक कैबिनेट और एक राज्य मंत्री बनाये जाने की बात सामने आ रही है। दूसरी ओर उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ने इस बगावत को ज्यादा महत्व नहीं देते हुए कहा है कि हमारे तरकश से भले सारे तीर निकाल लो लेकिन जिस धनुष से तीर चलाये जाने हैं वह हमारे पास ही है।
हम आपको बता दें कि शिवसेना के 12 लोकसभा सदस्यों ने ओम बिरला को पत्र लिखकर राहुल शेवाले को संसद के निचले सदन में पार्टी का नेता नियुक्त करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि निवर्तमान नेता विनायक राउत में उन्हें भरोसा नहीं रह गया है। इससे पहले मंगलवार को दिन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राहुल शिवले को लोकसभा में पार्टी का नेता नामित किया था। शिंदे ने जोर देकर कहा कि 12 लोकसभा सदस्य बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों का पालन कर रहे हैं और वे असली शिवसेना हैं। शिंदे ने कहा, ‘‘शिवसेना के 12 लोकसभा सदस्यों द्वारा हमें समर्थन देने के लिए उठाए गए कदम का मैं स्वागत करता हूं। हमारे भाजपा के साथ गठबंधन के रुख को 50 विधायकों ने समर्थन दिया। हमें पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ राज्य के लोगों का भी समर्थन मिला।’’ उल्लेखनीय है कि शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में बगावत के एक महीने बाद लोकसभा सदस्यों में दो फाड़ हुआ है।
क्या वाकई उद्धव की इच्छा का सम्मान हुआ?
उधर, शिवसेना के बागी गुट के नेता राहुल शेवाले ने दावा किया कि उन्होंने उद्धव ठाकरे की इच्छा के अनुसार भाजपा के साथ गठबंधन किया है। राहुल शेवाले ने कहा कि उद्धव ठाकरे खुद पिछले साल जून में इसी तरह के प्रयास कर रहे थे लेकिन बाद में पीछे हट गए थे। हालांकि, शिवसेना के ठाकरे धड़े ने शेवाले के दावों को खारिज कर दिया है। मुंबई दक्षिण मध्य से दो बार सांसद रहे शेवाले ने कहा कि शिवसेना के सांसदों ने पिछले साल जून में ठाकरे को भाजपा के साथ इस आधार पर फिर से जुड़ने के लिए कहा था कि अगर कांग्रेस और राकांपा के साथ गठबंधन जारी रहा तो उनके लिए 2024 का संसदीय चुनाव जीतना मुश्किल होगा। शेवाले ने दावा किया कि ठाकरे ने शिवसेना के सांसदों से कहा था कि वह भी भाजपा के साथ फिर से जुड़ने के इच्छुक हैं और पिछले साल उस दिशा में काफी प्रयास किए थे। हालांकि, पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिए निलंबित किए जाने के फैसले ने भाजपा के साथ गठबंधन को बहाल करने की शिवसेना की इच्छा की ईमानदारी के बारे में भाजपा में संदेह पैदा कर दिया। उन्होंने कहा कि ठाकरे ने सांसदों को तीन विकल्प दिए थे- भाजपा के साथ गठबंधन, अकेले जाना और कांग्रेस तथा राकांपा के साथ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन जारी रखना। शेवाले ने कहा, "हमने ठाकरे द्वारा सुझाए गए पहले विकल्प को ही चुना है।"
दावा खारिज किया
हालांकि शिवसेना के ठाकरे गुट ने इस दावे को खारिज कर दिया। पार्टी की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "सांसदों की बैठक में उद्धव जी के पिछले गठबंधन में वापस लौटने की कोई बात नहीं थी, इसलिए यह छल को सही ठहराने के लिए आक्षेप है।" हम आपको बता दें कि लोकसभा में शिवसेना के 19 सदस्य हैं, जिनमें 18 महाराष्ट्र से और दादरा और नगर हवेली से एक सांसद हैं तथा राज्यसभा में इसके तीन सदस्य हैं।
कौन किसके साथ?
