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व्यापार : पाकिस्तान और रूस ने पाकिस्तान स्टील मिल्स परियोजना को बहाल करने और आधुनिक बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह दोनों देशों के बीच सहयोग में एक नया अध्याय है। चीन भी पाकिस्तान स्टील मिल्स (पीएसएम) परियोजना का ठेका पाने की दौड़ में शामिल था, जिसे मूलतः सोवियत सहायता से बनाया गया था।

सरकारी समाचार पत्र एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान (एपीपी) की रिपोर्ट के अनुसार, कराची में पीएसएम को फिर से शुरू के समझौते पर शुक्रवार को मास्को स्थित पाकिस्तान दूतावास में हस्ताक्षर किए गए। एपीपी ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य इस्पात उत्पादन को पुनः आरंभ करना और उसका विस्तार करना है, जो दोनों देशों के बीच सहयोग में एक नया अध्याय लिखेगा।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विशेष सहायक हारून अख्तर खान, जो इस समय रूस की यात्रा पर हैं, ने कहा, "रूस के सहयोग से पीएसएम को पुनर्जीवित करना हमारे साझा इतिहास और मजबूत औद्योगिक भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।"

प्रेस सूचना विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि पीएसएम का निर्माण मूलतः 1971 में पूर्व सोवियत संघ की सहायता से किया गया था और यह पाकिस्तान-रूस संबंधों का एक स्थायी प्रतीक बना हुआ है।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, 2008 में पीएसएम का पतन शुरू हो गया था, जिसके लिए हजारों नई नियुक्तियां और वैश्विक मंदी जिम्मेदार थे। स्टील मिल को 2008-09 में 16.9 बिलियन पाकिस्तानी रुपये का घाटा हुआ था, जो पांच वर्षों में बढ़कर 118.7 बिलियन पाकिस्तानी रुपये हो गया।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की सरकारें, जो 2008 से 2018 तक सत्ता में रहीं, इस औद्योगिक क्षेत्र को कुशलतापूर्वक चलाने में विफल रहीं।

बाद में, इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार ने इसे पुनर्जीवित करने की पहल शुरू की, जिससे अनुबंध प्राप्त करने के लिए चीन और रूस के बीच होड़ शुरू हो गई।

प्रारंभ में पीटीआई सरकार चीन की ओर झुकी हुई थी और उसने एक चीनी कंपनी के साथ बातचीत शुरू की थी, लेकिन बातचीत सफल नहीं हो सकी। दूसरी ओर, रूसियों ने दावा किया था कि चूंकि परियोजना का निर्माण उन्होंने किया था, इसलिए वे बीमार इकाई को फिर से शुरू करने के लिए सबसे उपयुक्त थे।

तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल के दौरान वित्तीय वर्ष 2007-08 तक पीएसएम का संचयी लाभ 9.54 बिलियन पाकिस्तानी रुपये था। अगले 10 वर्षों में इसका घाटा बढ़ता गया और 31 मई, 2018 को कार्यकाल के अंत तक यह 200 अरब पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच गया।

 

व्यापार : भारत का उपभोक्ता विवेकाधीन क्षेत्र में मिलेजुले संकेत रहने की संभावना है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों कारकों के संयोजन के कारण वार्षिक आधार पर 18 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हो सकती है।

क्या है उपभोक्ता विवेकाधीन क्षेत्र ?

कंज्यूमर डिस्क्रिशनरी उन वस्तुओं और सेवाओं से जुड़ा होता है जो जीवन के लिए अनिवार्य नहीं होतीं, लेकिन आय बढ़ने पर लोग इनकी इच्छा रखते हैं।

नए युग के व्यवसाय में मजबूत वृद्धि की संभावना

रिपोर्ट में कहा गया कि नए युग के व्यवसाय इस सेक्टर को मजबूती देंगे। यह 49 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ सकता है। वहीं, पेंट कंपनियों की धीमी वृद्धि दर इस क्षेत्र पर दबाव बना सकती है।

