दादा के निधन के अगले दिन मैच खेलने पहुंचे यश धुल

यश धुल ने भी सचिन की तरह तेज गेंदबाज बनने के इरादे से क्रिकेट खेलना शुरू किया था, लेकिन घरेलू स्तर पर ही उन्होंने बल्ले के साथ अपनी प्रतिभा दिखाई। इसके बाद उन्होंने एक बल्लेबाज के रूप में खुद को स्थापित किया।

यश ढुल उस दौरान सात या आठ साल के रहे होंगे जब उनके दादा जगत सिंह उनकी अंगुली पकड़कर पहली बार रणजी क्रिकेटर प्रदीप कोचर की अकादमी लेकर गए थे। उसके बाद ऐसा कोई दिन और मैच नहीं गया जब यश को अपने दादा का साथ नहीं मिला हो। दादा और पोते का रिश्ता अनोखे प्यार के बंधन में बंधा था। 2017 में यश के दादा स्वर्ग सिधार गए, लेकिन पिता विजय ढुल ने बेटे को दादा की यादों को ढाल बनाने का हौसला दिया। अगले ही दिन न सिर्फ यश मैदान में थे बल्कि उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पहले विजय मर्चेंट ट्राफी में पंजाब के खिलाफ शतक जड़ा फिर देश की अंडर-19 टीम में जगह बनाई और अंत में इसके कप्तान बनकर वेस्टइंडीज गए।

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Last modified on Friday, 04 February 2022 12:38
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