शिंदे को समर्थन देने वाले सदस्यों में राहुल शेवाले, भावना गवली, सदाशिव लोखंडे, हेमंत गोडसे, हेमंत पाटिल, राजेंद्र गावित, संजय मंडलिक, श्रीकांत शिंदे, श्रीरंग बार्ने, प्रतापराव जाधव, धैर्यशील माने और कृपाल तुमाने शामिल हैं। ठाकरे के साथ लोकसभा सदस्य विनायक राउत, राजन विचारे, ओमराजे निंबालकर, संजय जाधव, गजानन कीर्तिकर, अरविंद सावंत और कलाबेन डेलकर हैं। राज्यसभा सदस्य संजय राउत, अनिल देसाई और प्रियंका चतुर्वेदी ठाकरे के साथ हैं।
उद्धव खेमे की प्रतिक्रिया
उधर, शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने कहा है कि महाराष्ट्र में विद्रोही खेमे से जिस तरह की आलोचनात्मक टिप्पणियां आ रही हैं, वे पार्टी नेतृत्व और उनके परिवार के खिलाफ उनकी नफरत और ईर्ष्या को उजागर करती हैं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘गद्दार’ चले गए हैं और जिन्हें लगता है कि शिवसेना अध्यक्ष एवं उनके पिता उद्धव ठाकरे एक अच्छे इंसान हैं, वे अब भी पार्टी के साथ हैं। वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने बागियों पर निशाना साधते हुए कहा है कि उनके मन की अवस्था हम समझ सकते हैं। कानून हमारे साथ है, नियम हमारे साथ हैं। हमें देश के सर्वोच्च न्यायालय पर पूरा विश्वास है, देश का लोकतंत्र अभी मरा नहीं है।
विवादों में घिरे शेवाले
दूसरी ओर, लोकसभा में शिवसेना के नये नेता बनते ही राहुल शेवाले विवादों के घेरे में भी आ गये हैं। दुबई निवासी 33 वर्षीय एक महिला ने शिवसेना सांसद राहुल शेवाले के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने का आग्रह किया है और आरोप लगाया है कि उन्होंने शादी का झांसा देकर बलात्कार किया। महिला ने अपनी शिकायत महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ट्वीट की। वहीं, शेवाले की पत्नी कामिनी ने अपने पति पर महिला द्वारा लगाए गए आरोप को खारिज किया और कहा कि यह 25 साल से अधिक समय से सामाजिक और राजनीतिक जीवन में सक्रिय उनके सांसद पति की छवि खराब करने के लिए "जानबूझकर की जा रही साजिश" है। उल्लेखनीय है कि कपड़ा व्यवसाय से जुड़ी महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि मुंबई पुलिस ने पूर्व में उसका बयान दर्ज करने के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं की थी। महिला ने आरोप लगाया है कि शेवाले 2020 से "भावनात्मक और मानसिक रूप से उसका शोषण" तथा उसके साथ बलात्कार करते रहे हैं।
ग्रीन-टी के रोजाना एक कप की आदत आपको कई प्रकार के गंभीर रोगों, यहां तक कि कैंसर के भी जोखिम से बचा सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि ग्रीन-टी में ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स और बायोएक्टिव कंपाउंड्स पाए जाते हैं जो शरीर पर अद्भुत प्रभाव डाल सकते हैं। ग्रीन-टी के स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए पिछले कुछ वर्षों में भारत में इसकी मांग काफी तेजी से बढ़ी है। शोधकर्ता बताते हैं कि यह एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है जिसके सेवन की आदत मस्तिष्क के कार्यों को बेहतर बनाए रखने, हृदय रोग, डायबिटीज और यहां तक के कई प्रकार के कैंसर के खतरे को भी कम कर सकती है। ग्रीन-टी की पत्तियों में कई प्रकार के स्वस्थ बायोएक्टिव यौगिक मौजूद होते हैं। इसमें पॉलीफेनोल्स की भी मात्रा पाई जाती है, जो एक प्रकार के प्राकृतिक यौगिक हैं और शरीर में इंफ्लामेशन को कम करने के साथ कैंसर के विकास को रोकने में सहायक माने जाते हैं। ग्रीन टी में एपिगैलोकैटेचिन-3-गैलेट नामक कैटेचिन होता है। कैटेचिन