इन क्षेत्रों में होगी इतनी वृद्धि

इसके अलावा रिपोर्ट में आभूषण में लगभग 20 प्रतिशत, फूड एंड ग्रॉसरी में 16 प्रतिशत, परिधान में 16 प्रतिशत और फुटवियर में 7 प्रतिशत क्षेत्रों में होगी वृद्धि का अनुमान है। विभिन्न श्रेणियों में समान-स्टोर बिक्री वृद्धि (एसएसएसजी) के पहली तिमाही के प्रदर्शन में उल्लेखनीय अंतर देखने को मिलेगा। विशेष रूप से आभूषण क्षेत्र में मजबूत ग्रोथ की उम्मीद है, जबकि ऑफलाइन फूड एंड ग्रॉसरी और वैल्यू रिटेलिंग परिधान में स्थिर वृद्धि की संभावना है। दूसरी ओर, फुटवियर खंड, पेंट कंपनियों और नए युग के व्यवसायों के एसएसएसजी में पहली तिमाही में मांग का दबाव देखने को मिल सकता है।

मार्जिन और ब्रैंड वैल्यूएशन पर असर

एचडीएफसी सिक्योरिटीज का कहना है कि हमारे विवेकाधीन क्षेत्र के मार्जिन में 80 आधार अंकों की गिरावट के साथ 9.6 प्रतिशत तक की गिरावट आने की उम्मीद है। यह कमजोर एसएसएसजी और क्विक कॉमर्स में हो रहे नुकसान के कारण होगा। हालांकि, नए यूग के बिजनेस को छोड़ दें तो मार्जिन लगभग सपाट रहने की संभावना है। इसके अलावा, विवेकाधीन क्षेत्र में आय में गिरावट का दौर देखा गया है। जबकि ब्रांड वैल्यूएशन अभी भी आकर्षक बना हुआ है।

 

व्यापार : रिलिगेयर एंटरप्राइजेज बोर्ड ने कंपनी को 1,500 करोड़ रुपये जुटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह राशि वॉरंट्स के प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट के जरिए जुटाई जाएगी। इसका उद्देश्य कंपनी के कारोबार विस्तार और रणनीतिक पहलों को गति देना है।

रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) एक वित्तीय सेवा कंपनी है जो भारत में कई तरह की सेवाएं प्रदान करती है। यह मुख्य रूप से लघु और मध्यम उद्यमों (SME) को ऋण, किफायती आवास वित्त, स्वास्थ्य बीमा, और खुदरा ब्रोकिंग जैसी सेवाएं देती है।

बर्मन परिवार करेगा 750 करोड़ का निवेश

इस राशि में डाबर के मालिक बर्मन परिवार की कंपनियां 750 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी, जो कुल राशि का 50 प्रतिशत है। जबकि शेष राशि हिंदुस्तान टाइम्स लिमिटेड, निवेशक आशीष धवन, जेएम फाइनेंशियल क्रेडिट सॉल्यूशंस और अन्य निवेशकों द्वारा दी जाएगी। रिलिगेयर ने कहा कि प्रवर्तकों ने 750 करोड़ रुपये का योगदान देकर कंपनी के विकास पथ के प्रति अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। इससे विभिन्न क्षेत्रों में व्यवसाय वृद्धि को समर्थन मिलेगा और रणनीतिक पहल को बढ़ावा मिलेगा।

कैसे होगा वॉरंट्स जारी ?

कंपनी 235 रुपये प्रति वॉरंट की दर से 6.38 करोड़ वॉरंट्स जारी करेगी। इनमें से प्रत्येक को 10 रुपये के एक पूर्ण भुगतान इक्विटी शेयर में परिवर्तित किया जा सकेगा। ये वॉरंट 18 महीनों के भीतर कन्वर्ट किए जा सकते हैं।

शासन और निष्पादन क्षमताएं मजबूत होंगी

आरईएल ने बताया कि हाल ही में नियुक्त किए गए प्रमोटर नामित निदेशक बीमा, रणनीति और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्रों में गहरी विशेषज्ञता रखते हैं। इससे शासन और निष्पादन क्षमताएं और मजबूत होंगी। कंपनी ने कहा कि इस पूंजी निवेश और नए नेतृत्व के साथ, आईएल अब अपने रणनीतिक फोकस को तेज करने, शासन मानकों को बढ़ाने, अपने मुख्य व्यवसायों को बढ़ाने और नए विकास के अवसरों का पीछा करने के लिए अच्छी स्थिति में है। इस फंडरेजिंग के लिए एक्सिस कैपिटल ने वित्तीय सलाहकार के रूप में कार्य किया।

