ईश्वर दुबे
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हथियारों और बाकी जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता घटाने के कदम के तहत सरकार ने अब रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर भारत योजना को लागू करने का फैसला किया गया है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रक्षा बजट के रूप में 525166.15 करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की है, जो कि बजट 2021 के दौरान घोषित परिव्यय से लगभग 10 प्रतिशत अधिक है। हथियारों और बाकी जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता घटाने के कदम के तहत सरकार ने अब रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर भारत योजना को लागू करने का फैसला किया गया है। वित्त मंत्री के एलान के मुताबिक, सरकार अब रक्षा खरीद के लिए जो पूंजी निर्धारित करेगी, उसका 68 फीसदी घरेलू उद्योगों से खरीद के लिए निर्धारित होगा। अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर रक्षा मंत्री ने रक्षा सहित कई क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास के लिए आवंटित की जा रही पर्याप्त राशि की सराहना की। उन्होंने स्टार्टअप और निजी संस्थाओं के लिए R&D बजट का 25 प्रतिशत आरक्षित करने के प्रस्ताव की भी सराहना की और कहा कि यह एक उत्कृष्ट कदम है। जनाथ सिंह ने आगे लिखा, "रक्षा पूंजी खरीद बजट का 68 प्रतिशत स्थानीय खरीद के लिए आवंटित किया गया है। यह 'वोकल फॉर लोकल' को बढ़ावा देने के लिए है यह निश्चित रूप से घरेलू रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देगा।"
इसके बारे के रक्षा बजट के बारे में जानने योग्य 10 बातें:-
1.) वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रक्षा बजट को पिछले साल के 4.78 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5.25 लाख करोड़ रुपये करने का प्रावधान किया है।
2.) आवंटन एक साल पहले की अवधि से 10 प्रतिशत ऊपर था।
3.) इस वित्त वर्ष में ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए इस क्षेत्र में दूसरे विकल्पों को तलाशा जाएगा।
4.) वित्त मंत्री ने 2022-23 में घरेलू उद्योग के लिए पूंजी खरीद बजट का 68 प्रतिशत निर्धारित करने का प्रस्ताव रखा, जो 2021-22 में 58 प्रतिशत था।
5.) रक्षा अनुसंधान एवं विकास (डीआरडीओ) को 25 फीसद अधिक धनराशि दी जाएगी।
6.) निजी उद्योग को एसपीवी मॉडल के माध्यम से डीआरडीओ और अन्य संगठनों के सहयोग से सैन्य प्लेटफार्मों और उपकरणों के डिजाइन और विकास के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
7.) व्यापक परीक्षण और प्रमाणन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक स्वतंत्र नोडल अम्ब्रेला निकाय की स्थापना की जाएगी।
8.) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जियोस्पेशियल सिस्टम और ड्रोन, सेमीकंडक्टर और इसकी इको-सिस्टम, स्पेस इकोनॉमी, जीनोमिक्स और फार्मास्युटिकल्स, ग्रीन एनर्जी और क्लीन मोबिलिटी सिस्टम में देश के बड़े पैमाने पर सतत विकास में सहायता करने और आधुनिकीकरण करने की अपार संभावनाएं हैं। वे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करेंगे और भारतीय उद्योग को अधिक कुशल और प्रतिस्पर्धी बनाएंगे।
9.) सहायक नीतियां, हल्के-फुल्के नियम, घरेलू क्षमता निर्माण के लिए सुविधाजनक कार्रवाई, और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना सरकार के दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करेगा।
10.) अवसरों में अनुसंधान एवं विकास के लिए, शिक्षाविदों, उद्योग और सार्वजनिक संस्थानों के बीच सहयोग के प्रयासों के अलावा, सरकारी योगदान प्रदान किया जाएगा।