प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो कोशिकाओं की क्षति को रोकने में मदद करते हैं जिससे स्वाभाविक तौर से कैंसर का खतरा कम हो जाता है। ग्रीन-टी में पाए जाने वाले असरदार यौगिक और एंटीऑक्सिडेंट्स कई प्रकार के कैंसर के जोखिमों को कम करने में मददगार माने जाते हैं। अध्ययनों की एक समीक्षा में पाया गया कि जो महिलाएं नियमित रूप से ग्रीन-टी पीती हैं, उनमें स्तन कैंसर विकसित होने का जोखिम 20-30% कम होता है। महिलाओं में यह सबसे आम प्रकार का कैंसर है। ग्रीन-टी पॉलीफेनोल एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है जो स्वास्थ्य पर विभिन्न प्रकार के लाभकारी प्रभाव डाल सकती है।
हॉरमोन्स को बैलेंस करके पीसीओएस के लक्षणों को भी कंट्रोल करते हैं। बीजों में हेल्दी ओमेगा 3 फैटी एसिड्स होते हैं। हमारा शरीर इन्हें खुद से नहीं बना पाता लेकिन बॉडी फंक्शन के लिए ये काफी जरूरी होते हैं। बीते दिनों एक रिसर्च में नतीजा आया था कि ओमेगा 3 फैटी एसिड्स, विटामिन डी और एक्सरसाइज ये तीन चीजें कैंसर जैसी घातक बीमारियों से बचाने के लिए बेहद जरूरी हैं।
ब्यूटी : बीजों में कॉपर, जिंक, विटामिन ई पाए जाते हैं, इस वजह से लोग इन्हें ब्यूटी बेनेफिट्स के लिए भी खाते हैं। वहीं इनका सबसे बड़े फायदों में से एक है हॉरमोन्स को बैलेंस करना। महिलाओं में खासतौर पर हॉरमोन की गड़बड़ी कई बड़ी समस्याओं की वजह बन जाती है। ऐसे में सीड साइकलिंग काफी पॉप्युलर हो रही है। हॉरमोनल : यह बात विज्ञान भी मान चुका है कि पीरियड्स के फर्स्ट फेज कुछ खास बीज और दूसरे फेज कुछ खास तरह के बीज खाने से हॉरमोन्स रेग्युलेट होते हैं। इनके अलावा हॉरमोन से जुड़ी कई और समस्याएं जैसे ऐक्ने, बाल झड़ना, पीरियड पेन, मूड स्विंग वगैर में भी राहत मिलती है।वैसे तो कटहल से लेकर खरबूजे और तरबूज तक के बीज सेहत के लिए अच्छे होते हैं। सीड साइकल में आते हैं, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, तिल के बीज, अलसी के बीज या फ्लैक्स सीड और चिया सीड्स। सीड साइकलिंग से जुड़ी कोई साइंटिफिक रिसर्च नहीं है। हालांकि लंबे वक्त से लोग इन्हें ले रहे हैं और फायदे भी बता रहे हैं। इन सीड्स को खाने में कोई खास नुकसान भी नहीं तो ट्राई किया जा सकता है।फेज 1 : सीड साइकल के फेज वन में आपको एक चम्मच कच्चे पिसे हुए कद्दू के बीच, और एक चम्मच पिसे अलसी के बीज लेने हैं। ज्यातार लोगों का फेज वन 2 हफ्ते यानी 14 दिन तक चलता है।
फेज 2 : फेज 2 में रोजाना 1 चम्मच कच्चे पिसे सूरजमुखी के बीज और एक चम्मच कच्चे पिसे तिल के बीज लेने हैं। ये फेज 2 के पहले दिन से अगले पीरियड के पहले दिन तक लेने हैं।
चिया सीड्स भले सीड साइकल का हिस्सा नहीं है लेकिन इनकी न्यूट्रीशनल वैल्यू काफी ज्यादा होती है। ये फाइबर रिच होते हैं साथ ही ओमेगा 3 फैटी एसिड काफी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। ये वेट कंट्रोल करने में मदद करते हैं। वजन कम करना हॉरमोनल बैलेंस का अहम हिस्सा है। अगर आप किसी तरह की दवाएं ले रहे हैं तो डॉक्टर से कंसल्ट करके ही बीज लेना शुरू करें।
भारत ने पिछले साल जनवरी में टीकाकरण अभियान शुरू करने के 18 महीनों के भीतर कोविड -19 टीकाकरण में रिकॉर्ड 200 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। पिछले 100 करोड़ टीकाकरण नौ महीने में किए गए थे, वही समय अवधि जिसमें पहले 100 करोड़ टीकाकरण किए गए थे, यह दर्शाता है कि गति धीमी नहीं हुई है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्रिय रणनीतिक और नीति-स्तरीय नेतृत्व, जिसमें मेक-इन-इंडिया और मेक-फॉर-वर्ल्ड मंत्र शामिल हैं। जिसकी वजह से देश को इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद की है, जहां लगभग हर वयस्क को मेड इन इंडिया का टीका लगाया गया।