 

व्यापार : केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता के लिए अपने व्यापक प्रयास के तहत हैदराबाद में रेयर अर्थ मैग्नेट का उत्पादन शुरू करने का फैसला किया है। कोयल और खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने शनिवार को यह जानकारी दी।

परमानेंट मैग्नेट्स का होगा निर्माण

मंत्री ने कहा कि हमारी खनन मंत्रायल का संस्थान विभिन्न उद्योगों के साथ मिलकर आवश्यक मशीनरी के निर्माण पर गंभीरता से कार्य कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि अगले तीन से चार महीनों में भारत स्थायी चुम्बकों के निर्माण की अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा। यह परियोजना उद्योग, खनन और अन्य मंत्रालयों के सहयोग से आगे बढ़ रही है और इसकी चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी की गई है।

चीन ने रेयर अर्थ मैग्नेट की आपूर्ति रोकी

भारत की सोर्सिंग रणनीति में बदलाव के बारे में बताते हुए रेड्डी ने कहा हम रेयर अर्थ रमानेंट मैग्नेट्स के लिए 100 प्रतिशत चीन पर निर्भर थे। लेकिन हाल ही में चीन ने आपूर्ति रोक दी है। चीन ने अप्रैल 2024 में घोषणा की थी कि वह कुछ रेयर अर्थ संबंधित वस्तुओं पर निर्यात नियंत्रण लगाएगा, जिससे भारत सहित वैश्विक आपूर्ति में कमी आ जाएगी।

आईसीईए ने की सराहना

इस संदर्भ में, शुक्रवार को इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) के अध्यक्ष पंकज मोहिन्द्रू ने केंद्र सरकार की इस पहल का स्वागत किया। उन्होंने विशेष रूप से सरकार द्वारा प्रस्तावित प्रोत्साहनों की सराहना की।

राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई, 2024 को पेश किए गए केंद्रीय बजट में ‘क्रिटिकल मिनरल मिशन’ शुरू करने की घोषणा की थी। इसके बाद जनवरी 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16,300 करोड़ रुपये के व्यय के साथ मंजूरी दी थी। इसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से 18,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (एनसीएमएम) के शुभारंभ को मंजूरी दी गई।

 

भुवनेश्वर: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे आज शुक्रवार को ओडिशा के एकदिनी दौरे पर हैं. दोनों नेता भुवनेश्वर बारामुंडा में आयोजित संविधान बचाओ रैली में शामिल हुए.

भुवनेश्वर में संविधान बचाओ रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कुछ नया शुरू हुआ है. ओडिशा में 40,000 से अधिक महिलाएं गायब हो गई हैं. आज तक यह पता नहीं चल पाया है कि ये महिलाएं कहां गईं. यहां हर दिन महिलाओं पर अत्याचार होता है. उनके साथ रेप होता है. ओडिशा में हर दिन 15 महिलाओं के साथ दुष्कर्म होता है. आपकी सरकार चौबीसों घंटे केवल आपका खून चूसती है, आपकी जमीन छीनती है.

 

 

उन्होंने कहा कि अडानी ओडिशा की सरकार चलाते हैं, अडानी ही नरेंद्र मोदी को चलाते हैं. जब ओडिशा में जगन्नाथ यात्रा निकलती है, जब जगन्नाथ यात्रा के रथ खींचे जाते हैं, तो लाखों लोग इसे देखते हैं और इसके पीछे चलते हैं. फिर, एक नाटक होता है - अडानी और उनके परिवार के लिए रथ रोक दिए जाते हैं. इससे आपको ओडिशा सरकार के बारे में सब कुछ समझ आ जाएगा. यह ओडिशा सरकार नहीं है, यह अडानी जैसे 5-6 अरबपतियों की सरकार है. इसका लक्ष्य आपकी जमीन, जंगल और भविष्य को छीनना है.

