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बदायूं (उ.प्र.)। अपने बयानों के लिये अक्सर सुर्खियों में रहने वाले समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां ने बुधवार को कहा कि वह भाजपा की राजनीतिक ‘आइटम गर्ल’ हैं। उनके नाम पर उत्तर प्रदेश का पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा गया था और अब उनके नाम पर ही आगामी लोकसभा चुनाव भी लड़ा जाएगा। मश्वराती काउंसिल (सलाहकार परिषद) की विशेष बैठक में शामिल होने आये खां ने संवाददाताओं से बातचीत में खुद को भाजपा की ‘आइटम गर्ल’ बताया और कहा ‘‘सारे चुनाव भाजपा मेरे नाम पर ही लड़ती रही है। पिछला विधानसभा चुनाव मेरे नाम पर लड़ा। 

 
अब लोकसभा चुनाव भी मेरे ही नाम पर लड़ेगी। मेरा तो यह हाल कर दिया है कि मुझे खुद नहीं पता कि मेरे ऊपर कितने मुकदमे दर्ज कर दिए गए हैं। मेरे नाम से कितने सम्मन और वारंट जारी कर दिए गए हैं, मैं तो बस उन्ही मुकदमों की पैरवी करता घूमता रहता हूँ।’’उन्होंने कहा कि उनके पास कोई सम्पत्ति नहीं है। उनका सिर्फ एक बैंक खाता है जो विधान भवन में स्थित एसबीआई की शाखा में है। इसके सिवा अगर देश के किसी भी बैंक में उनका कोई खाता मिल जाये तो उनको कुतुबमीनार पर फांसी दे दी जाए।
 
खां ने बताया कि मश्वराती काउंसिल ने निर्णय लिया है कि फिरकापरस्त ताकतों को हराने के लिये दलितों, पिछड़ों और कमजोरों को एकजुट करना होगा, तभी इंकलाब आएगा। इसके लिए उन सभी मुद्दों से हटना होगा जिनको लेकर भाजपा देश मे आग लगाना चाहती है। राम मंदिर मामले पर खां ने कहा कि उच्चतम न्यायालय देश की सर्वोच्च संस्था है। उसका आदेश सबसे ऊपर होना चाहिए।

 


नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि दुनिया अब हिन्दुस्तान को इंतजार करते हुए नहीं देखना चाहती बल्कि अपेक्षा करती है कि वह दुनिया का नेतृत्व करे और देश को दुनिया की अपेक्षाओं पर खरा उतरना होगा । प्रधानमंत्री ने ‘सेल्फ4सोसाइटी’ मंच के जरिये आईटी पेशेवरों एवं विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े लोगों को टाउनहॉल संबोधन में कहा कि रामायण में इस बात का उल्लेख है कि किस प्रकार एक गिलहरी ने रामसेतु के निर्माण में योगदान दिया था । इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि भगवान को भी एक गिलहरी के योगदान की जरूरत पड़ी ।
उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे में हम कितनी ही पहल करे, कितनी ही योजनाएं बनाए, बजट दे लेकिन किसी भी पहल की सफलता लोगों की भागीदारी में निहित है । ’’ मोदी ने कहा, ‘‘ दुनिया भी अब हिन्दुस्तान को इंतजार करते हुए नहीं देखना चाहती, हिन्दुस्तान दुनिया को लीड करे इस अपेक्षा के साथ देख रही है । हमें दुनिया की अपेक्षाओं पर खरा उतरना है।’’ स्वच्छ भारत अभियान के संदर्भ में एक पेशेवर के सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि स्वच्छ भारत अभियान के प्रतीक से जुड़ा चश्मा भी महात्मा गांधी का है और इसकी दृष्टि भी गांधी की ही है ।

उन्होंने कहा कि वह तो एक तरह से प्रायश्चित कर रहे हैं, स्वच्छता का जो कार्य चल रहा है, वह सेवा से ज्यादा प्रायश्चित है । मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने वर्षो तक अपने आप को देश की आजादी के लिये खपा दिया । उन्होंने अपने नेतृत्व से देश के लिये स्वतंत्रता तो प्राप्त की लेकिन स्वच्छता हासिल नहीं हो पाई । उन्होंने कहा कि हम सभी इसके लिये जिम्मेदार हैं । ऐसे में वह एक बार फिर जोर देना चाहते हैं कि स्वच्छता गांधी की सोच है ।