पिछले साल 16 जनवरी को देश भर में टीकाकरण अभियान शुरू किया गया, जिसके पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों को टीके लगाए गए। पिछले साल 2 फरवरी से फ्रंटलाइन वर्कर्स और 1 अप्रैल से 45 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के लिए टीकाकरण शुरू हुआ था। भारत ने 10 अप्रैल को 18 वर्ष से ऊपर की आयु के सभी लोगों को कोविड-19 टीकों की एहतियाती खुराक देना शुरू किया। सरकारी अधिकारियों के अनुसार वैज्ञानिक सलाह और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर वैक्सीन प्रशासन के लिए प्राथमिकता के सिद्धांत पर सात चरण का टीकाकरण अभियान चलाया गया।
भारत ने यूरोप को पीछे छोड़ दिया है जहां टीकाकरण की संख्या लगभग 130 करोड़ है। भारत ने न केवल अपने नागरिकों को 200 करोड़ खुराकें दी हैं, बल्कि 50 से अधिक देशों को 23 करोड़ से अधिक वैक्सीन खुराक का निर्यात भी किया है और अभी भी स्टॉक में लगभग 10 करोड़ खुराक हैं - जिसका अर्थ है कि देश ने पिछले 18 महीनों में लगभग 233 करोड़ वैक्सीन खुराक का उत्पादन किया है।
बारिश का मौसम अपने साथ कई तरह की बीमारियां लेकर आता है। इस मौसम में सर्दी, जुकाम और बुखार होना सामान्य है। बच्चों से लेकर बड़ों कर किसी भी आयु के व्यक्ति को मौसमी बीमारी हो सकती है। वहीं मानसून में कीचड़ और पानी जमा होने के कारण डेंगू के मच्छर बढ़ जाते हैं। बारिश के मौसम में डेंगू मलेरिया के मरीज बढ़ जाते हैं। बारिश में त्वचा संबंधी कई तरह के रोग होने की संभावना भी बढ़ जाती है। खुजली, जलन और रूखी त्वचा की समस्या होने लगती है। मानसून में होने वाले संभावित रोगों के बारे में जानिए और बारिश के मौसम में बीमारियों से बचने के लिए क्या उपाय कर सकते हैं।
बारिश के मौसम में होने वाले रोग
त्वचा रोग
बारिश में व्यक्ति को चर्म रोग हो सकता है। इस मौसम में घमौरी, फोड़े-फुंसी आदि होना सामान्य बात है। त्वचा संबंधी ये बीमारियां फंगल इंफेक्शन होती हैं, जो नमी की वजह से समस्या खड़ी कर देती हैं। ऐसे में अक्सर लोगों को बारिश में खुजली, लाल त्वचा और जलन होती है।
बचाव- मानसून में त्वचा संबंधी रोग की समस्या से बचाव के लिए बारिश में भीगने पर तुरंत कपड़े बदल लेने चाहिए। अधिक देर बारिश में भीगने पर त्वचा में नमी के कारण बीमारी होती है, इसलिए कपड़े बदलने से साथ ही त्वचा को अच्छे से सुखा लें। वहीं साफ सुथरे रहें।
पेट की समस्या
बारिश के मौसम में अक्सर लोगों का पेट खराब हो जाता है। बरसात में पाचन क्रिया कमजोर हो सकती है, जिसके कारण पेट की समस्या हो जाती है। मानसून में डायरिया, उल्टी और दस्त होना आम बात है।
बचाव- मानसून में खान पान का विशेष ख्याल रखें। हल्का भोजन करें और बाहर का गलत खाने से बचें। खाने के बाद टहलने की आदत डालें ताकि भोजन पच सके।
मलेरिया और डेंगू
बारिश में डेंगू और मलेरिया के मामले सबसे अधिक बढ़ जाते हैं। तेज बारिश होने से जगह जगह बारिश का पानी जमा हो जाता है। इस गंदे पानी से मच्छर फैलते हैं जो डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलाते हैं। डेंगू में ब्लड प्लेटलेट काउंट तेजी से कम होने से मरीज के लिए जान का जोखिम बढ़ जाता है
बचाव- इन बीमारियों से बचाव के लिए बारिश के पानी को भरने न दें। साफ सफाई रखें। मच्छर भगाने की दवाइयों का इस्तेमाल करें।
