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बसपा सुप्रीमो के करीबी नेताओं की हो रही थी उपेक्षा, इसलिए उठाया सख्त कदम

नई दिल्ली। बसपा सुप्रीमो मायावती इस वक्त फुल एक्शन में हैं। वह अचानक लिए फैसलों से सबको हैरान कर रही हैं। इस बार तो उन्होंने अपने भतीजे आकाश आनंद को ही पार्टी से निकाल दिया है। पहले आकाश आनंद को मायावती ने नेशनल कॉर्डिनेटर के पद से हटाया और फिर सोमवार को उन्हें बसपा से ही बाहर निकाल दिया। उनके इस फैसले को पार्टी के अंदर पैदा हुए संकट से जोड़कर देखा जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट में पार्टी के आंतरिक सूत्रों का कहना है कि आकाश आनंद को मायावती ने उत्तराधिकारी घोषित किया था तो दिल्ली, राजस्थान समेत कई राज्यों का प्रभारी भी बनाया था। वह चुनाव की कमान संभाल रहे थे। उम्मीदवार उनके स्तर पर तय हो रहे थे तो वहीं प्रचार का भी वही नेतृत्व कर रहे थे। 2017 में आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार को मायावती ने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसके बाद 2019 में आकाश आनंद को राष्ट्रीय संयोजक बनाया। 2023 में उन्हें अपना राजनीतिक वारिस घोषित कर दिया। कुछ महीने सब ठीक चला, लेकिन लोकसभा चुनाव में आकाश के आक्रामक तेवरों और सीधे पीएम मोदी पर हमले को मायावती ने सही नहीं माना। उन पर एफआईआर हुई तो पद से ही हटा दिया। फिर से वापसी कराई गई तो आकाश को फिर सभी जिम्मेदारी मिल गई, लेकिन अब बाजी फिर पलट गई। बुआ मायावती ने आकाश से सारे पद छीने लिए हैं और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि आकाश का अपना एक गुट तैयार हो गया था। यह गुट मायावती के करीबी नेताओं की उपेक्षा कर रहा था। इससे बचने के लिए उन्होंने भतीजे को बाहर का रास्ता दिखा दिया। उनकी जगह पर अपने भाई आनंद कुमार को जिम्मेदारी सौंपी है और यह भी साफ कर दिया है कि कोई उनका राजनीतिक वारिस नहीं होगा। इस तरह उन्होंने सत्ता का कोई दूसरा केंद्र उभरने की संभावना ही खत्म कर दी है। रामजी गौतम को भी राष्ट्रीय संयोजक बनाया है, जो उनके बेहद करीबी हैं।
बसपा के कुछ नेताओं का कहना है कि आकाश आनंद को कमान मिली तो रामजी गौतम साइडलाइन हो गए थे। इसके अलावा भी मायावती के कई करीबी किनारे लगे थे। ऐसे में मायावती ने भतीजे को ही हटाना सही समझा ताकि कोई दूसरा गुट न उभऱ सके। पहले से कमजोर बसपा में गुटबाजी होना उनके लिए चिंता की बात है। आकाश पर एक आरोप फंड में गड़बड़ी का भी लगा है। मायावती ने उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को बाहर किया था और उनसे करीबी बनाए रखने की सजा भी उन्होंने भतीजे को दी है। इस तरह मायावती ने यह संदेश भी दिया है कि उनके लिए सब एक समान हैं। यदि कोई परिवार का है तो उसे वह कोई छूट नहीं देंगी।

 

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