उन्होंने कहा कि गांव में महिलाओं को जब खुले में शौच के लिये जाना पड़ता है तो उन्हें बहुत पीड़ा होती है । मोदी ने कहा कि कुछ काम सरकार नहीं कर सकती और जो काम सरकार नहीं कर सकती, वह संस्कार कर सकती है । स्वच्छता का विषय संस्कार से जुड़ा है । ऐसे में सरकार एवं संस्कार मिल जाए तो चमत्कार हो सकता है । उन्होंने कहा कि वे सोशल मीडिया से जुड़े व्यक्ति हैं लेकिन जो सूचना परोसी जाती है, वे उसका शिकार नहीं होते हैं ।

जो सूचना उन्हें चाहिए वे उसे ढूंढकर प्राप्त करते हैं । उन्होंने कहा कि आज 25 से 40 वर्ष के बीच की जो पीढ़ी है, उसमें सहज भाव से काम करने की प्रेरणा है । इसमें सामुहिकता का भाव जुड़ जाए तो ताकत बनकर उभरती है। इसे एक मिशन से जोड़ लें तो परिवर्तन आना शुरू हो जाता है । प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की तकदीर तकनीक में है और जो प्रौद्योगिकी युवाओं के पास है, वह भारत की तकदीर से जुड़ा है ।

उन्होंने ‘मैं नहीं हम’ पोर्टल के संदर्भ में कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि ‘मैं’ को खत्म कर रहे हैं बल्कि ‘मैं’ का विस्तार है । इसका आशय स्व से समष्टि की ओर बढना है क्योंकि आखिर वृहद परिवार में आनंद का अनुभव होता है । मोदी ने कहा कि वह देखते हैं कि भारत युवा प्रौद्योगिकी का शानदार ढंग से उपयोग कर रहा है और वह इसका न केवल अपने लिये कर रहे हैं बल्कि दूसरों के लिये भी कर रहे हैं ।

‘‘ मैं इसे शानदार संकेत के रूप में देखता हूं । ’’उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रयास छोटा हो या बड़ा हो, उसे महत्व दिया जाना चाहिए । प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वयंसेवी प्रयासों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में बहुत कुछ किया जा सकता है, युवाओं को हमारे उद्यम और किसानों के कल्याण के लिए काम करना चाहिए । उन्होंने यह भी कहा कि आज अधिक लोग कर चुका रहे हैं क्योंकि उन्हें विश्वास है कि उनके पैसे का उपयोग ठीक से और लोगों के कल्याण के लिए किया जा रहा है ।

नयी दिल्ली। सीबीआई घूसकांड मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि यह जांच सरकार के अदंर नहीं आती और सरकार इसकी जांच नहीं करेगी। हम नहीं जानते कौन सही है और कौन गलत। हालांकि, इसकी जांच के सीबीआई और सीवीसी का अधिकार क्षेत्र है। 

 

नयी दिल्ली। विपक्षी पार्टियों ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के लिए भाजपा सरकार की निंदा की है। वर्मा और सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच टकराव चल रहा है और केंद्र ने दोनों ही अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया है। इस बीच झालावाड़ में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि CBI चीफ आलोक वर्मा राफेल सौदे के पेपर इकट्ठा कर रहे थे, इसलिए उनकी छुट्टी की गई है। राहुल गांधी ने कहा कि कल रात को चौकीदार ने CBI निदेशक को हटा दिया। 

 
इसके अलावा कांग्रेस ने वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने को एजेंसी की स्वतंत्रता खत्म करने की अंतिम कवायद बताया है जबकि माकपा ने सरकार के इस फैसले को गैरकानूनी करार दिया। वहीं आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार से सीबीआई निदेशक को छुट्टी पर भेजे जाने के पीछे की वजह की बताने को कहा है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने हैरत जाहिर करते हुए सवाल किया कि क्या वर्मा को, राफेल घोटाले में भ्रष्टाचार की जांच करने की उत्सुकता की वजह से ‘हटाया’ गया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस संबंध में जवाब भी मांगा। 