ये है राजा की "अजीब" कहानी! ओह, 'राजा' नहीं, वो ब्रुनेई का सुल्तान है! हालांकि, भले ही ये सुनने में थोड़ा अजीब लगे, लेकिन विदेशी मीडिया द्वारा इसके सच होने का दावा किया जाता है। वैसे तो दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां अभी भी राजशागी चलती है। यानी वहां का राजा ही देश का प्रधान होता है। वो जो कह दे वहीं कानून बन जाता है। एकदम बाहुबली मूवी टाइप- वचन ही शासन है। ऐसा ही एक देश है ब्रुनेई जो इंडोनेशिया के पास स्थित है। यहां के सुल्तान का नाम हसनल बोलकिया है। जिनकी गिनती दुनिया के कुछ अमीर सुल्तानों में होती है। विदेशी मीडिया के अनुसार ब्रुनेई के सुल्तान के पास 30 रॉयल बंगाल टाइगर हैं। जबकि सुल्तान ने तीन शादियां की हैं।
सुल्तान हसनल बोलकिया के पास 14,700 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की संपत्ति है। साल 1980 तक सुल्तान दुनिया के सबसे अमीर शख्स थे। उनकी कमाई का सबसे बड़ा जरिया तेल का भंडार और प्राकृतिक गैस है। एक मीडिया रिपोर्ट में ये भी दाला किया गया है कि वो अपने बाल कटवाने के लिए 15 लाख रुपये तक खर्च करता है। ब्रुनेई बोर्नियो द्वीपसमूह में एक छोटा सा देश है, जिसकी सीमा मलेशिया और दक्षिण चीन सागर से लगती है। हालांकि उस देश के सुल्तान की दौलत की कहानी बिल्कुल भी छोटी नहीं है। सुल्तान के महल की कीमत आज 2550 करोड़ रुपये से भी अधित बताई जाती है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि सुल्तान हसनल बोलकिया के पास 7,000 लग्जरी कारों का कलेक्शन है, जिसकी कीमत करीब 341 अरब रुपये आंकी जाती है। 5 अक्टूबर 1967 को हसन ऑल बोकैया इब्नी उमर अली सैफुद्दीन III ब्रुनेई की गद्दी पर बैठे। पूरी दुनिया उन्हें 'हसन ऑल बोकैया' के नाम से जानती है। हाल ही में उनकी बेटी राजकुमारी फादजीला लुबाबुल बोल्किया की शादी हुई है। बोल्किया की बेटी की शादी के भव्य कार्यक्रम सात दिनों तक जारी रहे।
गर्मी के मौसम में ज्यादातर लोग पेट की गर्मी से परेशान रहते हैं। जिसकी वजह से उन्हें कब्ज, दस्त, डायरिया, ब्लोटिंग, उल्टी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अगर आप भी गर्मियों में पेट की गर्मी से परेशान रहते हैं तो ये कुछ असरदार घरेलू नुस्खे आजमाकर अपनी समस्या को तुरंत दूर कर सकते हैं।
ठंडे पानी में रखें पैर- पेट में गर्मी महसूस होने पर सबसे पहले अपने पैरों को ठंडे पानी में रखें। ऐसा करने से आपको तुरंत आराम मिल जाएगा। इसके लिए एक बाल्टी में पानी के साथ थोड़े से बर्फ के टुकड़े भी डाल दें। अब इस पानी में अपने पैरों को करीब 20 मिनट तक डुबोकर रखें। अधिक ठंडक के लिए आप इस पानी में पेपरमिंट एसेंशियल ऑयल भी डाल सकते हैं।
पेपरमिंट- पेपरमिंट में हाई मेन्थॉल होता है, जिसकी वजह से इसमें शीतलता प्रदान करने वाले गुण मौजूद होते हैं। पेट की गर्मी को शांत करने के लिए आप पुदीने की गर्म या ठंडी चाय पी सकते हैं। इससे आपको पेट की गर्मी से जल्द राहत मिलेगी।
पेट पर लगाएं एलोवेरा जेल- पेट की गर्मी को तुरंत शांत करने के लिए पेट पर फ्रेश एलोवेरा जेल लगाएं। एलोवेरा जेल में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। इसके अलावा यह शरीर को ठंडा रखने में भी आपकी मदद करता है।
मेथी बीज का पानी- पेट की गर्मी को शांत करने के लिए मेथी के बीजों से तैयार ठंडे पानी का सेवन करने से लाभ मिलता है। इस पानी को पीने से पेट की गर्मी से तुरंत राहत मिल सकती है। इसे बनाने के लिए 1 गिलास पानी में मेथी के दाने डालकर कुछ घंटों के लिए छोड़ दें। अब इस पानी को पिएं। इसके अलावा आप मेथी के बीजों को पानी में उबाल लें। इसके बाद इस पानी को कुछ समय के लिए ठंडा करने के लिए फ्रिज में रख दें। प्यास लगने पर इस पानी को पिएं। इससे भी पेट की गर्मी दूर हो सकती है।