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि मैं कल गुरुवार को बिहार में था. जिस तरह महाराष्ट्र में चुनाव की चोरी की गई, उसी तरह की कोशिश बिहार में की जा रही है. चुनाव चोरी के लिए चुनाव आयोग ने एक नई साजिश रची है. चुनाव आयोग भाजपा की शाखा के रूप में काम कर रहा है, वह अपना काम नहीं कर रहा है. महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच 1 करोड़ नए मतदाता जुड़े. कोई नहीं जानता कि ये मतदाता कौन थे और कहां से आए. हमने चुनाव आयोग से कई बार मतदाता सूची और वीडियोग्राफी उपलब्ध कराने के लिए कहा, लेकिन चुनाव आयोग ने हमें ये उपलब्ध नहीं कराए. वे बिहार में भी वही चोरी करने जा रहे हैं, जो महाराष्ट्र में की गई थी. मैंने भारतीय गठबंधन के नेताओं से कहा कि हम चुनाव आयोग और भाजपा को बिहार चुनाव की चोरी नहीं करने देंगे.

संविधान बचाओ रैली में राहुल गांधी ने कहा कि ओडिशा सरकार का एक ही काम है - राज्य के गरीब लोगों के हाथों से ओडिशा की संपत्ति चुराना. पहले बीजद सरकार ने यही किया और अब भाजपा सरकार यही कर रही है. एक तरफ ओडिशा की गरीब जनता, दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, किसान और मजदूर हैं, और दूसरी तरफ 5-6 अरबपति और भाजपा सरकार है. यह लड़ाई जारी है. केवल कांग्रेस कार्यकर्ता, ओडिशा की जनता के साथ मिलकर इस लड़ाई को जीत सकते हैं, कोई और नहीं.

इससे पहले राहुल और खरगे के दौरे को लेकर पार्टी ने तमाम तैयारियां की है. इनके दौरे को लेकर कांग्रेस खेमा बहुत उत्साहित है. बता दें, विधानसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी का यह पहला ओडिशा दौरा है. इसके लिए यातायात व्यवस्था चाक-चौबंद है. संविधान बचाओ रैली को लेकर पार्टी कार्यकर्ता जुटने शुरू भी हो गए हैं. वहीं, यह भी पता चला है कि दोनों नेता इस संविधान बचाओ रैली के अलावा कई कार्यक्रमों में भी शामिल होंगे.

 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए 51 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी के लिए अपॉइंटमेंट लेटर बांटे हैं। इस बीच उन्‍होंने युवाओं को संबोधित भी किया। पीएम ने युवाओं को संबोधित करते हुए सबसे पहले उन्‍हें बधाई दी और कहा कि आप सभी ने कड़े परिश्रम से ये सफलता हासिल की है। इस सफलता का आपके जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। पीएम ने कहा कि देश में गणेश महोत्‍सव की धूम चल रही है, इस बीच आप सभी के नए जीवन का भी श्रीगणेश हो रहा है। जब आप जैसे लाखों युवा सरकारी सेवाओं में शामिल होते हैं, तो नीतियों को लागू करने की गति और पैमाने भी बढ़ जाते हैं।

नारी शक्ति वंदन अधिनियम का जिक्र

इस बीच पीएम ने महिला सशक्तिकरण पर भी बात करते हुए नारी शक्ति वंदन अधिनियम का भी जिक्र किया। पीएम ने कहा कि आज देश की बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। नवनियुक्तों में महिलाएं भी ज्यादा संख्या में है, जो नारी सशक्तिकरण का उदाहरण है। आज हमारा देश ऐतिहासिक उपलब्धियों और फैसलों का साक्षी बन रहा है। कुछ दिन पहले ही नारी शक्ति वंदन अधिनियम के रूप में देश की आधी आबादी को बहुत बड़ी ताकत मिली है। 30 वर्षों से महिला आरक्षण का जो विषय लंबित था, वो रिकॉर्ड वोटों के साथ दोनों सदनों से पास हुआ है। ये मांग तब से हो रही थी, जब आप में से तमाम लोगों का जन्‍म भी नहीं हुआ होगा। पीएम ने कहा कि ये नई संसद में देश के नए भविष्‍य की शुरुआत हुई।

 

क्या यह जनसुरक्षा कानून है या भाजपा सुरक्षा कवच? विपक्ष ने उठाए गंभीर सवाल

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा में पारित हुए जनसुरक्षा विधेयक पर राज्य की राजनीति गरमा गई है। शिवसेना (उद्धव गुट) ने इसे एक "राजनीतिक हथियार" बताते हुए तीखा विरोध किया है और आरोप लगाया है कि यह विधेयक "भाजपा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है, न कि आम जनता के लिए।"

"पहले से हैं प्रभावी कानून, तो नया क्यों?"