नयी दिल्ली। मोदी सरकार में सीबीआई का “राजनीतिक प्रतिशोध के हथियार” के तौर पर इस्तेमाल किये जाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को यह भी कहा कि प्रमुख जांच एजेंसी का पतन हो रहा है और वह “खुद से ही जंग लड़ रही है।’’ सरकार पर हमला बोलने के लिए ट्विटर पर उन्होंने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले अधिकारी राकेश अस्थाना को रिश्वत मामले में आरोपी बताया गया है। 

ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री का चहेता व्यक्ति, गोधरा एसआईटी का चर्चित चेहरा, सीबीआई में दूसरे नंबर की हैसियत पाने वाला गुजरात कैडर का अधिकारी, अब रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।”उन्होंने कहा, “इन प्रधानमंत्री के शासन में सीबीआई राजनीतिक प्रतिशोध लेने का हथियार बन गई है। एक संस्थान जो पतन की ओर बढ़ रहा है वह खुद से ही जंग लड़ रहा है।” कांग्रेस अध्यक्ष और उनकी पार्टी अस्थाना को सीबीआई का विशेष निदेशक नियुक्त किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हमलावर रही है। 
 

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नयी दिल्ली। भाजपा महासचिव सरोज पाण्डेय ने मंगलवार को दावा किया कि अजीत जोगी और बसपा के बीच गठबंधन होने से छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को नुकसान होगा। उन्होंने जोर दिया कि उनकी पार्टी राज्य में चौथी बार सत्ता में आयेगी। राज्यसभा सदस्य और छत्तीसगढ़ से पार्टी की वरिष्ठ नेता पाण्डेय ने यह भी कहा कि विपक्षी कांग्रेस की प्रदेश में स्थिति ठीक नहीं है और उसके प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के फर्जी सेक्स सीडी मामले में कथित तौर पर शामिल होने के कारण वह बचाव की मुद्रा में है।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटना राज्य की महिलाओं का अपमान है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने इस मामले में पिछले महीने आरोप पत्र दायर किया था और बघेल एवं कुछ अन्य को विवादास्पद सीडी से जुड़े मामले में आरोपी बनाया था। इस मामले में कांग्रेस नेता को तीन दिन की न्यायिक हिरासत के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था। पाण्डेय ने कहा, ‘छत्तीसगढ़ में हम (भाजपा) काफी मजबूत स्थिति में है। हम राज्य में लगातार चौथी बार सरकार बनायेंगे।’

उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में 65 प्लस सीट हासिल करने के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के लक्ष्य को प्राप्त करेगी। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में दो चरणों में 12 नवंबर एवं 20 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। यह पूछे जाने पर कि जोगी की पार्टी और बसपा के बीच गठबंधन का चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा, भाजपा महासचिव ने कहा कि चुनावी राजनीति में किसी पार्टी के असर को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है और अजीत जोगी निश्चित तौर पर उस पार्टी के वोट को काटेंगे जिससे वह पहले जुड़े थे।

चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित कर दीं, लेकिन एक हद तक मिजोरम और राजस्थान को छोड़ दें तो कहीं भी यह साफ नहीं है कि लड़ाई का स्वरूप क्या होगा? फिर भी ये चुनाव केन्द्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाले हैं, इन्हीं चुनावों के परिणाम से आगामी आम चुनाव की तस्वीर भी काफी-कुछ स्पष्ट होने वाली है। क्योंकि ये चुनाव अगले आम चुनाव का माहौल बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। इन चुनावों को एक तरह से अगले आम चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है।

 
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम इन पांच विधानसभा चुनावों में तीन प्रमुख प्रांत हैं, जिनमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने लगातार पिछले चुनाव जीते हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान 14 वर्षों से मुख्यमंत्री हैं और छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह लगातार 2003 से मुख्यमंत्री हैं। इन पांच राज्यों में से सिर्फ मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है। आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद बने तेलंगाना में दूसरी बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। मिजोरम में मुख्य लड़ाई कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट की अगुआई वाले मिजोरम डेमोक्रैटिक अलायंस के बीच है जबकि राजस्थान में सीधी लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच होनी है। राजस्थान में श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया मुख्यमंत्री हैं, लेकिन वहां उन्हें कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।
 
छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के चुनावों को सबसे ज्यादा दिलचस्पी से देखा जाएगा, दोनों ही प्रांतों में भाजपा को कांटे की टक्कर झेलनी पड़ सकती है। छत्तीसगढ़ में यह पहला मौका है जब बीजेपी और कांग्रेस के अलावा कोई तीसरा पक्ष भी मैदान में है। अजित जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस ने बीएसपी से गठबंधन किया है। यह पार्टी पहली बार ही विधानसभा चुनाव का सामना कर रही है, इसलिए इसके वास्तविक प्रभाव के बारे में अभी से कुछ कहना मुश्किल है। बीएसपी की ताकत यहां सीमित ही है, लेकिन उसकी बातचीत पहले कांग्रेस से चल रही थी। इन दोनों पार्टियों का साथ आना कांग्रेस के लिए झटका तो है, पर यह गठबंधन चुनाव नतीजों को किस हद तक प्रभावित करेगा, इस बारे में फिलहाल अटकलें ही लगाई जा सकती हैं। इन पांचों ही राज्यों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो सकती है, लेकिन सशक्त केन्द्रीय नेतृत्व के अभाव में मतदाता कौन-सी करवट लेगा, कहा नहीं जा सकता। कांग्रेस भाजपा शासित राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता विरोधी रुझान का फायदा उठाने की पुरजोर कोशिश में है। अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस अगर इन तीनों बड़े राज्यों में कामयाब होती है तो वह भाजपा की अजेय छवि पर गहरा प्रहार होगा। इन तीनों राज्यों में भाजपा को कांग्रेस से गंभीर चुनौती मिलने के आसार दिख रहे हैं। यही वजह है कि इन चुनावों को 2019 के चुनावी महासमर का सेमीफाईनल माना रहा है।
 
इन पांचों ही राज्यों में अपने अलग-अलग चुनावी मुद्दे हैं लेकिन इन मुद्दों में अब केन्द्रीय मुद्दे भी जगह बना रहे हैं। लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में लोगों की राय अलग-अलग रहती आई है। ऐसा जनता पार्टी की सरकार के समय, इन्दिरा गांधी के शासनकाल में और राजीव गांधी शासनकाल में देखने को मिल चुका है। लेकिन इस बार एक तरफ बिजली, पानी, सड़क, महंगाई, बेरोजगारी जैसे बुनियादी मुद्दों के साथ-साथ रुपए की गिरती कीमत, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम, अर्थव्यवस्था की धीमी गति, साम्प्रदायिक-धार्मिकता के मुद्दे भी अहम हो चुके हैं। राज्यस्तरीय घोटालों के मुद्दे भी अहम बन रहे हैं। राजनीतिक दलों की चादर इतनी मैली है कि लोगों ने उसका रंग ही काला मान लिया है। अगर कहीं कोई एक प्रतिशत ईमानदारी दिखती है तो आश्चर्य होता है कि यह कौन है? पर हल्दी की एक गांठ लेकर थोक व्यापार नहीं किया जा सकता है। भ्रष्टाचार, राजनीतिक अपराधीकरण क्यों नहीं सशक्त चुनावी मुद्दे बनते ? 
 
इस बार के विधानसभा चुनावों में देखने को मिल रहा है कि राजनीतिक दल धार्मिक प्रतीकों का सहारा भी पहले की तुलना में कहीं अधिक लेने लगे हैं। शायद भाजपा को शिकस्त देने के लिये हिन्दुत्व का मुद्दा भी प्रमुखता से उछल रहा है। यही कारण है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को कभी शिवभक्त, कभी नर्मदा भक्त के रूप में पेश किया जा रहा है। राहुल गांधी राज्यस्तरीय मुद्दों को अपने भाषणों में बहुत कम छूते हैं बल्कि उनका सारा जोर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर प्रहार करने का रहता है। एक तरह से ये चुनाव नरेन्द्र मोदी को पछड़ाने की ही सारी जद्दोजहद दिखाई दे रहे हैं। यह विडम्बना ही है कि हर दल एक बड़ी रेखा को मिटाने की बात तो करता है, लेकिन एक बड़ी रेखा खींचने का प्रयास कोई नहीं कर रहा है।
 
