ईश्वर दुबे
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Bhilai
बिजनौर (यूपी) | इस्लामाबाद के लोग आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपना वोट डालने का इंतजार कर रहे हैं। और, हां, यह इस्लामाबाद पाकिस्तान की राजधानी नहीं है बल्कि राज्य के बिजनौर जिले में स्थित है। जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर स्थित इस्लामाबाद गांव की आबादी लगभग 10,000 है, जिसमें से लगभग 4,700 लोग मतदान करने के पात्र हैं।
इस्लामाबाद के लोगों का कहना है कि नाम की वजह से उन्हें कभी किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
स्थानीय निवासी रितेश कहते हैं, "पहले डाकिया नाम से खुश होते थे, लेकिन अब किसी को घोंघा मेल नहीं मिलता है, इसलिए डाकियों ने भी आना बंद कर दिया है।"
स्थानीय लोग नहीं जानते कि गांव इस्लामाबाद के रूप में कैसे जाना जाने लगा, लेकिन ग्राम प्रधान सर्वेश देवी का कहना है कि यह उनके परदादा के दिनों से अस्तित्व में है।
वह कहती हैं कि लोगों में कोई सांप्रदायिक भावना नहीं है और गांव में कभी भी सांप्रदायिक तनाव नहीं देखा गया है।
वह कहती है कि "हर कोई विकास चाहता है और वे उस पार्टी को वोट देंगे जो विकास सुनिश्चित करती है ।"
स्थानीय लोग नाम बदले जाने के खिलाफ हैं।
करीब छह महीने पहले एक स्थानीय नेता ने नाम बदलने का मुद्दा उठाया लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया।
इस्लामाबाद में बड़े पैमाने पर चौहान, प्रजापति रहते हैं और इसकी मुस्लिम आबादी लगभग 400 है।
यहां के ग्रामीण अन्य फसलों के अलावा गन्ना, गेहूं, धान और मूंगफली की खेती करते हैं।
गांव तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है और धान बेचने में भी दिक्कत होती है।
एक युवा लड़की अफशा कहती हैं कि "हम एक इंटर कॉलेज भी चाहते हैं ताकि हम लड़कियां यहां पढ़ सकें। लेकिन हमें किसी से कोई आश्वासन नहीं मिला है।"
भाजपा के मौजूदा विधायक और बरहानपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार सुशांत कुमार सिंह ने भी सहमति व्यक्त की है कि गांव के नाम को लेकर कोई समस्या नहीं है।
बरहानपुर से सपा उम्मीदवार कपिल कुमार ने कहा, "इस्लामाबाद नाम के कारण कभी भी डर और चिंता की भावना पैदा नहीं हुई थी और न ही कोई हीन भावना थी। गांव के लोगों ने कभी नाम बदलने की मांग नहीं की है।"