शिवसेना विधायक एड. अनिल परब ने विधान परिषद में सवाल उठाया कि जब पहले से ही UAPA, MPDA जैसे चार कानून अस्तित्व में हैं, तो फिर इस नए कानून की जरूरत क्या है? उन्होंने कहा, "इस कानून का उद्देश्य आतंकवादियों से ज़्यादा राजनीतिक संगठनों पर दबाव बनाना हो सकता है।"

परब ने विधेयक में संशोधन कर इसे दोबारा सदन में लाने की मांग की। जबकि गृह राज्यमंत्री योगेश कदम ने विधान परिषद में विधेयक पेश किया और विपक्ष के वॉकआउट के बाद इसे बहुमत से पारित भी करवा लिया।

विवादित बयान से हंगामा, सदन 10 मिनट के लिए स्थगित

विधान परिषद में भाजपा विधायक प्रसाद लाड ने कहा कि "हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे ने कम्युनिस्ट विचारधारा को मारकर शिवसेना बनाई थी।" इस बयान पर विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने आपत्ति जताते हुए पूछा, "क्या यह कानून किसी विचारधारा के खिलाफ है?" इसी विरोध के चलते विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया और सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।

उद्धव ठाकरे का हमला: यह कानून भाजपा के लिए सुरक्षा कवच

विधान भवन परिसर में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए विधेयक की भाषा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "इस कानून में 'देशविरोधी', 'आतंकवादी', 'नक्सलवादी' जैसे शब्दों का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। केवल 'कट्टर वामपंथी' संस्थाओं को निशाना बनाया गया है।" उन्होंने सवाल उठाया कि "क्या सरकार सिर्फ एक विचारधारा के विरोध में कानून ला रही है?"

उद्धव ने कहा, "यह कानून 'मीसा' और 'टाडा' जैसे दमनकारी कानूनों की तरह दुरुपयोग की आशंका से घिरा है।" उन्होंने यह भी कहा कि जब देश के गृहमंत्री स्वयं कहते हैं कि नक्सलवाद खत्म हो रहा है, तो फिर इस कानून की आवश्यकता क्या है?

भाजपा का जवाब: अन्य राज्यों में भी लागू है कानून

भाजपा का तर्क है कि यह कानून केवल महाराष्ट्र में नहीं, बल्कि तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड और आंध्र प्रदेश जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों में भी लागू है। इसके बावजूद विपक्ष इसे राजनीतिक हथियार कहकर जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहा है।

निष्कर्ष: सवाल विधेयक पर नहीं, मंशा पर उठ रहे हैं

विधेयक को लेकर विवाद की जड़ इसकी परिभाषाएं और प्रयोग की आशंकाएं हैं। विपक्ष का कहना है कि यह कानून विचारधारा-विशेष के खिलाफ इस्तेमाल हो सकता है, जबकि सरकार इसे देशविरोधी गतिविधियों के विरुद्ध एक आवश्यक कदम बता रही है।

 

छत्तीसगढ़: छोटे व्यापारियों को अपना व्यवसाय आसानी से करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य सरकार छोटे व्यापारियों के 10 साल से अधिक लंबित पुराने मामलों में 25 हजार रुपए तक की वैट देनदारियों को खत्म करने जा रही है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत जीएसटी प्रावधानों में भी कई संशोधन किए जाएंगे।

संशोधन विधेयक 2025 को मिली मंजूरी
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक और छत्तीसगढ़ बकाया कर, ब्याज एवं शास्ति के निपटान संशोधन विधेयक 2025 के प्रारूप का अनुमोदन कर दिया गया है। इन दोनों विधेयकों को विधानसभा के मानसून सत्र में पटल पर रखा जाएगा। 10 साल से अधिक पुराने 25 हजार रुपये तक की वैट देनदारियों को खत्म करने से राज्य के लगभग 40 हजार से अधिक व्यापारियों को फायदा मिलेगा। इसके साथ ही 62 हजार से अधिक मुकदमों के मामले भी कम हो जाएंगे।

 