भाजपा अपनी अजेय छवि को बरकरार रखने के लिए पूरा प्रचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही केंद्रित रखने की योजना बना रहा है। सत्ता विरोधी लहर से निबटने के लिए इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को किनारे ही रखा जा सकता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इसी रणनीति पर काम कर रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस अपनी और अपने अध्यक्ष राहुल गांधी की स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिये हरसंभव प्रयास करती हुई दिख रही है। कांग्रेस के लिये यह अग्निपरीक्षा का दौर है कि वह इन चुनावों में कैसा प्रदर्शन करती है। अगर कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती है तो अगले लोकसभा चुनावों में महागठबंधन की दिशा तय होगी और तभी नरेन्द्र मोदी रूपी किले को ध्वस्त करने की बात सोची जा सकती है। नरेन्द्र मोदी एक करिश्मा है और वह आज भी बरकरार है, जब तक प्रधानमंत्री की छवि को प्रभावित नहीं किया जाता तब तक भाजपा को हराने की बात सोचना ही नासमझी होगी। अनेक विरोधी आंधियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत छवि पर कोई आंच नहीं आई है बल्कि देशवासी उन पर पूरा भरोसा कर रहे हैं। कांग्रेस के जीतने की स्थिति में राहुल गांधी की स्वीकार्यता बढ़ेगी और क्षेत्रीय दलों का दबाव कम होगा। लेकिन यह दिवास्वप्न जैसा प्रतीत हो रहा है।
 
विपक्ष के गठबंधन में कांग्रेस की भागीदारी कितनी होगी, इसका अनुमान भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हो जाएगा। अगर कांग्रेस कमजोर साबित हुई तो उसे क्षेत्रीय दलों के आगे अपनी शर्तें मनवाने में दिक्कतों को सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस को आज जैसा केन्द्रीय नेतृत्व चाहिए, वह उसे नहीं मिल पा रहा है, शायद यही कारण है कि जनता चाहकर भी उसे स्वीकार नहीं कर पा रही है। ‘वंश परंपरा की सत्ता’ से लड़कर मुक्त हुई जनता इतनी जल्दी उसे कैसे भूल सकती है? कुछ मायनों में यह अच्छा है कि राजनीति में वंश की परंपरा का महत्व घटता जा रहा है, अस्वीकार किया जा रहा है। इससे कुछ लोगों को दिक्कत होगी जो परिवार की भूमिका को भुनाना चाहते हैं। लेकिन लोकतंत्र की सेहत के लिए अच्छा ही होगा। जनता अब जान गई है कि राजा अब किसी के पेट से नहीं, ‘मतपेटी’ से निकलता है।
 
नरेन्द्र मोदी अपने या भाजपा के पक्ष में जिस तरह के तथ्य प्रस्तुत करते हैं, उनका जवाब न कांग्रेस के पास है और न अन्य दलों के पास। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा, वे नामदार हैं, हम कामदार हैं। उनका मकसद एक परिवार का कल्याण है, हमारा लक्ष्य राष्ट्र निर्माण है। बीजेपी विरोधी दलों की कमजोरी पर नहीं बल्कि सवा सौ करोड़ लोगों की ताकत पर चलती है। यह विश्वास, यह दृढ़ता एवं यह दिशा भाजपा के सामने खड़े किये जा रहे धुंधलकों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। भले ही भारतीय राजनीति का इतिहास रहा है कि आम चुनावों में कोई एक पार्टी जीतकर सत्तारूढ़ हो जाती है लेकिन उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में विपक्ष की सरकारें बनती रही हैं। इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा, भविष्य के गर्भ में हैं।
 
-ललित गर्ग

मुंबई. अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को एरिक्सन का बकाया चुकाने के लिए 15 दिसंबर तक वक्त मिल गया है। 550 करोड़ रुपए के इस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि आरकॉम को उसके असेट बेचने में आ रही दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए भुगतान का समय बढ़ाया जा रहा है। लेकिन, इसके बाद डेडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी।
आरकॉम को 30 सितंबर तक भुगतान करना था
सुप्रीम कोर्ट ने आरकॉम को सालाना 12% ब्याज चुकाने के भी आदेश दिए। पिछले आदेश के मुताबिक आरकॉम को 30 सितंबर तक एरिक्सन को 550 करोड़ रुपए का भुगतान करना था लेकिन, कंपनी नाकाम रही। उसने 60 दिन का अतिरिक्त समय मांगा।
कोर्ट के आदेश के बावजूद भुगतान नहीं करने पर एरिक्सन ने अनिल अंबानी के खिलाफ अदालत की अवमानना करने की याचिका भी लगा दी। इस पर 15 दिसंबर को सुनवाई होगी।
स्वीडन की टेलीकॉम उपकरण निर्माता कंपनी एरिक्सन और आरकॉम के बीच विवाद 4 साल पुराना है। आरकॉम ने 2014 में उसका टेलीकॉम नेटवर्क संभालने के लिए एरिक्सन से 7 साल की डील की थी।
एरिक्सन का कहना है कि अपनी सेवाओं के बदले आरकॉम पर उसका 1,600 करोड़ रुपए का भुगतान बनता है। लेकिन, अनिल अंबानी की कंपनी ने पेमेंट नहीं किया।
एरिक्सन ने आरकॉम के खिलाफ दिवालिया कोर्ट में याचिका लगा दी। कोर्ट में समझौते के तहत आरकॉम 550 करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिए राजी हुई थी।
जियो को असेट बेच रही है आरकॉम
आरकॉम का कहना है कि अपने असेट की बिक्री से जो पैसा मिलेगा उससे वह एरिक्सन का बकाया चुकाएगी। आरकॉम अपने असेट रिलायंस जियो को बेच रही है। लेकिन, दूरसंचार विभाग से स्पेक्ट्रम बिक्री की मंजूरी नहीं मिल पाई है।
दूरसंचार विभाग आरकॉम से 2947.68 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी मांग रहा है। स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज के तौर विभाग यह गारंटी चाहता है। आरकॉम पर 46,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। अपने असेट और स्पेक्ट्रम की बिक्री से उसे 18,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।

मुंबई. सबरीमाला पर जारी विरोध और विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि पूजा करने का अधिकार सभी को है, लेकिन अपमान करने का नहीं। स्मृति ने मुंबई में ऑब्जर्वर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन और ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीशन की 'यंग थिंकर्स' कॉन्फ्रेंस में बोल रही थीं।
स्मृति ने कहा- ये सीधा-सा कॉमन सेंस है। क्या आप माहवारी के ब्लड में भीगा सैनेटरी पैड लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगे? आप ऐसा नहीं करेंगे। और आपको लगता है कि आप मंदिर जाते वक्त ऐसा करेंगे तो ये सम्मानजनक होगा? यही फर्क है और यह मेरी निजी राय है। हालांकि, स्मृति ने आगे कहा कि वे केंद्रीय मंत्री हैं और सबरीमाला में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुलेआम नहीं बोल सकती हैं।
मैं हिंदू, जिसकी शादी पारसी से हुई- स्मृति
कॉन्फ्रेंस में स्मृति से सबरीमाला में हुए प्रदर्शन पर सवाल किया गया। स्मृति ने कहा- ‘‘मैं एक हिंदू हूं, जिसका विवाह एक पारसी से हुआ है। मैंने ये तय किया है कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म का पालन करें। मेरे दोनों बच्चों ने अपना नवजोत (पारसी अनुष्ठान) किया है। जब मैं अपने नवजात बच्चे को अंधेरी स्थित सूर्य मंदिर लेकर गई, तब मुझे अपने बच्चे को अपने पति को सौंपना पड़ा। मुझसे वहां से हटने को कहा गया। मैं कार में बैठकर इंतजार करती रही।’’ स्मृति के पति जुबिन ईरानी पारसी हैं। वे दिल्ली के व्यवसायी थे और अब मुंबई शिफ्ट हो चुके हैं। उनके बेटे का नाम जौहर और बेटी का नाम जोइश है।
5 दिन में सबरीमाला में कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकी
सबरीमाला मंदिर 17 अक्टूबर को खोला गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मंदिर में 10 से 50 साल की कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए और ये हिंसक भी हो उठे थे। चार महिलाओं समेत केरल की एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की। लेकिन, विरोध की वजह से उन्हें लौटना पड़ा।
ब्रह्मचारी माने जाते हैं भगवान अयप्पा
12वीं सदी के इस मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा होती है। मान्यता है कि अय्यपा, भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रूप अवतार मोहिनी के पुत्र हैं। माना जाता है कि वे ब्रह्मचारी हैं। ऐसे में यहां पीरियड की उम्र (10 से 50 साल) वाली महिलाओं का प्रवेश 800 साल से प्रतिबंधित था। सबरीमाला मंदिर पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में है।