सरकार जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में और हिस्सेदारी बेचने पर काम कर रही है। सूत्रों के अनुसार विनिवेश विभाग इस सौदे की विस्तृत जानकारी तैयार करेगा। सरकार के पास वर्तमान में एलआईसी में 96.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है। उसने मई 2022 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के माध्यम से 902-949 रुपये प्रति शेयर के मूल्य बैंड पर 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची थी। इस शेयर बिक्री से सरकार को लगभग 21,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।

सूत्रों ने बताया कि सरकार ने ओएफएस मार्ग के माध्यम से एलआईसी में आगे शेयर बिक्री के लिए अपनी मंजूरी दे दी है और इस पर चर्चा अभी प्रारंभिक चरण में है। एक सूत्र ने कहा, "बाजार की स्थिति को देखना और हिस्सेदारी बिक्री का फैसला लेना विनिवेश विभाग पर निर्भर है।"

सरकार को 16 मई, 2027 तक अनिवार्य 10 प्रतिशत सार्वजनिक शेयरधारिता की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनी में 6.5 प्रतिशत हिस्सेदारी और बेचने की आवश्यकता है।

सूत्र ने बताया कि हिस्सेदारी बिक्री की मात्रा, कीमत और समय पर निर्णय समय पर लिया जाएगा। एलआईसी का वर्तमान बाजार पूंजीकरण 5.85 लाख करोड़ रुपये है। बीएसई पर एलआईसी के शेयर 924.40 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहे थे, जो पिछले बंद भाव से 2.27 प्रतिशत कम है।

 

भारत में खुदरा ऋण वृद्धि का अगला चरण आवास ऋण से प्रेरित होगा। साथ ही प्रति उधारकर्ता ऋण में भी उल्लेखनीय वृद्धि आने की उम्मीद है। यह जानकारी वैश्विक फर्म बर्नस्टीन की एक ताजा रिपोर्ट में दी गई है।

500 अरब डॉलर तक की कर्ज की संभावना

रिपोर्ट में कहा गया कि इस वृद्धि का बड़ा हिस्सा किफायती आवास क्षेत्र से आने की संभावना है। लगभग 3 प्रतिशत रिटर्न ऑन एसेट (आरओए) देने वाले किफायती आवास ऋण क्षेत्र में 500 अरब डॉलर तक की कर्ज देने की संभावना है। हालांकि, इसमें सफलता उन ऋणदाताओं को ही मिलेगी, जो अपने ऑपरेटिंग मॉडल को देश के विभिन्न राज्यों में लगातार और बड़े स्तर पर लागू कर सकें।

200 मिलियन से अधिक नए उपभोक्ता जुड़े

पिछले एक दशक में क्रेडिट सेक्टर में सबसे बड़ी वैल्यू क्रिएशन उन संस्थाओं द्वारा की गई जो औपचारिक वित्तीय प्रणाली तक नए ग्राहकों की पहुंच बढ़ाने में सफल रहीं। इस दौरान ऋण प्रणाली में 200 मिलियन से अधिक नए उपभोक्ता जुड़े और उधारकर्ताओं की संख्या कुल कर्ज की तुलना में कहीं तेजी से बढ़ी। इसमें कहा गया कि लगभग 60 प्रतिशत भारतीय श्रम शक्ति के पास ऋण तक पहुंच है, विशेष रूप से मॉर्गेज यानी होम लोन के रूप में। मॉर्गेज एक प्रकार का ऋण है जिसका उपयोग घर, जमीन या अन्य अचल संपत्ति खरीदने या उस पर पैसे उधार लेने के लिए किया जाता है।

मॉर्गेज का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान केवल 11 प्रतिशत

भारत में फिलहाल मॉर्गेज का सकल घरेलू उत्पाद में योगदान केवल 11 प्रतिशत है। यह चीन के 30 प्रतिशत और विकसित देशों के 50 प्रतिशत से अधिक के आंकड़े की तुलना में काफी कम है। वहीं, गैर-मॉर्गेज खुदरा ऋण भारत में पहले ही जीडीपी के 30 फीसदी से अधिक तक पहुंच चुका है । यह कई अन्य उभरते और विकसित देशों से अधिक है। रिपोर्ट का अनुमान है कि अगर आने वाले वर्षों में बंधक ऋण में लगातार वृद्धि होती रही, तो वित्त वर्ष 2035 तक देश में 1.5 ट्रिलियन डॉलर का आवास ऋण बाजार बन सकता है।

 

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