नरसिंहपुर। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अमृतसर में हुए रेल हादसे के बाद कहा है कि जहां अपूज्यों की पूजा और पूज्यों का तिरस्कार होता है वहां ऐसे हादसे होते हैं। दशहरे के दिन प्रधानमंत्री राम मंदिर की जगह शिर्डी में एक मुस्लिम की पूजा करने गए थे। अगर वे इस दिन वहां जाकर पूजा नही करते तो शायद इतना बड़ा हादसा ना होता। उन्होंने कहा कि मोदी को प्रधानमंत्री बने चार साल से ज्यादा का समय हो गया है। लेकिन वो एक बार भी अयोध्या नहीं गए। 

 

शकंराचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के राजा के समान होता है। उसके हर कर्म का असर देश पर पड़ता है। अगर राजा के कर्म अच्छे हैं तो प्रजा सुखी होती है और वहीं राजा के कर्म बुरे हैं तो जनता हमेशा परेशान रहती है। प्रधानमंत्री हिंदुत्व के चेहरे के जरिए पद तक पहुंचे हैं। लेकिन पद पर पहुंचने के बाद उनका हिंदुत्व का चेहरा गायब हो गया। कभी गुजरात में टोपी पहनने से मना करने वाले मोदी अब कबीर की मजार पर जाकर चादर चढ़ा रहे हैं। 

 

सरकार राम मंदिर नहीं बना सकती: उन्होंने कहा कि मोदी ने देश की जनता को वचन दिया था, उसको अपने कार्यकाल में अभी तक पूरा नही किया, इसलिए आगे उन पर कैसे विश्वास करके चलें। अयोध्या में राम मंदिर बनने के विश्वास पर लोगों ने भाजपा को वोट दिया था। लेकिन जनता का ये सपना अभी तक पूरा नहीं हुआ। कोई भी सरकार राम मंदिर नहीं बना सकती, क्योंकि शपथ लेते समय मंत्री धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेते हैं। धर्म निरपेक्षता की शपथ लेने वाला राम मंदिर का निर्माण नहीं कर सकता। मोहन भागवत के राममंदिर मुद्दे पर अध्यादेश आने की बात पर शंकराचार्य ने कहा कि यह देश की जनता को गुमराह करने वाली बात की जा रही है।


आरएसएस को दी सलाह: शंकराचार्य ने आरएसएस के हिंदू एजेंडा पर सवाल उठाते हुए कहा कि संघ की शाखाओं में हिंदू संस्कार पढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि संघ के शीर्ष नेतृत्व से जिस तरह की बयानबाजी होती है, उससे यह लगता है कि संघ को सनातन वैदिक संस्कार जो हिंदू धर्म कहलाते हैं, इसका उसको पता ही नहीं है। संघ हिंदुत्व को लेकर देश में भ्रम फैलाने का कार्य कर रहा है, इसलिए संघ के पदाधिकारियों को हिंदू संस्कारों को जानने की आवश्यकता है। शंकराचार्य ने कहा कि संघ को यही पता नहीं है कि सांई परमात्मा हैं या राम परमात्मा हैं। दोनों तो परमात्मा हो नहीं सकते।

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